आपकी कुंडली का हर भाव जीवन के किसी न किसी क्षेत्र को दर्शाता है। आज हम जानेंगे तीसरे भाव के बारे में, जिसे "पाराक्रम भाव" भी कहा जाता है। यह भाव आपके संचार कौशल, रिश्तों, छोटी यात्राओं, सीखने की इच्छा और साहस को दर्शाता है। तीसरे भाव में स्थित ग्रह आपके इन क्षेत्रों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं, आइए विस्तार से समझते हैं।
आपके तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है। आपकी कुंडली में मजबूत बुध और शुभ ग्रहों की उपस्थिति इस भाव को बलवान बनाती है। वहीं, कमजोर बुध और अशुभ ग्रहों की मौजूदगी से जुड़ी कुछ परेशानियां भी सामने आ सकती हैं।
बुध: मजबूत बुध आपको तेज दिमाग, प्रभावी संवाद कौशल और सीखने की तीव्र इच्छा प्रदान करता है। आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हो सकते हैं।
शुक्र: शुक्र की उपस्थिति आपकी वाणी में मिठास लाती है और रिश्तों में मधुरता बढ़ाती है।
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राहु: राहु की उपस्थिति अनावश्यक बातों को ज्यादा तूल देने की प्रवृत्ति पैदा कर सकती है। झूठ बोलने की आदत भी बन सकती है।
मंगल: मंगल की उपस्थिति वाणी में कठोरता और रिश्तों में तनाव ला सकती है।
अगर आपके तीसरे भाव में कोई अशुभ ग्रह है तो आप ज्योतिषीय उपायों की मदद ले सकते हैं। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
बुध ग्रह की उपासना: बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करें और हरी वस्तुओं का दान करें।
वाणी में मिठास लाएं: दूसरों के सम्मान में बात करें और कठोर शब्दों से बचें।
रिश्तों को मजबूत बनाएं: अपने मित्रों और परिजनों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखें।
कुछ लोगों को लगता है कि तीसरा भाव सिर्फ संचार से जुड़ा है। हालांकि, यह सच नहीं है। जैसा कि बताया गया है, यह भाव सीखने, छोटी यात्राओं और साहस को भी दर्शाता है। तीसरा भाव आपके जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रभावित करता है। ज्योतिषीय विश्लेषण आपको इस भाव को समझने और मजबूत बनाने में मदद कर सकता है।
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