भारतीय सनातन धर्म में मंत्रोच्चारण का बड़ा महत्व है। और सभी मन्त्रो का उच्चारण ओम से शुरु किया जाता है। ओम एक ऐसा शब्द जिसे हिंदु सनातन धर्म का मूल आधार कहा गया है। हिंदु धर्म परंपराओं के अनुसार ओम सिर्फ एक शब्द नही है बल्कि इस एक शब्द में इस संसार के रचियता का समावेश है। सदियों से हमारे ऋषि मुनि ओम का उच्चारण करके तप योग और साधना करते आए हैं। इस एक शब्द के उच्चारण से धर्म के अलावा अन्य भी महत्व हो सकते हैं। आईए जानते हैं इनके बारे में
ओम शब्द तीन अक्षरों से बना हुआ है अ,उ और म। यहां अ का अर्थ होता है उतपन्न होना, उ का मतलब होता है उठना यानि विकास और म का मतलब होता है मौन यानी की ब्रह्म लीन हो जाना।
पौराणिक संबन्ध
कहा जाता है की संसार के अस्तित्व में आने से पहले जिस प्राकृतिक ध्वनि की गूंज थी वह ओम की थी। प्राचीन योगियों के अनुसार ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थाई नही है, जब संसार का भी अस्तीत्व खत्म हो जाएगा तब ध्वनि की गूंज ब्रह्मांड में मौजूद रहेगी। क्योंकि इस ध्वनि का आरंभ तो है मगर अंत नही है। इस ओम को ब्रह्मांड की आवाज कहा गया है।
चिकित्सीय महत्व
जब कोई इंसान नियमानुसार ओम का उच्चारण करता है तो इस उच्चारण के जरिए शरीर में एक कंपन्न पैदा होता है जिससे हमारे तन और मन को कई प्रकार के विकारों से मुक्ति मिलती है। ओम का जब मानसिक, शारीरिक, अध्यात्मिक और बौद्धिक शांति प्रदान करता है। इसके उच्चारण से शरीर में नई चेतना और उर्जा का विकास होता है। शरीर की मृत कोशिकाएं जीवित होती है जिससे तन मन पर सकारात्मक प्रभान पड़ता है।
थाईराईड पर नियन्त्रण - ओम के उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होता है जो थाईराईड ग्रंथी पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
तनाव को मिटाता है - ओम का उच्चारण दिमाग से विषैले तत्वों को निकालता है और इसके दोषों को दूर करता है। कुछ देर ओम का उच्चारण करने से मन से सभी विकार दूर होते है जिससे तनाव और दिमाग की थकान दूर होती है।
अनिद्रा को दूर करता है - अगर आप अनिद्रा जैसी परेशानी के शिकार हो रहे हैं तो तुरंत ओम का उच्चारण शुरु कर दें इसके उच्चारण सें तनाव कम होगा मन में सकारात्मक उर्जा आएगी और आप अच्छी निंद्रा ग्रहण करेगें।
घबराहट को कम करता है - ओम के उच्चारण से मन के साथ साथ दिमाग पर भी सकारात्मक असर होता है। ओम से उत्पन्न होने वाले कंपन से दिल की धड़कनें सामान्य होती है और आपके अंदर की घबराहट दूर होती हैं।
पाचन शक्ति बढाता है - ओम का उच्चारण शरीर में उर्जा का संचरण करता है, जिसके कारण हमारे खून का प्रवाह अच्छा होता है और साथ ही पाचन शक्ति मजबूत होती है।
थकान को मिटाता है - ओम का उच्चारण मांसपेशियों की स्थिलता को कम करता है जिससे हमारे शरीर की थकान दूर होती है और हमें अधिक मेहनत करने की शक्ति मिलती है।
ओम का उच्चारण करने के लिए साफ स्वच्छ और खुला वातावरण ठीक रहता है, क्योंकि जब हम इस शब्द का उच्चारण करते हैं तो हमारी सांसे तेज होती है और शरीर ज्यादा आक्सीजन ग्रहण करता है। खुले स्थान पर इसका उच्चारण करने से स्वच्छ हवा हमारे शरीर में जाती है जिससे शरीर को काफी लाभ होते हैं। भारतीय योग विद्या के अनुसार ओम के उच्चारण सुखासन, पद्मासन, वज्रासन आदि मुद्रा में बैठ कर 5,7,11 या 21 बार ओम का उच्चारण करना उपयोगी माना गया है।