
Saraswati Mata Aarti 2025: सनातन धर्म में देवी सरस्वती को ‘विद्या, बुद्धि, संगीत और कला की देवी’ माना जाता है। उनके भक्त मानते हैं कि मां सरस्वती की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है, उसकी स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है और वह अपने लक्ष्य की ओर तीव्रता से अग्रसर होता है। खासकर विद्यार्थियों, कलाकारों, लेखकों, शिक्षकों और संगीतकारों के लिए मां सरस्वती की आरती विशेष फलदायी मानी जाती है।
रोजाना करें मां सरस्वती की आरती
अगर आप भी चाहते हैं कि आपको पढ़ाई, संगीत, लेखन, कला या जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता मिले तो आपको रोजाना मां सरस्वती की आरती अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से न केवल आपकी स्मरण शक्ति बढ़ेगी बल्कि आप मानसिक रूप से अधिक सक्रिय और शांत अनुभव करेंगे।
मां सरस्वती की आरती करने से मन में एक अलग ही ऊर्जा का संचार होता है। यह आरती न केवल देवी की कृपा को आकर्षित करती है, बल्कि हमारे जीवन से मोह, भ्रम और अज्ञानता जैसे दोषों का नाश भी करती है।
॥ जय सरस्वती माता ॥
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
चंद्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
धूप दीप फल मेवा, मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
मां सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
माँ सरस्वती की प्रसिद्ध आरती – ऊं जय वीणे वाली
॥ ऊं जय वीणे वाली ॥
ऊं जय वीणे वाली, मैया जय वीणे वाली।
ऋद्धि-सिद्धि की रहती, हाथ तेरे ताली॥
ऋषि मुनियों की बुद्धि को, शुद्ध तू ही करती।
स्वर्ण की भांति शुद्ध, तू ही माँ करती॥
ज्ञान पिता को देती, गगन शब्द से तू।
विश्व को उत्पन्न करती, आदि शक्ति से तू॥
हंस-वाहिनी दीज, भिक्षा दर्शन की।
मेरे मन में केवल, इच्छा तेरे दर्शन की॥
ज्योति जगा कर नित्य, यह आरती जो गावे।
भवसागर के दुख में, गोता न कभी खावे॥
ऊं जय वीणे वाली, मैया जय वीणे वाली।
ऋद्धि-सिद्धि की रहती, हाथ तेरे ताली॥
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विद्यार्थियों के लिए मां सरस्वती की आरती रोजाना करना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे उनकी पढ़ाई में रुचि बढ़ती है, एकाग्रता में सुधार आता है और वे परीक्षा में उत्तम अंक प्राप्त करते हैं।
जिन लोगों की रुचि नृत्य, गायन, लेखन, चित्रकला, शिल्पकला आदि में है, उनके लिए यह आरती प्रेरणा और रचनात्मक ऊर्जा का स्रोत बनती है।
आरती से मानसिक स्पष्टता और तर्कशक्ति बढ़ती है, जिससे व्यक्ति निर्णय लेने में सक्षम बनता है। यह विशेष रूप से शोधकर्ताओं, शिक्षकों और विचारकों के लिए फायदेमंद है।
मां सरस्वती की कृपा से जीवन में फैले अज्ञान, मोह और भ्रम का नाश होता है। व्यक्ति सही और गलत में अंतर कर पाता है और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ता है।
मां सरस्वती की आरती प्रातः काल और संध्या के समय की जा सकती है।
आरती से पहले माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं, धूप लगाएं और पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें।
वीणा, पुस्तक, माला और हंस माता सरस्वती के प्रतीक हैं – इनका ध्यान करते हुए आरती गाएं।
अंत में माता से ज्ञान, बुद्धि, शांति और सफलता की कामना करें।
लाभ |
विवरण |
विद्या की प्राप्ति |
पढ़ाई में मन लगता है और परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन होता है। |
कला में प्रगति |
गायन, लेखन, चित्रकला आदि में रचनात्मकता बढ़ती है। |
बुद्धि का विकास |
याददाश्त और सोचने-समझने की शक्ति में सुधार होता है। |
धार्मिक और मानसिक शांति |
पूजा से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। |
नकारात्मकता का नाश |
अज्ञान, भ्रम और आलस्य दूर होते हैं, मन स्पष्ट होता है। |
रोजाना आरती करने से मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है और जीवन में ज्ञान, शांति और सफलता का मार्ग खुलता है।
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हालांकि मां सरस्वती की आराधना प्रतिदिन की जा सकती है, लेकिन कुछ विशेष दिन ऐसे हैं जब यह पूजा अधिक फलदायक मानी जाती है:
बसंत पंचमी – यह दिन मां सरस्वती का जन्मोत्सव माना जाता है। इस दिन पीले वस्त्र धारण कर पूजा करना विशेष फलदायक होता है।
नवरात्रि के सप्तमी या अष्टमी तिथि – इन तिथियों पर भी माता की पूजा और आरती करने का विशेष महत्व है।
गुरुवार का दिन – गुरुवार को बृहस्पति ग्रह से संबंध माना गया है जो विद्या और ज्ञान का कारक है, इसलिए इस दिन आरती करना श्रेष्ठ होता है।
माता सरस्वती को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। पूजा के समय सफेद वस्त्र पहनना शुभ होता है।
मां को खीर, मिश्री, दूध, दही और सफेद पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है।
‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र का जप आरती से पहले और बाद में करना चाहिए।
आरती करने के बाद अपनी पढ़ाई या कार्य की शुरुआत करें – इससे कार्य में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
मां सरस्वती की आरती केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, यह आत्मा को ज्ञान की ओर अग्रसर करने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। रोजाना सच्चे मन से आरती करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सफलता आपके कदम चूमती है। यदि आप शिक्षा, करियर, कला या संगीत के क्षेत्र में प्रगति करना चाहते हैं तो आज से ही मां सरस्वती की आरती को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
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