व्यक्ति के जन्म लेने का समय और महीना उसकी किस्मत और उसके स्वभाव पर काफी विशिष्ट प्रभाव डालता है। इसी तरह हर महीने के हिसाब से हर व्यक्ति के लिए कोई न कोई शुभ रत्न भी होता है। यानी साल के बारह महीने के लिए 12 अलग शुभ रत्न होते हैं। इन रत्नों को लेकर लोगों की सोच काफी अलग-अलग है। कई लोग इसे सिर्फ प्रतीक के तौर पर मानते हैं, जबकि कुछ इसका विशेष महत्व मानते हैं। अभी सितंबर का महीना चल रहा है, ऐसे में हम आपको सितंबर महीने में जन्मे लोगों का शुभ रत्न बताते हैं। सितंबर में जन्मे लोगों की राशि कन्या होती है और इनका शुभ रत्न नीलम (Sapphire) होता है। हालांकि कोशिश यह कीजिए की नीलम को किसी ज्योतिषी की सलाह पर ही धारण किया जाए।
नीलम रत्न एक तरह का चमत्कारिक रत्न है। इसे शनि का महारत्न भी बताया गया है। इसकी बनावट और इसका रंग लोगों को काफी लुभाता है। ये एक तरह का खनिज है, जो अल्यूमिनियम भस्म (ऑक्साइड) (Al2O3) से बना होता है, जब यह लाल के सिवाय अन्य वर्ण का होता है। नीलम प्रकृति में भी मिलता है, एवं कृत्रिम भी बनाया जाता है। वैसे तो कई और रंगों में भी मिलता है, लेकिन इसके नीले रंग का अलग ही महत्व है। सितंबर माह में जन्मे लोग अथवा कन्या राशि के लोग अगर इस रत्न को धारण करते हैं तो इसके ढेर सारे फायदे होते हैं। कन्या राशि के अलावा अन्य राशियों के व्यक्ति भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
वैसे तो ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कोई भी व्यक्ति नीलम रत्न को धारण करने से पहले पंडित को अपनी कुंडली जरूर दिखा ले। नीलम को कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार ही पहना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक, नीलम रत्न यदि किसी व्यक्ति को रास आ जाए तो उसे बुलंदियों पर पहुंचा देता है और अगर किसी पर इसका दुष्प्रभाव पड़ जाए तो ये काफी घातक भी साबित होता है। ऐसे में मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक राशि वाले अगर नीलम को धारण करते हैं तो उनका भाग्योदय होता है। चौथे, पांचवे, दसवें और ग्यारवें भाव में शनि हो तो नीलम जरूर पहनना चाहिए। शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या स्वयं ही छठे और आठवें भाव में हो तो भी नीलम रत्न धारण करना चाहिए।
वैसे तो नीलम रत्न को व्यक्ति हमेशा फायदे के लिए ही धारण करता है, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव भी हैं। आइए आपको पहले इसके फायदे बताते हैं।
नीलम धारण करने से शनि की बुरी दशा से बचा जा सकता है। कहते हैं कि इस रत्न को धारण करने के बाद शनि की बुरी दशा ठीक हो जाती है। साथ ही इसका असर बहुत तेजी से दिखता है।
नीलम पहनने से वाणी में मिठास, गम्भीरता, बौद्धिकता, तार्किकता एंव संस्कारों में वृद्धि होती है। स्त्री या पुरूष जो डिप्रेशन के शिकार है, उन्हें नीलम अवश्य पहनना चाहिए। नीलम पहनने से व्यक्ति तनावमुक्त होकर जीवन व्यतीत करता है।
इसके अलावा जिन लोगों में धैर्य की कमी होती है, उनके लिए नीलम बहुत फायदेमंद है। इसको धारण करने से व्यक्ति धैर्यपूर्ण बनता हैं।
मकर, कुंभ, वृष और तुला राशि वालों के लिए नीलम रत्न भाग्य की प्रगति के द्वार खोलता है।
इसके अलावा रोगियों के लिए भी नीलम धारण करना बहुत फायदेमंद बताया गया है। अगर कोई लकवा, हड्डियों में दर्द, दांत दर्द व दमा के रोग से पीड़ित हो तो नीलम रत्न उसके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
अगर किसी व्यक्ति के लिए नीलम नेगेटिव होता है तो उसे आंखों में तकलीफ महसूस होने लगती है।
ज्योतिशास्त्र के अनुसार, नीलम जब किसी व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम देता है तो कुछ ही दिनों में वह उस व्यक्ति को सुख-संपदा और ऐश्वर्य से परिपूर्ण बना देता है और अगर बुरा प्रभाव देने पर आए तो व्यक्ति को भिखारी भी बना देता है।
इसके अलावा नीलम के नकारात्मक प्रभाव पड़ने के बाद व्यक्ति को किसी दुर्घटना या फिर शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।
नीलम रत्न अगर किसी व्यक्ति के लिए शुभ नहीं होता है तो उसे आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।
नीलम अगर अनुकूल नहीं है तो बुरे और डरावने सपने आने लगते हैं।
नीलम रत्न को हमेशा ज्योतिषाचार्य की सलाह से ही धारण करना चाहिए। नीलम को दाहिने हाथ की बीच वाली ऊंगली में 4 से 6 कैरेट का सोने या पंच धातु से बनी अंगूठी में पहनना चाहिए। इससे भाग्य में वृद्धि होती है और शनि के दुष्प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। नीलम को शनि की दशा में पहनना शुभ माना जाता है। नीलम रत्न को धारण करने का सही वक्त शनिवार की सुबह शुक्ल पक्ष के दौरान बताया गया है।
नीलम धारण करने के बाद हर शनिवार और शनि नक्षत्रों में अन्न दान जरूर करें।
शनिवार के दिन मदिरा-तामसिक भोजन का त्याग करें ।
विकलांग लोगों के प्रति सेवा भाव रखें।
घर के वृद्ध लोगों के प्रति आदरपूर्ण व्यवहार रखें।
प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष के दूसरे शनिवार को रत्न को दूध, घी, गंगाजल, तिल और मिश्री मिले जल से अभिसिंचित करें।
रत्न का शम्मी के लकड़ी से 108 बार " ॐ शन्नोदेवीरभिष्ट्यः आपोभवन्तुपीतये शंय्योरभिस्रवन्तुनः "मंत्र के उचारण के अभिषेक कीजिए। इससे रत्न जागृत होगा और सकारत्मक ऊर्जा प्रदान करेगा।
नीलम धारण करने के पश्चात किसी को कोई झूठा आश्वासन न दीजिए नहीं तो दुष्परिणाम गंभीर होगा।
जानकार बताते हैं कि असली नीलम रत्न चमकीला और चिकना होता है। अगर इसे दूध या फिर पानी में डाला जाए तो ये उसका रंग भी नीला कर देता है। दूध और पानी मोर के पंख की तरह दिखने लगता है। यह पारदर्शी होता है। नीलम की कीमत भी अधिक होती है। इसमें अलग-अलग किस्म होती हैं। भारत में कश्मीरी नीलम की कीमत रूपए 1.25 लाख प्रति कैरेट से शुरू होती है और इसकी गुणवत्ता और मांग के मुताबिक रूपए 5 लाख प्रति कैरेट और उससे ऊपर तक पहुंच सकती है।
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