Tulsi Vivah Geet: क्या आप जानते हैं इस बार तुलसी विवाह कब है? हिन्दू पंचांग के अनुसार बार 2 नवंबर 2025 को है। हर एक साल के कार्तिक महीने में तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी से कराया जाता है। तुलसी विवाह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने का खास दिन माना जाता है। हिन्दू शास्त्रों में मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने से जातक को कन्यादान के बराबार पुण्य की प्राप्ति हो सकती है और जातक के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं। इतना ही नहीं तुलसी विवाह कराने से विवाह में आने वाली रुकावटें भी खत्म हो सकती हैं। तुलसी विवाह के समय आप तुलसी विवाह से जुड़े इन मंगल गीतों को को गा सकते हैं। आइए जानते हैं तुलसी विवाह के गीतों के बारें में।
तुलसी विवाह में व्रती पूजा के बाद तुलसी विवाह के गीत गए सकती हैं। यह व्रती को व्रत में पूजा जैसा ही परिणाम दे सकते हैं। तुलसी विवाह में अगर जातक तुलसी विवाह गीत गाते हैं तो आप पॉजिटिव फील करेंगे।
हे तुलसी मैया सदा कृपा बनाये रखना
इस अंगना को सदा मेह्काये रखना,
हे तुलसी मैया सदा कृपा बनाये रखना
विष्णु प्रिया भगतन की प्यारी,
तीन लोक तेरी छठा निराली,
छत्र छाया ये अपनी बनाये रखना,
हे तुलसी मैया सदा कृपा बनाये रखना
दुःख संकट न कोई सताए,
विपता ना कोई हम को डराए,
अपने आँचल में हम को छुपाये रखना
हे तुलसी मैया सदा कृपा बनाये रखना
सरल स्भाब आप अति भावे,
वास आप का सुख पोह्चावे,
प्रेम किरपा सदा ये बरसाए रखना
हे तुलसी मैया सदा कृपा बनाये रखना
शाली ग्राम संग सदा तुम्हारे,
सब भगतन के काज सवारे,
प्रीत भगतो से सदा ही निभाये रखना
हे तुलसी मैया सदा कृपा बनाये रखना
नमो नमो तुलसा महारानी,
नमो नमो हर जी पटरानी।
कौन से महीने बीज को बोया,
तो कोनसे महीने में हुई हरियाली ।
नमो नमो….
सावन में मैया बीज को बोया ,
तो भादो मास हुई हरियाली ।
नमो नमो….
कौन से महीने में हुई तेरी पूजा तो,
कौन से महीने में हुई पटरानी ।
नमो नमो….
कार्तिक में हुई तेरी पूजा,
तो मंगसर मास हुई पटरानी ।
नमो नमो….
बाई तुलसी थे जपतप कीन्हा,
सालगराम हुई पटरानी ।
नमो नमो….
बारह बरस जीजी कार्तिक नहाई,
सालगराम हुई पटरानी ।
नमो नमो….
छप्पन भोग धरे हरि आगे,
तो बिन तुलसा हरि एक न मानी ।
नमो नमो….
सांवरी सखी मईया तेरो जस गावे ,
तो चरणा में वासो छीजो महारानी।
नमो नमो तुलसा महारानी
नमो नमो हर जी पटरानी।
तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता...
।। जय ।।
सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर...
रुज से रक्षा करके भव त्राता।
।। जय।।
बटु पुत्री हे श्यामा सुर बल्ली हे ग्राम्या...
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे सो नर तर जाता।
।। जय ।।
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित...
पतित जनों की तारिणी तुम हो विख्याता।
।। जय ।।
लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में...
मानवलोक तुम्हीं से सुख संपत्ति पाता।
।। जय ।।
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वरुण कुमारी...
प्रेम अजब है उनका तुमसे कैसा नाता।
।। जय ।।
बोलो तुलसी माता की जय….!!!
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मेरी प्यारी तुलसा जी बनेंगी दुल्हनियां...
सजके आयेंगे दूल्हे राजा।
देखो देवता बजायेंगे बाजा...
सोलह सिंगार मेरी तुलसा करेंगी।
हल्दी चढ़ेगी मांग भरेगी...
देखो होठों पे झूलेगी नथनियां।
देखो देवता...
देवियां भी आई और देवता भी आए।
साधु भी आए और संत भी आए...
और आई है संग में बरातिया।
देखो देवता...
गोरे-गोरे हाथों में मेहंदी लगेगी...
चूड़ी खनकेगी ,वरमाला सजेगी।
प्रभु के गले में डालेंगी वरमाला।
देखो देवता...
लाल-लाल चुनरी में तुलसी सजेगी...
आगे-आगे प्रभु जी पीछे तुलसा चलेगी।
देखो पैरो में बजेगी पायलियां।
देखो देवता...
