Raksha Bandhan 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधतीं हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करतीं हैं। वहीं, भाई भी जीवनभर अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं। यह त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम का प्रतीक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुभ मुहूर्त में राखी बांधने का बहुत अधिक महत्व होता है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा के समय बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधना अशुभ माना जाता है। राखी के दिन भद्रा का ख़ास ध्यान रखा जाता है। इस त्यौहार के पूर्णिमा पर पड़ने के कारण रक्षाबंधन(Raksha Bandhan) को राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023, बुधवार के दिन सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रही है।
रक्षा बंधन पर मुहूर्त को ध्यान में रखकर राखी बांधना शुभ माना जाता है। इस बार पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को प्रातः 10:27 तक रहेगी। इसके साथ में सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर भद्रा लग जाएगी तथा रात्रि 08:30 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के मुताबिक भद्राकाल में राखी नहीं बांधना चाहिए पर ज्योतिष आचार्यों की मान्यताओं के जब भद्रा पाताल में होती है तो इस दौरान राखी बांधी जा सकती है। और अभिजीत मुहूर्त, अमृत काल और विजय मुहूर्त में भी राखी बांध सकते है। इस दिन सुबह 05 बजकर 48 मिनट से 06 बजकर 53 मिनट तक रवि योग रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:52 तक है
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:39 से 3:32 तक है
अमृत काल: सायं 06:55 से 08:20 तक है
रक्षाबंधन के त्योहार पर भाई को शुभ मुहूर्त में राखी बांधनी चाहिए। इसके साथ ही एक थाली में रोली, चंदन, अक्षत, दही, राखी, मिठाई और घी का दीपक रखें।
इस थाली से पहले भगवान का तिलक कर उनको रक्षा सूत्र भी बांधें, फिर आरती करें।
इसके पश्चात भाई अपना मुख उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ करके बैठें, और अब बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करें, साथ ही उसकी कलाई पर राखी बांधें।
भाई की कलाई पर राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को कुछ मीठा खिलायें और उसकी लंबी उम्र की कामना करें।
भाइयों को भी बहनों को कुछ न कुछ भेंट अवश्य देनी चाहिए और बहनों के चरणस्पर्श करते हुए, उनकी रक्षा के लिए वचन दें।
देशभर के बहन-भाइयों के लिए रक्षाबंधन का त्योहार विशेष महत्व रखता है। इस पर्व का सभी बहनों को बेसब्री से इंतजार रहता है। आज के समय में कई तरह की रंग-बिरंगी एवं सुंदर राखियां बाजार में मिलने लगीं है। रक्षासूत्र के स्थान पर आज के दौर में राखियों को ही बांधा जाने लगा है।
प्राचीन समय में बहन अपने भाई के हाथ में रेशम का धागा बांधा करती थीं, इस धागे को रक्षा सूत्र कहा जाता है। मान्यता है कि यह रक्षा सूत्र भाइयों की हर संकट से रक्षा करता है और बहनें इस दिन भाई की दीर्घायु, खुशी व संपन्नता के लिए भी कामना करतीं हैं।
भारत में रक्षाबंधन का पर्व प्राचीनकाल से ही मनाया जा रहा है इसलिए इस त्योहार के साथ अनेक कथाएं एवं मान्यताएं जुड़ीं हैं, जो इसी प्रकार है:
कृष्ण ने द्रौपदी को दिया था रक्षा का वचन
महाभारत के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया था। इस वजह से भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट लग गयी थी, जिससे रक्त बहने लगा था। उस समय यह दृश्य देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू का टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली में बांधा था। इस दौरान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को जीवनभर रक्षा करने का वचन दिया था। मान्यता है कि तब से रक्षााबंधन का पर्व मनाया जाने लगा। इसके अलावा भी रक्षा बंधन को लेकर कई कथायें प्रचलित हैं।
रानी कर्णावती ने हुमांयु को माना था अपना भाई
चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने राजा हुमांयु को राखी भेजकर अपनी रक्षा करने के लिए वचन मांगा था। इस पर राजा हुमांयु ने भी गुजरात के राजा से रानी कर्णावती की रक्षा की। मान्यता है कि इस दिन से अन्य धर्मों के लोग भी रक्षाबंधन का पर्व मनाने लगे।
कुंडली के विशलेषण के लिए अभी बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषियों से एस्ट्रोयोगी पर
✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी