आपके जीवन में सब कुछ सही चल रहा होता है लेकिन अचानक से कुछ दिन ऐसे खराब जाने लगते हैं कि आप सिर्फ सोचते रह जाते हैं यह क्या हुआ? कोई किसी अपने को खो देता है, तो कोई अपमानित महसूस करता है, कोई स्यवं को दुखिया मानने लगता है तो किसी अपनी माली हालत पर तरस आने लगता है। कुल मिलाकर भय और दुख-तकलीफों से स्वयं को घिरा हुआ महसूस करता है। ऐसी परिस्थितियां किसी के भी जीवन में आ सकती हैं लेकिन क्या ये सिर्फ परिस्थितियां होती हैं? व्यक्ति के अपने कर्म होते हैं? नहीं, कम से कम ज्योतिषशास्त्र के अनुसार तो ऐसा नहीं कहा जा सकता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जातक के कुंडली में ग्रहों के शुभाशुभ योगों से ही उसका जीवन प्रभावित होता है। ऊपर जिन स्थितियों के बारे में जिक्र किया गया है ऐसी ही स्थितियां पैदा हो जाती हैं यदि जातक विषयोग से प्रभावित हो? आइये जानते हैं क्या है विषयोग और कब-कब बना रहे हैं शनि चंद्रमा विष योग।
जब चंद्रमा शनि के साथ गोचर करने लगता है तो वह विषयोग का निर्माण करता है। चूंकि चंद्रमा लगभग 27 दिनों में सभी 12 राशियों का एक चक्र पूरा कर लेता है इसलिये संभवत हर मास एक बार विषयोग जरूर बनाता है। जिन जातकों की जन्मकुंडली में ही विषयोग हो, उन्हें तो और भी संघर्ष जीवन में करने पड़ते हैं। जातक का स्वास्थ्य, जातक की आर्थिक हालत, मानसिक विचार माने जीवन के प्रत्येक पहलू में नकारात्मकता दिखाई देने लगती हैं। हालांकि कुछ शुभ ग्रहों के प्रभाव से हो सकता है कुछ जातकों के लिये यह बहुत अधिक प्रभावी न भी हो लेकिन इसका कुछ न कुछ असर जरूर दिखाई देता है? सिर्फ चंद्रमा व शनि की युति ही नहीं कुछ और स्थितियां भी हैं जिनसे विषयोग बनता है। मसलन यदि लग्न में चंद्रमा हो व तीसरी, सप्तम या दशम भाव से शनि की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही हो तो ऐसे में भी विषयोग का निर्माण होता है। वहीं यदि शनि कर्क राशि पुष्य नक्षत्र में हो और चंद्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र का रहे या फिर शनि और चंद्रमा एक दूसरे के ठीक विपरीत हों और एक-दूसरे को देख रहे हों वैसी स्थिति भी विषयोग बनाती है।
राहू यदि कुंडली में आठवें स्थान पर हों व मेष, कर्क, सिंह या वृश्चिक लग्न में शनि हों तो उस स्थिति में भी जातक विष योग से पीड़ीत माना जाता है।
प्रत्येक मास में जब-जब चंद्रमा व शनि की युति होती है तो वह समय विशेष रूप से सावधानी बरतने का होता है। साल के बचे पांच महीनों में शनि व चंद्रमा कब-कब साथ आ रहे हैं आइये जानते हैं?
अगस्त माह में विषयोग
अगस्त माह में एक बार विषयोग बन रहा है जो कि माह के उतर्राध में है। 20 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट से 23 अगस्त को सुबह 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
सितंबर माह में विषयोग
सितंबर माह में एक बार विषयोग बन रहा है जो कि 17 सितंबर को प्रात: 4 बजकर 56 मिनट से 19 सितंबर को सांय 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
अक्तूबर माह में विषयोग
अक्तूबर माह में एक बार विषयोग बनेगा जो 14 अक्तूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से 17 अक्तूबर को मध्यरात्रि पश्चात 1 बजकर 09 मिनट तक बनेगा।
नवंबर माह में विषयोग
नवंबर माह में भी एक बार ही विषयोग बन रहा है जो 11 नवंबर से 13 नवंबर तक रहेगा।
दिसंबर माह में विषयोग
दिसंबर माह में एक ही विषयोग बन रहा है जो कि 8 दिसंबर से 10 दिसंबर तक रहेगा।
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