सज धज के मेरी तुलसा खड़ी है...
डोली मंगवा दो बड़ी शुभ घड़ी है।
देखो आंखों से बहेगी जलधारा।
देखो देवता...
मेरे अंगना में तुलसी का ब्याह सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
आज तुलसी का सोलह सृंगार सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
तुलसी के ब्याह में गणपत जी आये
गणपत जी आये संग में रिद्धि सिद्धि लाये
रिद्धि सिद्धि बरसाये सुहाग सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
मेरे अंगना में तुलसी का ब्याह सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
तुलसी के ब्याह में भोले जी आये
भोले जी आये संग में गौरा को लाये
गौरा रानी बरसाये सुहाग सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
मेरे अंगना में तुलसी का ब्याह सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
तुलसी के ब्याह में विष्णु जी आये
विष्णु जी आये संग में लक्ष्मी जी को लाये
लक्ष्मी जी बरसाये सुहाग सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
मेरे अंगना में तुलसी का ब्याह सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
तुलसी के ब्याह में रामा जी आये
रामा जी आये संग में सीता जी को लाये
सीताजी बरसाये सुहाग सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
मेरे अंगना में तुलसी का ब्याह सखियों
पत्ते पत्ते पे मोहन का नाम सखियों
तुलसा तेरी डाली पर श्याम बसते
श्याम बस तेरी घनश्याम बसते
तुलसा तेरी डाली पर शाम बसते
एक तरफ सीता एक तरफ लक्ष्मण
बीच में राम भगवान बसते
तुलसा तेरी डाली पर
एक और ब्रह्मा एक और ब्रह्माणी
बीच में वेदों के ज्ञान बसते
तुलसा तेरी डाली थी श्याम बसते
एक और विष्णु एक और लक्ष्मी
बीच में धन के भंडार बसते
तुलसा तेरी डाली पर
एक और भोला एक और गोरा
बीच में डमरू के तान बजते
तुमसा तेरी डाली पर श्याम बसता
एक और रिद्धि एक और सिद्धि
बीच में गणपति साक्षात
बसते तुलसा तेरी डाली पर
एक और राधा एक और रुक्मणी
बीच में कान्हा के प्राण बसते
तुलसा तेरी डाली पर
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पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी।
मधुबन में तूने बांसुरी बजाई,
सब सखियां घर घर से बुलाई,
सखियों की यारी लगे तुमको प्यारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी।
गोकुल में छुपके माखन चुराये,
ग्वाल वालों सब बांट बांट खाये,
अच्छी लगे तो जग वालों की यारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी।
सारा बृज ढूंढा वृंदावन में छुप गये,
हमसे क्यों रहते हो दूर दूर हट के,
दर्शन को प्यासी है अखियां हमारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी।
निधिवन में कान्हा तूने रास रचाया,
खुद नाचे और सब को नचाया,
हमको क्यों भूल गये गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी।
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी,
पूछ रही तुलसा बताओ गिरधारी,
मैं लागू प्यारी या राधिका है प्यारी।
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता...
।। जय ।।
सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर...
रुज से रक्षा करके भव त्राता।
।। जय।।
बटु पुत्री हे श्यामा सुर बल्ली हे ग्राम्या...
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे सो नर तर जाता।
।। जय ।।
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित...
पतित जनों की तारिणी तुम हो विख्याता।
।। जय ।।
लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में...
मानवलोक तुम्हीं से सुख संपत्ति पाता।
।। जय ।।
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वरुण कुमारी...
प्रेम अजब है उनका तुमसे कैसा नाता।
।। जय ।।
बोलो तुलसी माता की जय….!!!
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तुलसी विवाह रविवार, 2 नवम्बर 2025 को
द्वादशी तिथि प्रारम्भ - 2 नवम्बर, 2025 को सुबह 07:31 बजे से
द्वादशी तिथि समाप्त - 3 नवम्बर 2025 को सुबह 05:07 बजे तक है।
तुलसी विवाह गीत गाने या सुनने के कई फायदे हैं, जैसे कि घर में सुख-शांति और समृद्धि आना, दांपत्य जीवन में प्रेम और खुशहाली बढ़ना और संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होना। इसके अलावा, तुलसी विवाह से विवाह की राह में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तुलसी गायत्री मंत्र:
ॐ त्रिपुराय विद्महे, तुलसी पत्र्य धीमहि, तन्नो तुलसी प्रचोदयात् ।
तुलसी पूजन मंत्र:
तुलसी श्रीमहलक्ष्मिर्विद्या यशस्विनी, धर्म्या धर्मानां देवी देविदेवमना प्रिया
लभते सुतारं भक्तिमंते विष्णुपादं लभेत्, तुलसी भूर्महलक्ष्मी पद्मिनी श्रीरहरप्रिया ।