Tulsi Pooja: भारतीय घरों में आपको कोई पौधा दिखाई दे या न दे, लेकिन तुलसी का पौधा जरूर देखने को मिल जाता है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि तुलसी का पौधा एक औषधीय पौधा होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी रखता है। तुलसी के पौधे को देवी स्वरूप तुलसी महारानी के रूप में पूजा जाता है। तुलसी माता को भगवान विष्णु और श्री कृष्ण का प्रिय माना जाता है।
यही कारण है कि तुलसी का पौधा जहां भी होता है, वहां सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसलिए हिंदू धर्म में तुलसी पूजन को बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी की पूजा करने से घर में नकारात्मकता दूर होती है और आध्यात्मिक माहौल बना रहता है। तुलसी पूजन से परिवार पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और जीवन आरोग्य व सुखमय बनता है।
तो चलिए जानते हैं कि तुलसी पूजा की उचित विधि क्या है और तुलसी पूजन के क्या-क्या लाभ हो सकते हैं।
तुलसी पूजन का समय भी बहुत महत्व रखता है, क्योंकि सही समय पर पूजा करने से इसके फल और आशीर्वाद अधिक प्रभावशाली होते हैं। कई भक्त प्रतिदिन सुबह या शाम के शुभ समय में तुलसी माता की पूजा करते हैं। सुबह का समय विशेष रूप से ऊर्जा और ताजगी से भरपूर माना जाता है, जबकि शाम का समय दिनभर की थकान मिटाकर मानसिक शांति प्रदान करता है। साल में एक बार विशेष भव्य आयोजन के रूप में तुलसी विवाह भी किया जाता है।
इसके अलावा, तुलसी पूजा को आप वैष्णव त्यौहारों या एकादशी जैसे पवित्र दिन के साथ भी जोड़ सकते हैं। ऐसे अवसरों पर पूजा करने से धार्मिक लाभ और आध्यात्मिक ऊर्जा दोनों बढ़ जाती है। नियमित रूप से तुलसी पूजन करने से न केवल घर में सकारात्मक वातावरण बनता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य भी सुनिश्चित होता है।
तुलसी पूजन एक सरल परंतु भक्ति से भरपूर एक गहरी प्रक्रिया है, जिसे सही तरीके से करने पर घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। आइए जानते हैं तुलसी पूजन का सही तरीका:
दीप जलाएं
सबसे पहले गहरी शुभकामनाओं के साथ घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। अपने हाथों और पूजन के बर्तन को शुद्ध कर लें ताकि वातावरण पवित्र और मंगलमय बन सके।
मंत्र उच्चारण
तुलसी के सामने खड़े होकर या बैठकर उन्हें प्रणाम करें। कम से कम तीन बार मंत्र का जप करें, जिससे तुलसी महारानी की कृपा और आशीर्वाद आपके घर में बनें।
फूल अर्पित करें
तुलसी के पौधे को ताजे फूलों से सजाएं। इस समय आप धीरे-धीरे तुलसी माता की स्तुति में प्रार्थनाएँ या भजन गा सकते हैं।
तिलक लगाएं
तुलसी के पत्तों या पौधे की डाली पर कुमकुम और हल्दी का तिलक करें। इसके बाद चावल के दाने छिड़ककर सम्मान और श्रद्धा प्रकट करें।
परिक्रमा करें
पौधे के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करें, हमेशा घड़ी की दिशा में चलते हुए मंत्र या प्रार्थना का जप करें। यह जीवन के चक्र और भक्ति का प्रतीक है।
जल चढ़ाएं
तुलसी के आधार पर पवित्र जल छिड़कें और हाथ या छोटी चम्मच से पौधे को जल अर्पित करें, जिसे अभिषेक माना जाता है।
आरती करें
दीपक या कपूर की आरती तुलसी के सामने घुमाते हुए भजन या तुलसी तथा भगवान विष्णु/कृष्ण को समर्पित गीत गाएं।
प्रसाद अर्पित करना
पूजन के अंत में फल या मिठाई जैसे प्रसाद तुलसी के चरणों में अर्पित करें। इसे परिवार के सदस्यों में बांटकर सभी पर तुलसी माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।
अंतिम मंत्र और श्रद्धा
पूजन समाप्त करने से पहले एक बार फिर तुलसी मंत्र का जप करें और हाथ जोड़कर अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करें।
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तुलसी पूजा का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, तुलसी माता देवी लक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं, जिन्होंने भगवान विष्णु के प्रति अपनी अटूट भक्ति दिखाई। उनकी यह निष्ठा और समर्पण उन्हें अमर तुलसी के रूप में धरती पर प्रकट होने का वरदान मिला। इसलिए तुलसी का पूजन करने से न केवल घर में शुभता और समृद्धि आती है, बल्कि व्यक्ति की आत्मा को भी आध्यात्मिक ऊँचाई प्राप्त होती है।
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