सभी देवों में सर्वप्रथम पूजनीय भगवान गणेश का दस दिवसीय उत्सव चल रहा है जो कि अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ भगवान श्री गणेश ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्हें बच्चे, युवा बुजूर्ग सभी पसंद करते हैं। उनका विचित्र रूप उन्हें और भी आकर्षक बनाता हैं। महाराष्ट्र में तो गणेशोत्सव की धूम दुनिया में सबसे अधिक देखी जाती है। मायानगरी से लेकर वित्तीय राजधानी कहे जाने वाले महानगर मुंबई में तो सभी बड़ी हस्तियां अपने यहां गणेश जी की स्थापनाएं करवाते हैं। पूरे महाराष्ट्र में लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार बप्पा की स्थापना करते हैं। लेकिन महाराष्ट्र में ही नहीं दुनिया भर से रिद्धि, सिद्धि, बुद्धि के दाता भगवान श्री गणेश को पूजने के लिये लोग इनके अष्टविनायक मंदिरों की यात्रा के लिये आते हैं। अपने पहले लेख में हमने अष्टविनायक मंदिरों में पहले प्राचीन मंदिर मयूरेश्वर (मोरेश्वर) के बारे में बताया था। इस लेख में आइये जानते हैं दूसरे मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर के बारे में।
सिद्धिविनायक मंदिर का नाम लेते ही आपने संभवत: मुंबई के प्रभा देवी क्षेत्र स्थित सिद्धिविनायक मंदिर के बारे में सोचा हो। हालांकि यह मंदिर भी है तो सिद्धिविनायक ही और इसकी लोकप्रियता भी दुनिया भर में फैली है। श्रद्धालुओं का तांता यहां भी लगा ही रहता है। मंगलवार के दिन तो यहां सिद्धिविनायक के दर्शन के लिये घंटों लाइन में लगना पड़ता है। अमिताभ बच्चन से लेकर तेंदुलककर तक यहां बप्पा के दर्शन करने आते हैं। लेकिन हम जिस सिद्धिविनायक मंदिर के बारे में बता रहे हैं वह मंदिर यह नहीं है। दरअसल यह मंदिर अष्टविनायक मंदिरों में नहीं आता है। हम जिस सिद्धिविनायक मंदिर की बात कर रहे हैं वह हैं महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सिद्ध टेक के गणपति।
अष्टविनायक में सिद्ध टेक के गणपति ही दूसरे गणेश माने जाते हैं इन्हें सिद्धिविनायक कहा जाता है। यह मंदिर पुणे से लगभग दो सौ किलोमीटर दूर पड़ता है। मंदिर के नजदीक से ही भीम नदी होकर गुजरती है। अहमदनगर जिले के गांव सिद्धटेक में यह मंदिर स्थित है। इस प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान श्री हरि यानि स्वयं विष्णु ने यहीं पर सिद्धियां हासिल की थी। यह मंदिर एक पहाड़ी चोटी पर निर्मित किया गया है। इसका मुख्य द्वार उत्तर में है। मंदिर की परिक्रमा के लिये पहाड़ी की यात्रा करनी पड़ती है।
सिद्ध टेक के सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी की जो प्रतिमा स्थापित है वह 3 फीट ऊंची व ढाई फीट चौड़ी है। प्रतिमा का मुख उत्तर दिशा की ओर है। इस प्रतिमा की खास बात यह है कि इसमें गणेश जी की सूंड दाहिने हाथ की ओर है। जिन मंदिरों में गणेश प्रतिमा की सूंड दाहिनी ओर हो उन मंदिरों को गणेश सिद्धपीठ भी माना जाता है। मान्यता है कि सिद्धिविनायक के दर्शन करने से विनायक श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
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