
Rahu Kaal: हिंदू धर्म में मुहूर्त देख कर कार्य करने की परंपरा है। इसके लिए शास्त्रों और पंचांग में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार की समयावधि के बारे में बताया गया है। पंचांग के अनुसार कुछ समय ऐसा होता जो शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता हैं, वहीं कुछ समय ऐसे भी होते हैं जिन्हें अशुभ कहा गया है। इसमें राहुकाल या राहुकालम भी शामिल होता है। दिन के इस दौरान राहु की ऊर्जा बहुत ज्यादा प्रभावशाली होती है। राहु को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। इसलिए इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण या शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है। यहां आज आप जानेंगे कि राहु काल क्या है, इस समय कौन-से कार्यों से बचना चाहिए और किन उपायों का पालन करके अशुभ परिणामों से बचा जा सकता है।
‘राहुकाल’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है राहु और काल, यानी "राहु का समय"। राहु ज्योतिष में एक छाया ग्रह माना गया है, जो भौतिक रूप से आकाश में मौजूद नहीं होता, लेकिन इसका प्रभाव हमारे जीवन पर गहरा पड़ता है। राहु को आमतौर पर अशुभ, भ्रमित करने वाला और बाधा उत्पन्न करने वाला ग्रह माना जाता है। हर दिन राहुकाल का एक निश्चित समय होता है, जो दिन-प्रतिदिन बदलता रहता है। इस समय में कोई भी नया या शुभ कार्य करना वर्जित होता है, क्योंकि यह समय मानसिक भ्रम, निर्णय में असमर्थता और असफलता का कारण बन सकता है।
राहुकाल की गणना सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय को आठ बराबर भागों में बांटकर की जाती है। दिन के इन आठ भागों में से एक भाग राहुकाल के रूप में आता है। हर दिन यह भाग अलग-अलग समय पर आता है। उदाहरण के लिए, सोमवार को राहुकाल सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक हो सकता है, जबकि मंगलवार को इसका समय बदल सकता है। इस प्रकार राहु काल का समय लगभग डेढ़ घंटे यानी 90 मिनट तक का होता है. यह समय स्थान और सूर्योदय के समय पर निर्भर करता है, इसलिए स्थानीय पंचांग या कैलेंडर में देखकर ही सही राहुकाल जाना जा सकता है।
राहुकाल को अशुभ काल माना जाता है, इसलिए इस दौरान कई कार्यों से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है:
नया काम न करें: चाहे वह नया व्यापार हो, नौकरी ज्वाइन करना हो या कोई प्रोजेक्ट शुरू करना हो राहुकाल के समय से बचना ही बेहतर होता है।
यात्रा से बचें: किसी विशेष कार्य के लिए यात्रा पर निकलना हो तो राहुकाल में यात्रा आरंभ न करें। यह समय यात्रा में रुकावट या असफलता ला सकता है।
मांगलिक कार्य न करें: विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, या कोई भी शुभ संस्कार राहुकाल के समय नहीं किए जाते।
कुछ नया न खरीदें: इस समय वाहन, ज़मीन, सोना-चांदी, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक चीजें या कोई भी कीमती वस्तु खरीदना अशुभ माना जाता है।
पूजा-पाठ: हवन, पूजन, यज्ञ आदि भी राहुकाल के दौरान करने से बचना चाहिए क्योंकि इस समय नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है।
कॉन्ट्रैक्ट या बड़े निर्णय न लें: इस समय किसी तरह की लिखाई, साइनिंग, निर्णय लेना या बड़ा फैसला करना टालना चाहिए क्योंकि राहु भ्रम पैदा करता है।
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कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि हम राहुकाल में ही कोई जरूरी कार्य करने को मजबूर होते हैं। ऐसे में कुछ उपाय किए जा सकते हैं जिससे राहु के प्रभाव को कम किया जा सके:
अगर राहुकाल में कोई महत्वपूर्ण कार्य करना ही पड़े, तो पहले श्री हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और फिर कार्य शुरू करें।
ॐ राम राहवे नमः' मंत्र का जाप राहु के प्रभाव को शांत करने में मदद करता है। इस मंत्र को राहुकाल में जपना लाभकारी होता है।
अगर यात्रा टालना संभव न हो तो घर से निकलने से पहले दही या मीठा खा लें। कुछ लोग पान या गुड़ भी खाते हैं – यह शुभ संकेत माना जाता है।
यात्रा से पहले घर के मुख्य द्वार से उल्टी दिशा में 10 कदम चलें और फिर सही दिशा में यात्रा शुरू करें। ऐसा करने से राहु की अशुभता कम होती है।
राहुकाल के समय में मन को स्थिर करने के लिए भजन, कीर्तन, ध्यान या मंदिर दर्शन करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और मन शांत रहता है।
हालांकि यह समय शुभ कार्यों के लिए वर्जित है, लेकिन पढ़ाई-लिखाई, रचनात्मक लेखन या आत्म-चिंतन के लिए यह समय उपयुक्त माना जाता है। अगर आप विद्यार्थी हैं या रचनात्मक कार्य करते हैं तो इस समय का उपयोग शांति से अध्ययन या विचार-मंथन में कर सकते हैं। इससे आपकी मानसिक स्पष्टता भी बढ़ेगी और राहु के नकारात्मक प्रभाव से बचाव भी होगा।
राहुकाल को लेकर हिंदू ज्योतिष में गंभीरता से सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। यह समय मानसिक भ्रम, गलत निर्णय और रुकावटों का कारण बन सकता है। ऐसे में बेहतर यही है कि हम इस समय का ध्यान रखें और जब तक बहुत आवश्यक न हो, तब तक कोई भी महत्वपूर्ण कार्य राहुकाल में न करें। और अगर करना ही पड़े, तो ऊपर बताए गए उपायों को अपनाकर राहु के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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