जानें शनि हमें कैसे करते हैं प्रभावित?

Tue, Dec 20, 2022
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जानें शनि हमें कैसे करते हैं प्रभावित?

वर्तमान समय में जब सभी लोग अपने कर्म बंधन से जुड़े हुए कार्यों में व्यस्त रहते हैं। वे जाने या अनजाने में एक नहीं, अनेक ऐसे गलती कर देते हैं, जो उनकी आने वाली समस्याओं का कारण बन जाते हैं। इसी कारण शनिदेव अपनी दशा, महादशा और साढ़ेसाती के समय में उनका अवलोकन कर उन्हें उनके कर्मों का उचित फल देते हैं। इस वजह से वे भय से भरे रह सकते हैं और उन्हें लगता है कि यह सब शनिदेव की गलत दृष्टि का परिणाम है।

असल में देखा जाए तो शनिदेव ऐसा कुछ भी नहीं करते। वे तो एक निष्पक्ष न्यायाधीश हैं, जो आपके किये गये कर्मों के अनुसार आपको फल देते हैं। शनि देव को इसी लिए न्याय का देवता भी कहा जाता है। साथ ही वह इन संकेतों से सही कर्म करने शिक्षा देते हैं। शनिदेव एक ऐसे व्यवहारिक शिक्षक हैं, जो हमसे कठिन परीक्षा लेकर व्यक्ति को एक महान व्यक्तित्व बनाने के रास्ते प्रदान करते हैं। ये व्यक्ति को ऐसे निखारते हैं जैसे हीरे को निखार कर साफ किया गया हो और ये लोगों को जीवन के संघर्षों में डाल कर उनको कुंदन जैसा मजबूत बना देते हैं। 

समाज में एक ऐसी धारणा स्थापित है कि शनि हमेशा ही दुष्प्रभाव दिखाते हैं। परन्तु यह धारणा लोगों द्वारा बनाई गई है। जिसका कारण हो सकता है सही जानकारी का अभाव। जैसे ही लोग शनि के बारें में सुनते हैं उनके मन में दुःख, कष्ट और भय का विचार आ जाता है। लोगों में मान्यता है, अगर शनि की छाया भी किसी पर पड़ जाए तो उसका कुछ नुकसान होने वाला है। कुछ ऐसी ही लोग अलग-अलग धारणा को एक दूसरे से व्यक्त करने लगते हैं। हालांकि ये उनके किये गए कर्मों का परिणाम हो सकता।

शनि के जन्म की कहानी 

भगवान शनि, भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के इकलौते पुत्र हैं। वह जब अपनी मां के गर्भ में थे, तब माता छाया ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। धधकते सूर्य के नीचे बैठकर की गई यह तपस्या काफी कठोर थी। देवताओं ने उनकी प्रार्थना सुन ली और उन्हें दिव्य आशीर्वाद दिया। जिससे उनके यहां एक पुत्र का जन्म हुआ।

छाया द्वारा की गई भगवान शिव की तपस्या और आराधना की वजह से, शनि भगवान शिव के भक्त बन गए और उनकी आराधना करने लगे। मान्यता है कि छाया  काफी देर तक तपस्या के लिए लगातार सूर्य की धधकती तपन में एक योगनी की तरह बैठी रही, जिससे उनके गर्भ में पल रहा शिशु समय के साथ-साथ काला होता गया।

कहते हैं जब भगवान शनि का जन्म हुआ, तो भगवान सूर्य ने उनके रंग रूप के कारण उनका तिरस्कार कर दिया  और उन्होंने शनि को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। भगवान शनि को इस बात से बहुत नाराजगी हुई। पिता और पुत्र के बीच इसी कारण ने तनावपूर्ण संबंधों को जन्म दिया।

शास्त्रों के अनुसार, कहानी है कि भगवान शनि ने अपने पिता भगवान सूर्य से प्रार्थना की थी कि उन्हें एक ऐसा पद दे दिया जाए, जो अब तक किसी को नहीं दिया गया हो। वह भगवान सूर्य को यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि कोई अन्य देव या असुर उन्हें गति और भव्यता के मामले में चुनौती नहीं दे सकता है।

सूर्य देव शनि देव की बातों से प्रसन्न हुए और उन्होंने उनको आदेश दिया कि उन्हें अब काशी जाकर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। अपने पिता सूर्य देव की इच्छा के बाद वह काशी चले गये। उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की और अपनी तपस्या से उन्हें प्रसन्न किया। जिन्होंने शनि देव को नव ग्रह प्रणालियों में उचित स्थान प्रदान किया।

