ज्योतिषशास्त्र में राहु एक छाया ग्रह है, जो जगह और साथी ग्रह केतु के साथ मिलकर जातक के जीवन को प्रभावित करता है। कई प्राचीन ज्योतिषियों का मानना है कि राहु वैदिक ज्योतिष में सबसे शक्तिशाली ग्रह है। राहु के दोस्त ग्रह शनि, बुध और शुक्र हैं। इसके अलावा गुरु और मंगल के साथ यह तटस्थ है लेकिन सूर्य और चंद्रमा शत्रु ग्रह माने गए हैं। यह छाया ग्रह जब किसी की कुंडली में मजबूत होता है तो आध्यात्मिक झुकाव, धन लाभ की संभावनाएं, शाही रहन-सहन और विदेशी निवास की संभावना बढ़ाता है। भारत के शीर्ष ज्योतिषियों से ऑनलाइन परामर्श करने के लिए यहां क्लिक करें!
एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में यह ग्रह अशुभ स्थान में बैठ जाए या किसी अन्य ग्रह से पीड़ित हो तो यह जातक के जीवन में नकारात्मकता लाता है। यह त्वचा के कैंसर और मानसिक स्वास्थ्य जैसी विभिन्न बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार है। मालेफिक राहु के साथ लोग पड़ोस या कार्यस्थल के लोगों के साथ बार-बार संघर्ष करते हैं। इस तरह के जातक अविश्वास और विश्वासघात की भावनाओं से ग्रस्त होते हैं। वे मानसिक परेशानियों के कारण या तो रातों की नींद हराम करते हैं या फिर सपने में सरीसृप देखते हैं।
हालांकि, जन्म कुंडली में इसकी उपस्थिति पिछले कर्मों का संकेत है। इस क्रूर ग्रह का ज्योतिष में बहुत बड़ा महत्व है। यह जीवन में आलस्य और बाधाओं से भी संबंधित है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, यह कठोर वाणी, जुआ, गलत काम और त्वचा रोग आदि का कारक माना गया है। वैसे कुंडली में राहु किसी भी राशि का स्वामी नहीं है लेकिन मिथुन में यह उच्च का होता है और धनु में नीच का। यही कारण है कि जन्म कुंडली में राहु के स्थान को जानना अति महत्वपूर्ण है, और आप राहु के कमजोर स्थिति में होने और उसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिष उपाय कर सकते हैं।
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पहला भाव: यदि राहु वक्री गृह में मौजूद है तो यह एक दुखी विवाहित जीवन को जन्म देगा, प्रगति स्थिर रहेगी।
उपाय- रंगों में नीले रंग से बचना चाहिए और बिजली के उपकरणों को नहीं ढोना चाहिए। चांदी के आभूषण पहनने और बहते पानी में नारियल दान करने से इसके नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है।
दूसरा भाव: इस घर में राहु स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का कारण होगा और पारिवारिक विवाद की स्थिति भी पैदा हो सकती है। यदि कुंडली में राहु दूसरे भाव में मौजूद हो तो बड़ी दुर्घटनाएं होने की भी संभावना है।
उपाय- केसरिया या पीले रंग के कपड़े पहनना एक उपाय है। इसके अलावा, सोना जेब में रखना भी फायदेमंद साबित होगा। साथ ही, माँ के साथ एक खुशहाल रिश्ते के माध्यम से मदद मिलेगी।
चौथा भाव: कुंडली में इस भाव में चंद्रमा रहता है और राहु चंद्रमा का शत्रु है। इसके अलावा, अगर चंद्रमा यहां कमजोर है, तो राहु के साथ यह बहुत अशांति पैदा करेगा।
उपाय- चांदी पहनने और बादाम को पानी में डुबोकर रखने से चौथे घर में इसका असर कम होगा।
पांचवा भाव: ज्योतिष के अनुसार कुंडली में यदि पांचवें घर में राहु नीच का है तो अनियोजित गर्भपात होने और साथ में अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा होने की संभावनाएं हैं।
उपाय- चांदी से बना हाथी लाभकारी सिद्ध होगा। इसके अलावा, मांस-मदिरा का सेवन स्थिति और खराब कर सकता है।
छठा भाव: यह केतु और बुध का घर है इसलिए यह सकारात्मक परिणाम देगा। यह सकारात्मक होने के बावजूद अगर राहु कमजोर होता है तो जातक अपने दोस्तों या परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है।
उपाय- काले कुत्ते को पालना और सीसा कील जेब में रखने से इस घर में राहु के हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
सातवां भाव: सातवें घर में राहु के नीच स्थिति में होने से शादी के बाद पत्नी बीमार पड़ सकती है। जल्दी शादी करना असफलता की निशानी हो सकता है। इसके अलावा, राहु गंभीर माइग्रेन और शारीरिक मुद्दों का कारण बन सकता है।
उपाय- जातक को 20 की उम्र से पहले विवाह के बंधन में बंधने से बचना चाहिए। साथ ही राहु के प्रभाव से निपटने के लिए 6 नारियल भेंट करना एक उत्तम विधि होगी।
