सौरमंडल के नवग्रहों में से शनि पृथ्वी पर जातक के जीवन को सबसे प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। शनि को भगवान सूर्य का पुत्र कहा जाता है और उन्हें हमेशा परेशानियों, गड़बड़ियों, गंभीर अवसाद और बिखराव के लिए याद किया जाता है। कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें घर में शनि को शक्तिशाली माना जाता है। अन्य घरों में वह कम, औसत या प्रतिकूल परिणाम देते हैं।
व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र पर शनि का विशेष प्रभाव होता है। यह माना जाता है कि हमारे शरीर में लौह तत्व की प्रचुरता होती है। चूंकि लोहा शनि का धातु है, इसलिए हमारे शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शरीर में आयरन की कमी से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। भारत के शीर्ष ज्योतिषियों से ऑनलाइन परामर्श करने के लिए यहां क्लिक करें!
शनि न्याय का ग्रह है। वह एक न्यायाधीश के रूप में काम करता है और एक व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए कर्म के आधार पर दंडित करता है। साढ़े साती और शनि महादशा की अवधि के दौरान बुराई करने वालों को दंडित किया जाता है। जो जातक धार्मिक होते हैं, शनि ऐसे जातकों के उत्तम घर में बैठकर उनको हर सुख-सुविधा देता है। दुष्ट कर्ताओं के लिए, वह कुंडली में दुर्बल के रूप में बैठता है और उसे जीवन के हर क्षेत्र में असफलता देकर परेशान करता है। ऐसे जातकों के अधिकारी और वरिष्ठ उसके साथ सहयोग नहीं करते हैं। उसे अपने घर में शुभ अनुष्ठानों के लिए कोई अवसर नहीं मिलता है। फोबिया, गठिया के दर्द, कमजोर तंत्रिका तंत्र, कैंसर, अल्सर शनि से संबंधित कुछ गंभीर बीमारियां हैं।
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कुंडली के दूसरे, तीसरे और सातवें से बारहवें भाव में शनि अच्छा माना जाता है, जबकि पहले, चतुर्थ, पांचवें और छठें घर में शनि का बैठना बुरा माना जाता है।
पहला भाव: कुंडली के पहले घर में यदि शनि कमजोर है तो यह जातक को गरीब बना देता है। साथ ही जीवन में चिंताओं और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरा भाव: दूसरे भाव में शनि का नीच ग्रहों के साथ होने पर जातक को विवाह के बाद ससुराल में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
तीसरा भाव: कुंडली के तृतीय घर में शनि के कमजोर होने पर जातक को वाहन चलाते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए और जातक को मानसिक बीमारियां परेशान कर सकती हैं।
चतुर्थ भाव: चतुर्थ भाव में शनि के दुर्बल होने से आपके परिवार के लोग मदिरापान करने लगेंगे और सांप की हत्य करने से बहुत बुरे परिणाम प्राप्त होंगे।
पांचवां भाव: यह घर सूर्य से संबंधित है, जो शनि के लिए अयोग्य है। जातक को 48 साल तक घर नहीं बनाना चाहिए, अन्यथा उसका बेटा पीड़ित होगा। उसे अपने बेटे द्वारा खरीदे गए या निर्माण किए गए घर में रहना चाहिए।
छठा भाव: जब शनि छठे घर में विराजमान होता है, तो शनि से जुड़ी चीजें, जैसे चमड़े और लोहे की चीजें लाना, बुरे परिणाम देगा।
सातवां भाव: यदि जातक व्यभिचार करता है और शराब पीता है तो शनि कमजोर हो जाता है। अगर जातक 22 साल बाद शादी करता है तो उसकी आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
आठवां भाव: 8 वें घर में, कोई भी ग्रह शुभ नहीं माना जाता है। जातक का लंबा जीवन होता है, लेकिन उसके पिता का जीवनकाल छोटा होता है
यह घर शनि के मुख्यालय के लिए माना जाता है,लेकिन यह खराब परिणाम देगा अगर बुध,राहु,और केतु जन्म कुंडली में नीच ग्रह हैं।
ग्यारहवां भाव: कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि का राहु और केतु से साथ होने से जातक चतुरता और छल से पैसा कमाएगा।
शनि को बली बनाने के लिए काली गाय का दान करना चाहिए।
दान में काले कपड़े, उड़द दाल, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों का तेल, बर्तन और अनाज दान करना चाहिए।
शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए।
शनिवार को लोहे के बर्तन में दही, चावल और नमक मिलाकर कौओं को खिलाना चाहिए।
शनि की दशा में सुधार के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है।
कुंडली में शनि को मजबूत करने के लिए मोर पंख धारण करना उत्तम रहता है।
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीच तिली के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार को लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार को बाल या दाढ़ी-मूंछ नहीं कटवाने चाहिए।
कुंडली में कमजोर शनि होने पर भिखारियों को जूते दान करने चाहिए।
शनि को बली बनाने के लिए मांस-मदिरा और शराब से बचना चाहिए।
शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए, नीली नीलम रत्न भी पहन सकते हैं।
आपको झूठ बोलने और धोखा देने से भी दूर रहना चाहिए। किसी भी कानूनी मामले में लिप्तता से भी बचना चाहिए।
आपको विपरीत लिंग के साथ फ़्लर्ट करने के अवसरों से बचना चाहिए और अपने साथी के साथ कभी भी विश्वासघात नहीं करना चाहिए।
अंधे व्यक्तियों की सहायता करना भी शनि को शांत करता है।
शनि का एक और प्रभावी उपाय है कि पेड़ों को कभी न गिराएं।
शनि के नकारात्मक प्रभाव वाले लोगों को कभी भी सर्प या किसी सरीसृप को भी नहीं मारना चाहिए।
आपको शनि के कुप्रभाव को कम करने के लिए रात में दूध पीने से बचना चाहिए। इसके अलावा, हमेशा गाय का दूध ही लेना पसंद करें।
आप चांदी की एक छोटी सी गेंद भी खरीद सकते हैं और इसे अपने बटुए या पर्स में हर समय रख सकते हैं।
शनि को शांत करने के लिए, आपको गहरे हरे रंग के कपड़े पहनने की कोशिश करनी चाहिए।
साढ़े साती या ढैय्या से पीड़ित जातक को काले घोड़े की नाल और नाव की कांटी से बनी अंगूठी भी काफी लाभप्रद होती है परंतु धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से सालह ले लें।
शनि का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:
शनि का बीज मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
शनि का वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये
शनि का सामान्य मंत्र - ॐ शं शनैश्चराय नमः
नोट - कमजोर शनि को मजबूत बनाने के लिए किए जा रहे उपायों को यदि आप शनिवार के दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) एवं शनि की होरा में करते हैं, तो यह अधिक फलदायी होते हैं।