शनि ग्रह का महत्व

ज्योतिषशास्त्र में उल्लेखनीय है कि शनि ग्रह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, जिसे एक राशि से दूसरी राशि में जाने में 2.5 वर्ष का समय लगता है। कहते हैं जब शनि ने अपने जन्म के बाद पहली बार अपनी आंखें खोलकर देखा तो तब तक सूर्य ग्रहण लग गया था। यह ज्योतिषीय चार्ट पर शनि के प्रभाव का स्पष्ट संकेत दिखाता है।

सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य बात यह है कि शनि ग्रह एक बहुत शक्तिशाली ग्रह माने जाते हैं और सम्पूर्ण मानव जीवन पर इसका प्रभाव कभी न कभी देखा गया है क्योंकि यह एक धीमा ग्रह है इसलिए पूरे राशि चक्र का सिर्फ एक मात्र चक्कर पूरा करने में इन्हें तीस वर्ष का समय लग जाता है।

जीवन में, शनि हमें हमारे कर्मों के आधार पर परखते हैं। हमारे कार्यों के लिए पुरस्कृत और दंडित भी करते हैं। शनि को अक्सर कर्म ग्रह के रूप में भी जाना जाता है साथ ही इस ग्रह को ठंडे ग्रह के रूप में भी जाना जाता है और इन्हें एक कठिन और महत्वपूर्ण कार्यपालक भी माना जाता है। यह एक ऐसा ग्रह है, जो जीवन के अलग-अलग दौर में  आपको विभिन्न सबक सिखाता है। 

शनि के सकारात्मक प्रभाव 

  • वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि को क्रूर ग्रह कहा जाता है। वहीं इन्हें न्याय के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। हालांकि शनि देव किसी को बिना वजह परेशान नहीं करते। जबतक की आप जीवन के अहम पड़ाव पर गलत कदम न उठायें। शनि हमेशा आपके मार्गदर्शक के रूप में आप पर सही दृष्टि बनाये रखते हैं।   
  • वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा और शनि दोनों के व्यवहार में विरोधाभास होने के कारण देखा गया है कि शनि का गोचर चंद्र राशि के सापेक्ष विशेष रूप से मानसिक तौर पर ऐसे चक्र का निर्माण करता है, जिससे व्यक्ति अपने आपको पूरी तरह से घिरा हुआ महसूस करता है और शनि को ही अपनी तरफ से गलत ठहरा देता है। हालांकि शनि किसी के साथ ऐसा नहीं करते वे तो आपका  हमेशा साथ देते हैं। 
  • शनि आपके एक ऐसे घनिष्ठ मित्र भी हैं जो हमेशा सही का साथ देने की कोशिश करते हैं और सामने वाले का भला चाहते हैं। इसलिए शनि न्याय के देवता माने जाते हैं, वे कभी आपके साथ अन्याय नहीं होने देते। 
  • शनि की उचित दृष्टि आपको अपार धन, सफलता और मौद्रिक लाभ देती हैं। वे आपके चरित्र और आपके भविष्य को शानदार बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।  वे आपकी  सामाजिक स्थिति में भी वृद्धि कर सकते हैं। 
  • कभी-कभी बिना मेहनत के भी आपको सफलता आसानी से मिल जाती है और यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी कुंडली में शनि का प्रभाव सकारात्मक है।
  • शनि आपको ज्ञान, आध्यात्मिकता, जीवन की दीर्घायु, प्रभावशाली मित्र और सामाजिक रैंकिंग प्राप्त करने में मदद करते हैं। जैसा कि शनि कर्म, कड़ी मेहनत, सच्चाई और भाग्य का प्रतिनिधित्व करते हैं , आपका जीवन मुख्य रूप से जीवन के इन कारकों की परिक्रमा करेगा।

शनि के नकारात्मक प्रभाव

  • शनि की दशा के दौरान, आप बेचैनी, भय, दर्द, पीड़ा, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, दुःख, प्रियजनों की हानि, आय के स्रोत का नुकसान आदि महसूस कर सकते हैं।
  • शनि के ननकरात्मक प्रभाव होने पर जीवन के हर क्षेत्र में आप पर चुनौतियाँ आएंगी, चाहे वह व्यक्तिगत हो या पेशेवर। 
  • सुस्ती भी शनि महादशा का एक और प्रभाव है, जो आपको सुस्त बनाता है और आपको अपने लक्ष्यों तक पहुंचने से दूर रखता है। 
  • आपको ऐसे बड़े नुकसान हो सकते हैं जो गलत हो सकते हैं और अक्सर आपको गलत रास्ते या बुरी आदतों की ओर ले जा सकते हैं।
  • शनि के नकारात्मक प्रभाव  के दौरान, व्यक्ति अपने प्रियजनों से अलग भी महसूस कर सकता है, जो जातकों के लिए चीजों को कठिन बना देता है।

