नमस्कार करने के तौर तरीके दुनिया भर में अलग-अलग हैं। आजकल भारत में भी पश्चिमी सभ्यता के तरीके ही अभिवादन करने या आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये प्रयोग में आने लगे हैं। नमस्ते व नमस्कार की संस्कारी परंपरा का स्थान हाय, हैलो की औपचारिकता ने लिया है। बड़े-बुजूर्गों को जो सम्मान उन्हें नमस्कार, प्रणाम करने में मिलता है वह हाथ मिलाने या फिर हाय-हैलो करने से नहीं मिल सकता। हालांकि किसी के प्रति सम्मान रखने व प्रकट करने में काफी अंतर है जैसा कि अधिकतर आजकल देखा भी जाता है कि सामने से हमें बहुत ही गरमजोशी से मुलाकात होती है और पीठ-पिछे पता नहीं क्या क्या जिक्र चलाये जाते हैं। खैर हम बात कर रहे हैं नमस्कार की भले ही आजकल यह परंपरा उतनी चलन में नहीं है लेकिन नमस्कार के फायदे आप जानेंगें तो आप भी इसे अपनाना शुरु कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं शास्त्रों में क्या महता बतायी गई है नमस्कार की?
नमस्कार करना या कहें प्रणाम करना हिंदू ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की बहुत ही विनम्रता प्रकट करने वाली परंपरा है। अगर शास्त्र सम्मत विधि से नमस्कार किया जाये तो इसके बहुत सारे फायदे बताये जाते हैं। नमस्कार हमारी दिनचर्या का हिस्सा है, प्रात:काल उठकर माता पिता व घर के बुजूर्गों के चरण स्पर्श करना, फिर सूर्य देव को नमस्कार करना, मंदिर में अपने देव को नमस्कार करना उसके बाद स्कूल, कॉलेज से लेकर दफ्तर तक दिन भर मिलने वालों से नमस्कार का सिलसिला चलता है। अब यदि नमस्कार शास्त्रों के अनुसार किया जाये तो उसके कई फायदे हो सकते हैं –
नमस्कार करने का सबसे अहम लाभ यह मिलता है कि इससे हमारे अंदर विनयशीलता आती है, कृतज्ञता आती है। अहंकार की भावना में कमी आती हैं क्योंकि यदि दोनों हाथों को जोड़कर हम किसी को नमस्कार करेंगें तो इससे कहीं न कहीं भीतर में कृतज्ञता की भावना पैदा होती है। जो किसी भी व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिये बहुत जरूरी होती है। आध्यात्मिक विकास ही नहीं बल्कि व्यवहार कुशलता भी नमस्कार करने से व्यक्ति के अंदर विकसित होती है। जिनसे भी हम दिन भर में मिलते हैं उनके सकारात्मक विचारों एवं गुणों की तरंग से हम भी लाभान्वित होते हैं। आप अपने आदर्शों में वृद्धि महसूस कर सकते हैं। आप सकारात्मक ऊर्जा से संचरित होते हैं। अपने आप में सुधार करने की प्रवृति का विकास होता है।
वृद्धों को नमस्कार करना देव समान
अक्सर उम्र में अपने से बड़ों को हाथ जोड़कर नमस्कार कर उनका सत्कार किया जाता है। दरअसल शास्त्रों में वृद्धों को भी देवताओं के समान ही बताया जाता है। इसलिये मान्यता है कि बड़े बुजूर्गों का सत्कार करने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
नमस्कार करने की सही विधि?
नमस्कार के फायदे तो आपने पढ़ ही लिये हैं अब जानें नमस्कार किया कैसे जाता है। शास्त्रों में नमस्कार करने को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें बतायी गई हैं जो इस प्रकार हैं-
किसी को जब भी आप नमस्कार करें तो इस बात का ध्यान रखें कि मात्र सिर हिलाकर या फिर एक हाथ से ही किसी को नमस्कार न करें बल्कि दोनों हाथों को जोड़कर सीने के समीप लाकर थोड़ा झुककर दोनों नेत्रों को बंद करते हुए नमस्कार करना चाहिये। साथ ही नमस्कार करते समय आपके हाथों में कोई वस्तु न हो, स्त्रियों के लिये नमस्कार करते समय सिर को ढंकने का विधान है।
मंदिर में नमस्कार
मंदिर में या फिर किसी भी देवी-देवता को नमस्कार करते समय दोनों हाथों को जोड़कर मस्तक तक ले जायें और थोड़ा झूकते हुए नेत्रों को बंद कर देवी-देवता का स्मरण करना चाहिये। इस प्रक्रिया में अपने हाथों की ऊंगलियो को थोड़ा ढीला रखना चाहिये।
कुल मिलाकर नमस्कार करने से आपकी छवि एक सुसंस्कृत व सभ्य व्यक्ति की बनती है कुछ दिन इसे आजमा कर देखें आप अपने अंदर परिवर्तन अवश्य महसूस करेंगें। किसी भी तरह के पूजा अनुष्ठान के शुभ मुहूर्त व पूजा विधि आदि की जानकारी अपनी राशिनुसार पा सकते हैं आप एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों से। अभी परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।
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