क्या आप रूद्राक्ष धारण करने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बहुत ही सहायक सिद्ध होगा। इस लेख में आप जान सकेंगे कि, रूद्राक्ष क्या है?, इसके अलौकिक गुण क्या हैं, इसकी विशेषता क्या हैं?, रूद्राक्ष कैसे धारण करें और सबसे महत्वपूर्ण बात असली रूद्राक्ष की पहचान कैसे करें? तो आइए जानते इन अहम पहलुओं के बारे में...
रूद्राक्ष शब्द मात्र लेने से ही भगवान शिव की विराट छवि सामने ऩजर आ जाती है। रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र और अक्सा नामक शब्दों से मिलकर बना है। रुद्र महादेव के वैदिक नामों में से एक है और अक्सा का अर्थ है अश्रु की बूँद। अत: इसका शाब्दिक अर्थ भगवान रुद्र के आसुं से है।
मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं रूद्राक्ष के विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा है कि मनुष्य के रुद्राक्ष धारण करने मात्र से उसके सैकड़ों जन्मों के अर्जित पापों का नाश हो जाता है। रुद्राक्ष की विशेषता यह है कि इसमें स्पदंन होता है। जो आपके लिए ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बनाता है, जिससे बाहरी नकारीत्मक ऊर्जा आपको परेशान नहीं कर पाती हैं। रूद्राक्ष धारण करने से मन से भय समाप्त हो जाता है। जिन व्यक्तियों को कार्य के संबंध में अधिकतर यात्राएं करनी पड़ती हैं और विभिन्न स्थानों पर निवास करना पड़ता है, उन्हें खासकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। माना जाता है कि रूद्राक्ष धारण किए हुए व्यक्ति की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इसे धारण करने से कई तहर के रोग आपसे दूर रहते हैं।
वर्तमान समय में बाजार में रुद्राक्ष बड़ी ही आसानी से मिल जाता है। परंतु रूद्राक्ष असली है या नकली इसकी पहचान कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। यदि आप रूद्राक्ष खरीदने जा रहे हैं या खरीद चुके हैं तो यह उपाय कर आप असली रूद्राक्ष का पता लगा सकते हैं। आप रूद्राक्ष को तकरीबन एक घंटे पानी में उबालें। यदि रूद्राक्ष इस बीच अपना रंग छोड़ने लगे तो समझ जाएं कि रूद्राक्ष नकली है। इलके अलावा आप तेल का प्रयोग करके भी असली और नकली का भेद जान सकते हैं। इसके लिए आपको शुद्ध सरसों के तेल का आवश्यकता पड़ेगी। एक छोटी कटोरी में शुद्ध सरसों का तेल भर लें, इसके बाद रूद्राक्ष को इसमें डालें और निकालकर देखें। यदि रूद्राक्ष का रंग पहले के मुकाबले गहरा गया है तो समझ जाएं कि रूद्राक्ष बिलकुल असली है। ध्यान रखें कि खंडित, कांटों से रहित या कीट लगे हुए रुद्राक्ष को कदापि धारण ना करें। गोल एकमुखी रुद्राक्ष बहुत अत्यंत दुर्लभ है। इसलिए नकली बनाकर इसे महंगे दामों पर बेचा जाता है। यहां तक कि रुद्राक्ष पर नकली शिवलिंग, त्रिशूल, तथा ॐ आदि के पवित्र चिह्न बनाकर भी बेचे जा रहे हैं।
शास्त्रों के अनुसार रूद्राक्ष धारण करने का शुभ समय ग्रहण काल में, कर्क और मकर संक्रांति के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा और पूर्णा तिथि है। इस दिन रूद्राक्ष धारण करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा आप रुद्राक्ष किसी भी सोमवार के दिन धारण कर सकते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसे भगवान शिव के चरणों से स्पर्श करवाएं और यदि संभव हो तो महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप कर से धारण करें। ऐसा करने से रूद्राक्ष और भी प्रभावशाली हो जाएगा। इसका शुभफल आपको प्राप्त होगा। ऑफिस में नहीं हो रहा प्रमोशन? तो हो सकता है आपके कुंडली में सूर्य दोष, निदान के लिए परामर्श करें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से।
विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात शास्त्रों में कही गई है परंतु आमतौर रूदाक्ष नाभि के ऊपर ही धारण किया जाता है। रुद्राक्ष को भूलकर भी कभी अंगूठी में धारण नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से रूद्राक्ष की पवित्रता नष्ट हो जाती है। रुद्राक्ष धारण कर कभी भी प्रसूति गृह, श्मशान घाट या किसी की अंतिम यात्रा में न जाए। यहां महिलाओं को ध्यान देने की आवश्यता है, महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष को धारण न करें। माना जाता है कि तीर्थ स्नान, दान, यज्ञ, पूजन व श्राद आदि दैविक कार्य बिना रुद्राक्ष धारण किए ही किया जाएं, तो ये सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं।
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