अक्सर मंदिरों में जाकर जब हम देवी-देवता के दर्शन करते हैं तो वहां पर मौजूद पुजारी हमें एक चमच्च से जल देता है क्या आप जानते हैं यह कोई साधारण जल नहीं होता बल्कि भगवान के चरणों में चढ़ाये जाने के पश्चात यह चरणामृत कहलाता है। इसी प्रकार चरणामृत के स्थान पर कई स्थलों में पंचामृत भी प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। चरणामृत हो पंचामृत इनका धार्मिक रूप से तो महत्व है ही लेकिन स्वास्थ्य के लिये भी यह बहुत ही लाभदायक माना जाता है।
आध्यात्मिक रूप से जो लाभ चरणामृत का बताया जाता है वह यह है कि इसके पान से जातक के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, सकारात्मक भाव, सकारात्मक विचार पैदा होते हैं। इसी प्रकार शास्त्रानुसार पांच प्रकार के अमृत माने जाने वाले पदार्थों से मिलकर बने द्रव्य को पंचामृत कहा जाता है। इसका पान करने से भी सेहत को काफी लाभ मिलता है। आइये सबसे पहले जानते हैं कि पंचामृत में कौन से पांच अमृत शामिल होते हैं –
दूध – दूध की महत्ता तो सभी जानते हैं यह पवित्र माना जाता है इसलिये देवताओं का स्नान तक दूध से करवाया जाता है। साथ ही दूध को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। हमारी बोलचाल की भाषा में भी हम किसी की शुद्धता के लिये दूध का धुला का इस्तेमाल करते हैं यदि किसी पर संदेह हो और वह स्वयं को निष्कलंक बताये तो यही कहा जाता है ना कि यह कोई दूध का धुला थोड़े है। तो दूध के महत्व को देखते हुए ही दूध को एक प्रकार अमृत ही शास्त्रों में कहा जाता है। लेकिन यह दूध भी गाय का दूध होता है जिसे अमृत के समान कहा जाता है।
दही – दही दूध से बना ही पदार्थ है और दही को भी काफी शुभ माना जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य के लिये घर से बाहर जाते समय दही का सेवन किया जाता है। इस तरह दही को भी अमृत के समान माना जाता है और पंचामृत में एक अमृत रूप दही का भी शामिल होता है।
घी – दूध और दही के पश्चात दूध से ही घी भी बनाया जाता है गाय के दूध से बना हर पदार्थ अमृत के समान माना जाता है। देवी देवताओं की पूजा के लिये आम तौर पर शुद्ध घी का दिया जलाने को ही प्राथमिकता दी जाती है यदि सामर्थ्य न हो तो ही अन्य विकल्पों पर विचार किया जाता है। इस तरह घी भी पंचामृत में एक अमृत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
शहद – शहद भी अमृत के समान होता है। औषधि के तौर पर तो कभी से शहद का इस्तेमाल होता है। खांसी सर्दी आदि से लेकर मोटापा कम करने तक अनेक चीज़ों में शहद का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार शहद को भी अमृत माना जाता है और पंचामृत में इसे मिलाया जाता है।
चीनी – चीनी वैसे तो मिठास के लिये होती है। मिठास मधुरता का प्रतीक, खुशी का प्रतीक, सद्भावना का प्रतीक है। इस तरह चीनी को भी अमृत माना जाता है। चीनी के स्थान पर मिश्री इसके लिये ज्यादा शुद्ध और उपयुक्त मानी जाती है मिश्री को ही चीनी रूप में पंचामृत में मिलाया जाता है।
इस प्रकार दूध, दही, घी, शहद और चीनी आदि पांच अमृतों को मिलाकर ही पंचामृत का निर्माण किया जाता है। ये सभी तत्व हमारी सेहत के लिये बहुत लाभकारी होते हैं इस कारण पंचामृत के सेवन से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
यदि पंचामृत का सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिये बल्कि जिस तरह अमृत का सेवन किया जाता है उसी तरह इसे भी ग्रहण करना चाहिये। यदि पंचामृत में तुलसी की पत्तियां और डाल ली जायें और रोजाना इसका सेवन किया जाये तो मान्यता है कि कोई बी बिमारी आपके पास नहीं फटकेगी साथ ही त्वचा संबंधी रोगों से भी आप बचे रहेंगें। इसके अलावा यदि आपका इम्युनिटी सिस्टम यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो भी आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है पंचामृत के नियमित सेवन से आप इसमें सुधार महसूस कर सकते हैं। पंचामृत के सेवन से आप फैलने वाली बिमारियों यानि संक्रामक रोगों से भी काफी हद तक बच सकते हैं क्योंकि इससे आपकी रोगों से लड़ने की क्षमता में चमत्कारिक रूप से सुधार होता है।
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