जब भी जातक की कुंडली की बात की जाती है तो सबसे पहले उसमें शनि की दशा देखी जाती है। शनि अच्छा है या बूरा यह जातक के भविष्य के लिये बहुत मायने रखता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि महाराज को सूर्यदेव का पुत्र माना जाता है लेकिन यह भी माना जाता है कि शनि की अपने पिता से कुछ खास नहीं जमती यहां तक शनि ने अपनी दृष्टि डालकर सूर्य को काला तक कर दिया था। सूर्य को भगवान शिव से इससे निजात पाने का उपाय पूछना पड़ा था। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि शनिदेव कितने शक्तिशाली होंगें और क्यों उनका प्रसन्न होना इतना मायने रखता है। शनिदेव की पूजा के लिये भारत भर में अनेक धार्मिक स्थल हैं, मंदिर हैं। लेकिन महाराष्ट्र के पूणे से थोड़ी दूर अहमदनगर के एक गांव शिंगणापुर में स्थित शनिधाम आजकल पूरी दुनिया में चर्चित हो चुका है। दरअसल शनि शिगणापुर धाम में पिछले 400 वर्षों से महिलाओं को तेलाभिषेक करने नहीं दिया जाता था लेकिन हाल ही में न्यायालय के आदेश पर शिगणापुर मंदिर ट्रस्ट को यह अनुमति देनी पड़ी। तो आइये जानते हैं इस मंदिर की खासियत और उससे जुड़ी कहानी के बारे में।
कहा जाता है कि शिंगणापुर गांव में एक बार बड़े जोर की बाढ़ आयी और इसी बाढ़ में एक बड़ा ही अजीबो-गरीब पत्थर भी बहकर आया। जब बाढ़ का जोर कुछ कम हुआ तो गांव के एक व्यक्ति ने इसे पेड़ में अटका देखा। पत्थर अजीब था इसलिये कीमती जान इसे नीचे उतारने लगा जैसे ही उसने नुकीली चीज से उस पत्थर को खिंचना चाहा तो जहां से पत्थर को छुआ वहां से रक्त की धार छूट गई, यह देखकर वह व्यक्ति घबरा गया और गांव वालों को इस बारे में बताया। अब गांव वाले भी हैरान। किसी को समझ नहीं आये क्या किया जाये। ऐसे में रात हो गई लेकिन पत्थर वहां से नहीं हिला लोग अगले दिन पर बात छोड़ घर वापस चल दिये। बताया जाता है कि रात को गांव के ही एक सज्जन को स्वयं शनि महाराज ने स्वपन में दर्शन दिये और कहा कि वह पत्थर के रुप में स्वयं ही हैं उसकी स्थापना करवाओ। अगले दिन गांववालों को जब स्वपन की बात पता चली तो उसकी स्थापना की योजना बनाने लगे लेकिन पत्थर फिर भी टस से मस न हो। उस रात फिर शनि महाराज ने दर्शन दिये और बताया कि रिश्ते में मामा-भांजा ही उसे उठा सकते हैं। अगले दिन मामा-भांजा ने उन्हें उठाया तो बड़ी आसानी से उसकी स्थापना कर दी गई।
शनि महाराज के इस शिंगणापुर धाम की एक खासियत यह भी है कि यहां शनि महाराज का यह स्वयं भू स्वरुप किसी छत के नीचे नहीं है। इस बारे में भी कहा जाता है कि जब उक्त व्यक्ति ने कहा कि महाराज मंदिर कैसा हो तो इस पर स्वयं शनि महाराज ने कहा कि खुले में इसकी स्थापना हो क्योंकि पूरा आसमान ही उनकी छत है। फलस्वरुप आप जाकर देख सकते हैं इस शनिधाम में किसी प्रकार का छत्र या फिर गुंबद नहीं है बल्कि खुले आसमान के नीचे संगमरमर के चबूतरे पर उनका यह स्वरुप विराजमान है। मंदिर में स्थित इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग पांच फीट नौ इंच चौड़ी है जबकि चौड़ाई लगभग एक फीट छह इंच।
सदियों पुरानी परंपरा जिसमें स्त्रियों द्वारा भगवान शनि का तैलाभिषेक वर्जित था हाल ही में टूट गई जिसके पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से अनेक बातें कही जा रही हैं। यह परंपरा टूटने से स्थानीय लोग किसी अनिष्ट के होने को लेकर आशंकित हैं।
पुरुषों के लिये भी शनि महाराज की पूजा आसान नहीं है। सर्दी हो गर्मी हर मौसम में खुले में स्नान कर पितांबर धोती धारण कर ही शनि महाराज की पूजा करने दी जाती है। इसके बगैर कोई भी पुरुष शनि प्रतिमा को छू नहीं सकता हालांकि यहां पर स्नान और वस्त्रादि की अच्छी सुविधाएं मंदिर प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाई जाती हैं।
शिंगणापुर गांव इस शनिधाम के कारण ते सुर्खियों में बना ही रहता है लेकिन एक और चीज है जिसके लिये पूरी दुनिया में उसनी अपनी एक अलग जगह बनाई है। यहां पूरे गांव में किसी भी घर में दफ्तर में यहां तक कि बैंक तक में ताले तो दूर दरवाजे तक नहीं हैं। इसके पिछे की मान्यता यही है कि यहां के निवासियों व उनके साजो सामान की रखवाली स्वयं भगवान शनि करते हैं। शनि के डर से ही कोई भी चोरी का साहस नहीं कर पाता। कभी कभार कोई ऐसी जुर्रत करता भी है तो उसका अंजाम बहुत बूरा होता है। कहते हैं चोरी का सामान लेकर चोर गांव की सीमा भी पार नहीं कर पाते। खून की उलटियां होने लगती हैं या फिर सामान सहित वह पकड़ा जाता है।
वैसे तो आजकल दुनिया के किसी भी कौने में पहुंचना मुश्किल नहीं है लेकिन शिंगणापुर धाम जाना तो बिल्कुल आसान है। शिरड़ी साईं धाम से शनि महाराज के इस धाम की दूरी 70 किलोमीटर है तो महाराष्ट्र के नासिक से भी दूरी 170 किलोमीटर पड़ती है। औरंगाबाद से यह 68 किलोमीटर दूर है। अहमद नगर से महज 35 किलोमीटर इस शिंगणापुर गांव स्थित शनि धाम में आप रेलमार्ग, सड़कमार्ग हर तरीके के यातायात से पहुंच सकते हैं।
संबंधित लेख
शनि जयंती 2019 | शनि शिंगणापुर मंदिर | शनिदेव की आरती | शनिवार आरती | श्री शनि चालीसा | शनिदेव - कैसे हुआ जन्म और कैसे टेढ़ी हुई
शनि त्रयोदशी - प्रदोष व्रत कथा व पूजा विधि | शनिदेव - क्यों रखते हैं पिता सूर्यदेव से वैरभाव | शनि दोष – जब पड़े शनि की मार करें यह उपचार
शनि परिवर्तन 2017 | शनि वक्री - शनि की वक्री चाल, जानें राशिनुसार अपना हाल