शनि महादशा से बचने के उपाय

जीवन में जब भी शनि महादशा का प्रभाव आपके जीवन में आये तो उनसे बचने के लिए ये पांच महत्पूर्ण उपाय करें

  1. हनुमान चालीसा: हनुमान चालीसा को शनि महादशा या साढ़े साती में शनि के नकारात्मक प्रभाव पर नियंत्रण  के लिए जाना जाता है। हनुमान चालीसा के 40 श्लोकों को बहुत शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि इसका जाप करने वाले व्यक्ति को 8 मूर्तियाँ, 12 ज्योतिर्लिंग, 5 मुखी और 15 नेत्रों की प्राप्ति होती है। शनिवार और मंगलवार को आठ बार हनुमान चालीसा का जाप करने से लोगों को इस ग्रह की दशा से निजात  का अनुभव मिलेगा।

  2. दान करें : जरूरतमंद लोगों को दान देने से जातक को अच्छे कर्म अर्जित करने में मदद मिलेगी और महादशा अवधि के दौरान प्रभाव को कम में भी मदद मिलेगी। काला कपड़ा, सरसों के दाने या सरसों का तेल दान करना शुभ माना जाता है।

  3. जरूरतमंदों को खाना खिलाना: गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन परोसना और खिलाना भी  शनि प्रभाव काल में एक प्रभावी उपाय माना जाता है। भूखे लोगों को प्यार से घर का बना खाना परोसना चाहिए ।

  4. नशा का त्याग : धूम्रपान, शराब, नशीली दवाओं और मारिजुआना का सेवन मनुष्य को अपने विवेक से एक कदम दूर कर देता है और उसे बिना सोचे-समझे भीषण कार्य करने के लिए उकसाता है। यह केवल शनि के क्रोध को अर्जित करेगा क्योंकि शनि सभी ग्रहों का न्यायाधीश है और अन्याय को क्षमा नहीं करता है। अपने आप को सभी प्रकार के नशा सेवन से दुर रखें।  

  5. शनि मंत्र का जाप: इस अवधि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करने वाले मंत्रों का जाप करके शनि को प्रसन्न किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार शनि मंत्र, शनि बीजक मंत्र और गायत्री मंत्र का जाप करना भी उचित होगा।

शनि ग्रह से शांति के लिये पूजा

शनि ग्रह से शांति के लिए पूजा ही शनि संबंधी समस्याओं को दूर करने का एकमात्र उचित उपाय है। शनि पूजा को शनि शांति पूजा के रूप में भी जाना जाता है, शनि को खुश करने के लिए और अपने पिछले कर्म संबंधी समस्याओं के परिणामस्वरूप शनि द्वारा आपको दिए गए दंड को कम करने के लिए की जाती है।

इस पूजा को करने से भगवान शनि ख़ुश होते हैं और हमारे भूतकाल में किये गए के गलत कर्मों के लिए वह हमें जो दंड देते हैं और उसकी मात्रा को कम कर देते हैं। शनि पूजा के बाद आपके स्वास्थ्य, वित्त, रिश्ते, करियर और कई अन्य चीजों में सुधार हो सकता है।

शनि शांति पूजा व्यक्ति को शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने जीवन में  परिवर्तन का अनुभव करने में सक्षम बनाती है। शनि की धीमी चाल होने के कारण ही किसी भी व्यक्ति पर इसका नकारात्मक प्रभाव काफी लंबे समय तक दिखने लग सकता है इसलिए हमें अपने जीवन में आने वाले शनि के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने के लिए सही समय पर और प्रभावी ढंग से कार्य करने की आवश्यकता होती है।

शनि पूजा के लाभ

  • शत्रुओं और विरोधियों पर विजय सुनिश्चित होना।
  • नकारात्मकता या बुराई से बचाव होना।
  • भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पहलुओं का विकास होना।
  • पीड़ित शनि के प्रभाव को कम करना।
  • कर्ज को खत्म करना और समृद्धि को आकर्षित करना।

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