आज पूरी दुनिया में जो जानलेवा संकट छाया हुआ है उससे पूरा विश्व परेशान है। आधे से ज्यादा देशों में लॉकडाउन तक हो गया है, लेकिन जानलेवा महामारी के मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। वहीं दुनियाभर के मेडिकल साइंटिस्ट इस महामारी का इलाज ढूंढ रहे हैं लेकिन अभी तक तलाश जारी है। ऐसे में अभी तक तो कोई कामयाबी हासिल नहीं हुई है लेकिन इस संकट की घड़ी में हमें धैर्य और साहस बनाकर रखना होगा। ऐसे में सभी को ओम मंत्र का उच्चारण करना आवश्यक है। ओम सारे ब्रह्मांड का सार है, इसे प्रथम ध्वनि कहा जाता है। ओम मंत्र का जाप करने से तनाव, अशांति और अवसाद से राहत मिलती है।
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उपनिषदों में ओम को अलग-अलग तरह से बताया गया है। ओम शब्द संस्कृत के तीन अक्षरों अ उ और म से बना है। ओम ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। ओंकार की ध्वनि को दुनिया के समस्त मंत्रों का सार कहा गया है। इसके उच्चारण मात्र से ही शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ओम का योग साधना में भी बहुत अधिक महत्व है। यह नाभि, हृदय और आज्ञा चक्र को जगाता है।
ओम मंत्र करने से शरीर के तीन भागों में कंपन शुरू हो जाता है। जब आप अ का उच्चारण करते हैं तो पेट के करीब कंपन होता है, उ का उच्चारण करने पर मध्य भाग में यानि छाती के करीब कंपन होता है और म का उच्चारण करने से मस्तिष्क में कंपन होता है। पौराणिक काल में ऋषि मुनी ओम मंत्र को मोक्ष प्राप्ति का साधन मानते थे।
ओम मंत्र के उच्चारण से पैदा हुए कंपन्न से वातावरण शुद्ध होता है। शोध से पता चला है कि अगर आप ओम का उच्च स्वर में लगातार 11 बार जाप करते हैं तो आसपास के सूक्ष्म कीटाणु और जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
ओम मंत्र का उच्चारण करने से हमारा श्वसन तंत्र मजबूत हो जाता है। साथ ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है।
ओम का जाप करने से मानसिक तनाव और अवसाद से निजात मिलती है। आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इसका नियमित जाप करने से फेफड़े मजबूत होते हैं। इसके अलावा शारीरिक दर्द, शरीर में कंपन और श्वसन प्रक्रिया में आने वाले परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है।
ओम मंत्र का उच्चारण करने के लिए सबसे पहले साफ-सुथरा और शांत वातावरण चुनें।
फिर सुखासन, पद्मासन में बैठ जाएं। बैठते वक्त मेरुदंड सीधा रखें और गर्दन सीधी रखें।
अब आंखें बंद कर लें और दोनों हाथों की तर्जनी अंगुली और अंगूठे को आपस में मिलाएं और ज्ञान मुद्रा बनाकर दोनों घुटने में रखें।
इसके बाद ओम मंत्र का जाप करें।
ओम का जाप करते वक्त अ उ म तीनों का उच्चारण बराबर समय पर करें।
यदि आप अपने आसपास के वातावरण में एक सुरक्षा कवच बनाना चाहते हैं तो ओम का उच्चारण तीव्र स्वर में करें ताकि नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो और आसपास के जीवाणु और कीटाणु भी नष्ट हो जाएं।
ऊँ का उच्चारण आप 5,7,10,21 बार कर सकते हैं।
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