
Shani Jayanti 2025: आज 27 मई 2025, मंगलवार को एक दुर्लभ संयोग बन रहा है — शनि जयंती और ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगल एक ही दिन पड़ रहा है। ऐसे शुभ अवसर पर ग्रहों की चाल और योगों के प्रभाव से शनि और मंगल की कृपा एक साथ मिल सकती है। खासतौर पर उन लोगों के लिए ये दिन बेहद खास है, जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या चल रही है। अगर आप भी जीवन में संघर्ष, रुकावटें, मानसिक तनाव, या आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, तो आज के दिन कुछ विशेष उपाय करके इन कष्टों को कम किया जा सकता है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि शनि जयंती पर किन लोगों को कौन-कौन से उपाय करने चाहिए, ताकि शनिदेव की कृपा प्राप्त हो सके और साढ़ेसाती-ढैय्या के प्रभाव से राहत मिले।
शनि जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाती है और 2025 में यह तिथि 27 मई मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र और सुकर्मा योग जैसे अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं।
शुभ योगों का विवरण:
सुकर्मा योग: 27 मई सुबह 02:54 बजे से रात 10:54 बजे तक
धृति योग: 27 मई रात 10:54 से 28 मई शाम 07:08 बजे तक
रोहिणी नक्षत्र: 27 मई सुबह 05:32 से 28 मई सुबह 02:50 तक
मृगशीर्षा नक्षत्र: 28 मई सुबह 02:50 से 29 मई सुबह 12:29 तक
इन योगों में किया गया पूजा-पाठ और उपाय विशेष फलदायी माने जाते हैं।
शनि जयंती को शनिदेव का जन्मदिवस माना जाता है। शास्त्रों में शनिदेव को न्याय के देवता और कर्मों के फल देने वाला ग्रह कहा गया है। जो जैसा कर्म करता है, शनिदेव वैसा ही फल देते हैं। यदि जीवन में संघर्ष, असफलता, मानसिक तनाव, मुकदमे, नौकरी में अड़चन या पारिवारिक कलह हो रही है, तो समझिए कि शनि आपसे कुछ विशेष संदेश देना चाह रहे हैं।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या एक विशेष ग्रह गोचर के समय बनती है। वर्तमान में जिन राशियों पर इनका असर है:
साढ़ेसाती चल रही है:
कुंभ राशि
मीन राशि
मेष राशि
ढैय्या चल रही है:
सिंह राशि
धनु राशि
अगर आपकी राशि इनमें से कोई है, तो आज के दिन विशेष पूजा और उपाय जरूर करें।
यह भी पढ़ें: नई गाड़ी में किस भगवान की मूर्ति रखें? जानें सही मूर्ति, दिशा और वास्तु नियम
आज सुबह स्नान आदि करके नजदीकी शनि मंदिर जाएं और शनिदेव को काले तिल, काले वस्त्र, लोहे का सामान, और सरसों के तेल का दीप अर्पित करें। शनिदेव के चरणों में नीले फूल अर्पण करें और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
आज के दिन पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात बार पेड़ की परिक्रमा करें। पीपल में जल अर्पित करें और “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि पीपल में शनिदेव का वास होता है।
गरीब और जरूरतमंदों को काले तिल, काला कपड़ा, कंबल, लोहे का बर्तन या सरसों का तेल दान करें। दान करने से शनि दोष शांत होता है और मन को शांति मिलती है।
यदि संभव हो तो आज से शनिवार व्रत की शुरुआत करें। हर शनिवार को व्रत रखें, काली चीजों का दान करें, और हनुमान जी तथा शनिदेव की आराधना करें।
आज बड़ा मंगल भी है, और हनुमान जी को शनिदेव का गुरु माना गया है। इसलिए आज हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ अवश्य करें। यह शनि दोष के प्रभाव को कम करता है।
शनिदेव की मूर्ति पर सरसों का तेल अर्पित करें।
काले कुत्ते, काले कौवे, और पीपल के पेड़ की सेवा करें।
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” इस बीज मंत्र का जाप करें।
किसी अंधे या वृद्ध को भोजन करवाएं या जरूरत की चीजें दान करें।
तेल से बनी चीजों का भोग शनिदेव को लगाएं और फिर उसे गरीबों में बांट दें।
हर शनिवार सरसों के तेल में अपनी परछाई देखकर उसे शनि मंदिर में चढ़ाएं।
हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर जाकर सिंदूर चढ़ाएं।
लोहे की अंगूठी में काले घोड़े की नाल धारण करें (ज्योतिष सलाह से)।
घर में तुलसी का पौधा लगाएं और उसकी सेवा करें।
यह भी पढ़ें: साल 2025 में विवाह के लिए शुभ मांगलिक मुहूर्त
शनि बीज मंत्र:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥
शनि गायत्री मंत्र:
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकायाय धीमहि। तन्नः मन्दः प्रचोदयात॥
शनि स्तोत्र (दशरथ कृत):
नमः कृष्णाय नीळाय शितिकण्ठनिभाय च। नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः॥
इन मंत्रों का जाप आज के दिन कम से कम 108 बार करें। इससे मानसिक शांति और ग्रह दोषों में राहत मिलती है।
झूठ बोलने से बचें।
किसी से कटु भाषा में बात न करें।
बिना वजह क्रोध न करें।
किसी गरीब, असहाय या बुज़ुर्ग का अपमान न करें।
शनिदेव की पीठ की ओर मुख करके पूजा न करें।
शनि जयंती 2025 का यह विशेष दिन आपकी किस्मत बदल सकता है, बशर्ते आप श्रद्धा और विधि-विधान से शनि पूजा करें। अगर आप शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं, तो आज का दिन आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उपरोक्त बताए गए उपायों को अपनाकर आप शनिदेव की कृपा पा सकते हैं और अपने जीवन में चल रही अड़चनों को धीरे-धीरे दूर कर सकते हैं।
संबंधित लेख
शनि शिंगणापुर मंदिर | शनिदेव की आरती | शनिवार आरती | श्री शनि चालीसा | शनिदेव - कैसे हुआ जन्म और कैसे टेढ़ी हुई
शनि त्रयोदशी - प्रदोष व्रत कथा व पूजा विधि | शनिदेव - क्यों रखते हैं पिता सूर्यदेव से वैरभाव | शनि दोष – जब पड़े शनि की मार करें यह उपचार
अगर आप अपनी कुंडली के आधार पर किसी महत्वपूर्ण कार्य को करने के लिए शुभ समय जानना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल होगी बिलकुल फ्री।