Ram Mandir: राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी…यह सुंदर गीत अब सच होने को है। एक सपना जो बरसों से हिन्दुओं के दिलों में बसा था उसके पूरे होने का समय आ गया है। राम की नगरी अयोध्या उनके आगमन की तैयारी में सजने लगी है। श्री राम का समस्त जीवन पूरे समाज के लिए एक सीख है। यह लोगों को जीवन जीने का मार्ग दर्शाता है। ऐसी मान्यता है कि अयोध्या नगरी में भगवान राम का जन्म हुआ था। इसे राम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां राम जी का बहुत भव्य मंदिर हुआ करता था जिसे उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। इस मंदिर को कई साल पहले 1528 में आक्रांताओं द्वारा तोड़ दिया गया था। यहां सालों बाद एकबार फिर से राम मंदिर की स्थापना की जा रही है। कुछ ही समय में इस मंदिर में राम भक्त राम लला के दर्शन करने में सक्षम होंगे।
अयोध्या स्थित राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है। राम भक्तों के बीच इस दिन को लेकर बहुत उत्साह है। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का समारोह पूरे जोश और उत्साह के साथ आयोजित किया जाएगा। दुनियाभर के साधु संत भी इस प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।
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भगवान राम का जीवन, एक आदर्श जीवन का रास्ता दिखाता है। श्री राम के जीवन के ऐसे बहुत से किस्से हैं जो लोगों को सफल होने में और एक अच्छा जीवन जीने में मदद कर सकते हैं।
कभी हार न मानें- प्रभु राम हमें जीवन में कभी हार न मानने का सन्देश देते हैं। हम सभी ने रामायण के माध्यम से सुना है कि 14 वर्षों के वनवास के बाद राम का जीवन बहुत कष्टों में था। माता सीता के हरण के बाद राम को उन्हें ढूंढने के लिए बहुत लंबा वक्त लगा। इस बीच उनके सामने कई चुनौतियां आई लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। वे कभी मुसीबतों से पीछे नहीं हटे और डटकर सभी का मुकाबला किया।
माता पिता का सम्मान करें- भगवान राम ने अपने माता-पिता का सदैव सम्मान किया और कभी भी उनके किसी निर्णय पर सवाल नहीं उठाया। अपनी माता के कहने पर वह 14 साल के वनवास के लिए भी चल पड़े थे। भगवान राम का जीवन हमें सिखाता है कि माता-पिता की इच्छाओं और उनके विचारों को ध्यान से सुनें। माता पिता कभी भी अपनी संतान का बुरा नहीं चाहते, इसलिए जरूरी है कि हम भी उनके दृष्टिकोण का सम्मान करें और जहां तक संभव हो उनकी बातों का पालन करें।
मर्यादा का पालन करें- भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन मर्यादा में रहते हुए गुज़ारा। कभी किसी के राज्य पर आक्रमण नहीं किया और न ही कभी किसी दूसरी स्त्री से आकर्षित हुए। उन्होंने सदैव माता सीता को ही अपनी धर्म पत्नी माना।
धैर्य रखना है महत्वपूर्ण- जब माता सीता का रावण ने हरण किया तो राम बेहद दुखी और क्रोधित हुए थे। लेकिन फिर भी उन्होंने धैर्य नहीं खोया। श्री राम भगवान विष्णु के रूप थे और उनके पास अपार शक्तियां थीं। हालांकि फिर भी उन्होंने क्रोध में आकर अपनी शक्तियों का दिखावा नहीं किया। इसके बजाय उन्होंने पूरी योजना के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया था। राम के जीवन में ऐसी बहुत-सी परिस्थितियां आईं थीं जिसमें उन्होंने धैर्य और विनम्रता का परिचय दिया था।
किसी को नीचा न समझें- जब हम राम कथा या रामायण पढ़ते हैं तो पाते हैं कि राम ने प्रकृति, मनुष्यों, और जीवों के प्रति दया भाव रखा। किसी को भी नीचा नहीं समझा बल्कि सबको सम्मान की दृष्टी से देखा। शबरी की कथा उनके इस स्वाभाव का परिचय देती है। उन्होंने कभी जाति, रंग या पद को महत्व नहीं दिया। इन सब बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए उन्होंने सभी के साथ हमेशा एक जैसा व्यवहार किया। उनका व्यवहार लोगों को सिखाता है कि जीवन में किसी को नीचा न समझें और सभी को साथ लेकर चलें।
अहंकार न पालें- ऐसा कोई विषय नहीं था जिसपर भगवान राम को ज्ञान नहीं था। उनके पास ऐसी क्षमताएं थी जो अविश्वसनीय थीं। श्री राम ने लंका की ओर जाने के लिए समुद्र से रास्ता मांगा था, लेकिन रास्ता न देने पर उन्होंने समुद्र को सुखाने तक की चेतावनी दे दी थी। यह दर्शाता है कि उनका एक तीर समुद्र को सुखा देने की ताकत रखता था लेकिन उन्हें अपनी किसी भी शक्ति पर अहंकार नहीं था। राम का जीवन लोगों को अहंकार को दूर रखने की शिक्षा देता है। रामायण संदेश देती है कि अहंकार किसी भी व्यक्ति के पतन का कारण बन सकता है।
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तो आइए, 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर हम सभी यह वचन लें कि हम भगवान राम द्वारा दर्शाए गए पथ पर चलेंगे और एक आदर्श जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।
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