5 अगस्त को क्यों रखा गया श्रीराम मंदिर भूमि पूजन का मुहूर्त? जानिए ज्योतिष की दृष्टि से

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5 अगस्त को क्यों रखा गया श्रीराम मंदिर भूमि पूजन का मुहूर्त? जानिए ज्योतिष की दृष्टि से

श्री रामलला के मंदिर का शिलान्यास 5 अगस्त 2020 को होगा। भारत के प्रधानमंत्री राम मंदिर भूमि पूजन (ram mandir bhumi pujan) कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे। वहीं 5 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 15 मिनट 47 सेकेंड तक को भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त माना गया है। दरअसल इस दिन अभिजीत मुहूर्त और धनिष्ठा नक्षत्र होने की वजह से सर्वार्थ सिद्ध योग की प्राप्ति होगी। इसको सबसे शुभ मुहूर्त बताया गया है। तो चलिए हम आपको एस्ट्रोयोगी के एस्ट्रोलॉजर के अनुसार विस्तार से बताते हैं।

 

अभिजीत मुहूर्त और भाद्रपद प्रारंभ

वैदिक ज्योतिष (Vedic Jyotish) के अनुसार, 5 अगस्त को भाद्रपद माह शुरू होने जा रहा है और सूर्य सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। साथ ही इस दिन दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त है और इस मुहूर्त में शुरू किए गए शुभ कार्य का परिणाम फलदायी मिलता है। इसके अलावा मुहूर्त में ही भगवान श्री राम का जन्म भी हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त को सबसे सर्वोत्तम माना जाता है और यह प्रत्येक दिन दोपहर से करीब 24 मिनट पहले शुरू होता है और मध्यान्ह के 24 मिनट बाद समाप्त हो जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि सुबह 6 बजे सूरज निकलता है तो अभिजीत मुहूर्त 12 बजे शुरू होगा और 12.24 पर समाप्त हो जाएगा। हिंदू समयानुसार दिन में 30 मुहूर्त होते हैं। 15 सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच और 15 सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच। 

 

धनिष्ठा नक्षत्र और शतभिषा नक्षत्र

ज्योतिषाचार्य की माने तो भूमि पूजन का कार्यक्रम धनिष्ठा नक्षत्र पर शुरू होने वाला है। आकाश में यह नक्षत्र 23वां है और इसके स्वामी मंगल है। इस नक्षत्र के देवता वसु हैं। इस नक्षत्र का संबंध भगवान भोलेनाथ और श्रीकृष्ण से भी है। साथ ही इस कार्यक्रम का अंत शतभिषा 27 नक्षत्रों में 24वें स्थान पर है। इस नक्षत्र का स्वामी राहु और देवता वरूण हैं। शतभिषा का मतलब है 100 चिकित्सक, इसलिए यह नक्षत्र 100 अभिलाषाओं को पूरा करता है। इस नक्षत्र में मुहूर्त की समाप्ति संकेत करती है कि मंदिर निर्माण का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न होगा और शुभता को दर्शाएगा।

 

भूमि पूजन विधि

सबसे पहले वर्तमान प्रधानमंत्री ताम्र कलश स्थापित करेंगे। तत्पश्चात, गंगाजल के साथ सभी तीर्थों का जल, सभी औषधि, पंचरत्न रखे जाएंगे। इसके साथ ही करीब साढ़े तीन फीट की गड्ढा खोदकर पाताललोक के देवता शेषनाम को प्रसन्न करने के लिए चांदी का नाग-नागिन और चांदी के कछुए को भी स्थापित किया जाएगा। मंगल कलश को सेवर घास रखकर सभी तीर्थों के गंगाजल से भरा जाएगा। कलश स्थापित करने के बाद वैदिक वास्तु के अनुसार, पीएम मोदी 32 सेकेंड में नंदा, जया, भद्रा, रिक्ता और पूर्णा के रूप में 5 शिलाओं का पूजन करेंगे।

 

वास्तु के अनुसार कैसा होगा राम मंदिर 

इस बार वास्तु की दृष्टि से राम मंदिर के मूल मॉडल में कोई ज्यादा परिवर्तन नहीं किया गया है, केवल मंदिर के शिखर की ऊंचाई को बढ़ाकर 161 फुट कर दिया गया है। मंदिर के स्तंभों की संख्या 2 से बढ़ाकर 5 कर दी गई है और इनके नीचे 4 हिस्से किए जाएंगे। इसमें से सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंगमंडप बनेगें। इसके अलावा मंदिर के क्षेत्रफल में भी वृद्धि की गई है। साथ ही मंदिर में वही पत्थर लगेंगे जिसको राम मंदिर की की कार्यशाला में तराश कर रखा गया है। 

 

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