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चौपाई छंद में लिखी चालीस पंक्तियों की एक काव्य रचना चालीसा कहलाती है जिसमें आराध्य देव की स्तुति का गान किया जाता है। उदाहरण के लिये तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा की ये पंक्तियां लिजिये।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहूं लोक उजागर।।
यह दो चरणों की अर्द्धाली है यानि आधी चौपाई। अर्द्धाली भी अपने आप में एक लोकप्रिय छंद है। उपरोक्त पंक्तियों जैसी 80 पंक्तियां तुलसीदास कृत इस रचना में हैं यानि 40 अर्द्धालियां हैं। इन्हीं चालीस पदों के कारण इस तरह की काव्य रचनाओं को चालीसा कहा गया। लेकिन काव्य रचना की दृष्टि से ज्यादा जनमानस पर आध्यात्मकि रुप से इन चालीसाओं ने व्यापक प्रभाव डाला है। हनुमान चालीसा इसका सजीव उदाहरण है जिसे आज हर घर, हर मंदिर एवं हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले प्रत्येक हनुमत भक्त के मुख से सुना जा सकता है। चालीसाओं की लोकप्रियता जग जाहिर है। लेकिन सधुक्कड़ी अथवा अवधि या फिर प्राचीन समय में बोली जाने वाली आम बोलचाल की भाषाओं में लिखे होने से इनका अर्थ समझने में दिक्कत आती थी। लेकिन अपने पाठकों के लिये एस्ट्रोयोगी ने इन चालीसाओं को हिंदी में सरलार्थ कर पेश किया है। आशा है पाठक पूरी श्रद्धा के साथ अपने देव की स्तुति गाते हुए इसका अर्थ भी जान सकेंगें कि वे अपने देव की स्तुति में कह क्या रहें हैं। एस्ट्रोयोगी के इस खंड में आपको अलग-अलग देवी देवताओं की प्रसिद्ध चालीसाएं अर्थ सहित पढ़ने को मिलेंगी।