Shani ki Dhaiya: ज्योतिष में शनि को न्याय के देवता का दर्ज़ा प्राप्त है। नवग्रहों में भी शनि को सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना जाता है। जब शनि अपनी स्थिति बदलता है तो इसका महत्वपूर्ण प्रभाव राशिचक्र पर भी देखने को मिलता है। साल 2025 में शनि का गोचर हो रहा है। वर्तमान में शनि ग्रह कुंभ राशि में स्थित है, लेकिन साल 2025 में यह मीन राशि में गोचर करने वाला है। आगामी समय में दो राशियों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव देखने को मिलेगा। तो चलिए जानते हैं कि शनि ढैय्या (shani dhaiya) क्या होती है, 2025 में शनि की ढैय्या किन दो राशियों पर लगेगी और इससे बचाव के क्या-क्या उपाय हैं।
ज्योतिशास्त्र में शनि की ढैय्या को एक तरह का शनि दोष माना जाता है। जब शनि ग्रह गोचर करके चंद्र राशि से चौथे या आठवें भाव में होंगे तो उसे शनि की ढैय्या का प्रभाव कहा जाता है। उस राशि के जातकों पर इसका प्रभाव ढाई साल तक रहता है। इस अवधि को "ढैय्या" कहा जाता है। यह प्रभाव आमतौर पर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक क्षेत्र में महसूस किया जा सकता है। शनि ग्रह को न्याय का कारक माना जाता है, इसलिए इसके प्रभाव को सकारात्मक या नकारात्मक दोनों रूपों में देखा जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति का कर्म कैसा है। वर्तमान में शनि ढैय्या कर्क राशि (shani dhaiya kark rashi) और वृश्चिक राशि (shani dhaiya vrishchik rashi) वालों को प्रभावित कर रही है।
सभी नौ ग्रहों में शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, 29 मार्च 2025 को न्याय के देवता शनि कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करेंगे। शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं। जब शनि एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं तो इसका सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। कुछ राशि वालों के लिए शनि गोचर (shani gochar) बहुत फायदेमंद रहेगा, वहीं कुछ राशियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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2025 में शनि का गोचर कुम्भ राशि से मीन राशि में होने वाला है। इसके कारण दो राशियों पर शनि की ढैय्या (shani dhaiya) का प्रभाव देखने को मिलेगा:
सिंह राशि- साल 2025 में शनि देव सिंह राशि को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेंगे। इस साल जब शनि राशि परिवर्तन करेंगे तो शनि की ढैय्या सिंह राशि वाले लोगों पर शुरू होगी। सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है, जिसका शनि के साथ प्रतिद्वंद्वी संबंध है। इस विरोध के कारण, सिंह राशि में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को शनि ढैय्या की अवधि के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। शनि के प्रभाव को कम करने के लिए, आपको नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
धनु राशि- बृहस्पति धनु राशि का स्वामी ग्रह है, और भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का रक्षक माना जाता है। शनि गोचर के दौरान जब एक नई राशि में प्रवेश करेंगे तो धनु राशि वालों को भी शनि की ढैय्या के प्रभाव का सामना करना पड़ेगा। शनि कि ढैय्या (Shani ki Dhaiya) के दौरान धनु राशि के जातकों को सतर्कता बरतने की जरूरत होगी। आपको अपने जीवन के सभी निर्णय बहुत ही सोच-समझकर और बड़ों के मार्गदर्शन में लेने का प्रयास करना होगा। आपको सलाह दी जाती है कि नियमित रूप से विष्णु चालीसा का पाठ करें। इससे भी शुभ प्रयासों में सफलता मिल सकती है।
शनि की ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित करने में सहायक हो सकते हैं:
अगर आप शनि की ढैय्या से पीड़ित हैं तो हर शनिवार चींटी को आटे की गोलियां खिलाएं। इसके लिए आप काले तिल, शक्कर, और आटा मिलाकर आटे की गोलियां तैयार कर सकते हैं।
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का उपवास करें और इस दिन शनिदेव की पूजा करें। इसके अलावा आप शनि देव के 10 नामों का 108 बार जाप करें।
दान पुण्य करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनि की ढैय्या के दौरान काले तिल और काले वस्त्र का दान करें। यह शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।
हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी की पूजा शनि के प्रभाव को कम करने में मददगार मानी जाती है। इसके अलावा बंदरों को चना खिलाएं इससे भी हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
शनिवार के दिन लोहे की वस्तु का दान करें। यह शनि के क्रोध को शांत करने में सहायक होता है।
शनि की ढैय्या के प्रभाव और उपायों के बारे में अधिक जानने के लिए आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञों से बातचीत कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल या चैट बिलकुल मुफ्त है।