आठवां भाव: कुंडली के आठवें भाव में राहु गंभीर परिणाम देगा। यह बहुत बुरी किस्मत और गलतफहमी का कारण बनेगा। पारिवारिक जीवन में असफलताओं का सामना करना पड़ेगा और खर्च में तेजी आएगी।
उपाय- तकिये के नीचे सौंफ रखना और चाँदी का चौकोर टुकड़ा ले जाना उपयोगी होगा। साथ ही, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बचना चाहिए।
नौवां भाव: 9 वां घर भाई-बहनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों को दर्शाता है। हालांकि, अगर राहु कमजोर है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और इससे भाइयों और बहनों के बीच दरार पैदा होगी।
उपाय- शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए व्यक्ति को रोजाना सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। एक पालतू कुत्ते को पालने से और ससुराल वालों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के सकारात्मक प्रभाव होंगे।
दसवां भाव: यह घर शनि ग्रह द्वारा शासित है और राहु का मित्र शनि है। लेकिन यदि राहु नीच का है तो जातक की माँ के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालेगा।
उपाय- नीली या काली टोपी लगाना उचित होगा। दृष्टिहीन पुरुष की मदद करने से भी काफी प्रभाव पड़ सकता है।
ग्यारहवां भाव: यह शनि और बृहस्पति का घर है जो भौतिक धन का निर्धारण करता है, लेकिन केवल तभी जब पिता जीवित हो। रीढ़ और कान से संबंधित बीमारियों में राहु और इजाफा कर सकता है।
उपाय- पानी पीने के लिए चांदी के गिलास का उपयोग करें और कभी भी बिजली के उपकरणों को उपहार के रूप में स्वीकार न करें।
बारहवां भाव: बृहस्पति का घर, यह अवसाद और अनिद्रा जैसी बड़ी मानसिक बीमारी का कारण होगा। यदि राहु क्रूर है तो जातक पर लगाए गए झूठे आरोप मानसिक तनाव का कारण बनेंगे। संभावित शत्रुओं के साथ साझेदारी करने से असफलता मिलेगी।
उपाय- सौंफ रखने से जातक को राहु के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद मिलेगी।
राहु को बली बनाने के लिए जातक को किसी कोढ़ी को काले-नीले फूल, गोमेद, नारियल, मूली, सरसों, नीलम, कोयला, नील वस्त्र दान में देना चाहिए।
राहु की दशा को सुधारने के लिए लोहे के हथियार, नीला वस्त्र, कम्बल, लोहे की चादर, तिल, सरसों तेल, विद्युत उपकरण, नारियल एवं मूली दान करना चाहिए।
राहु की शांति के लिए सफाईकर्मी को लाल अनाज दान में देना चाहिए।
राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत रखना चाहिए और राहु मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
राहु के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सिरहाने पर जौ रखकर सोएं और सुबह उठकर दान कर दें।
राहु से पीड़ित जातक को गोमेद रत्न धारण करना चाहिए या अष्टधातु का कड़ा दाएं हाथ पर पहनना चाहिए।
राहु के सकारात्मक प्रभाव के लिए हाथी दांत का लॉकेट पहनना शुभ माना जाता है।
जितना हो सके गहरे नीले रंग के कपड़े पहनने की कोशिश करनी चाहिए।
राहु के प्रभाव को कम करने के लिए अपने साथ एक मोर पंख भी रख सकते हैं।
आपको मुफ्त में कुछ भी लेने से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
राहु को शांत कराने के लिए कुत्ते को पालना चाहिए और खाना खिलाना चाहिए।
यदि राहु प्रतिकूल है, तो आपको हमेशा अपने सिर को एक टोपी, स्कार्फ या पगड़ी के साथ कवर करके रखना चाहिए।
कुछ भी पीने के लिए आपको चांदी के गिलास का इस्तेमाल करना चाहिए।
नहाते समय पानी में एक कप दूध मिलाएं। राहु के कुप्रभाव को कम करने के लिए इसे 43 दिनों तक करें।
राहु की दशा को सुधारने के लिए लोहे के बर्तन में भोजन करना उचित माना जाता है।
राहु का वैदिक मंत्र
ऊँ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा। कयाशश्चिष्ठया वृता ।।
राहु का तांत्रिक मंत्र
ऊँ ऎं ह्रीं राहवे नम:
ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
ऊँ ह्रीं ह्रीं राहवे नम:
राहु का सामान्य मंत्र
ऊँ रां राहवे नम:
राहु का पौराणिक मंत्र
ऊँ अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्यविमर्दनम ।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम ।।
नोट - कमजोर राहु को मजबूत बनाने के लिए किए जा रहे उपायों को यदि शनिवार के दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) एवं शनि की होरा में करते हैं, तो यह अधिक फलदायी होते हैं।