धरती पर दो तरह के लोग निवास करते हैं एक तो मनुष्य और दूसरा जीव-जन्तु, लेकिन मनुष्या और जीव-जन्तु में अंतर केवल बुद्धि और विवेक का है। जहां मानव शिक्षा ग्रहण करके सही-गलत, उचित-अनुचित का भेद जान लेता है वहीं जीव जन्तु नहीं जान पाते हैं। इस तरह से देखा जाए तो शिक्षा ही मानव और पशुओं के बीच अंतर पैदा करती है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विधान है और प्रत्येक संस्कार का अपना ही अलग महत्व है। उन्हीं संस्कारों में विद्यारंभ संस्कार भी आता है। विद्यारंभ का यदि संधि विच्छेद करें तो विद्या+आरंभ यानि शिक्षा शुरू करने का दिन। शिक्षा शुरू करने से पहले अक्सर लोग पंडित या ज्योतिषाचार्य से एक शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं और उसी दिन बच्चे को स्कूल भेजते हैं। आमतौर पर यह संस्कार 5 साल की उम्र में करया जाता है।
मान्यता है कि विद्यारंभ संस्कार करवाने से बच्चा पढ़ाई में हमेशा अव्वल और सफलता प्राप्त करता है। साथ ही इस संस्कार को करवाने से बच्चे में पढ़ाई के प्रति चेतना और जागरूकता पैदा होती है। इस संस्कार को करवाने के लिए शुभ तिथि, वार, नक्षत्र और मुहूर्त देखना पड़ता है। इस संस्कार में पेंसिल, रबड़, स्लेट, पट्टी आदि का पूजन किया जाता है और भगवान गणपित और ज्ञान की देवी सरस्वती जी का स्मरण करके उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह बालक के मन में ज्ञान का प्रकाश जगाएं और उसके जीवन को सुखमय बनाने के लिए वह खूब ज्ञानार्जन करे। विद्यारंभ संस्कार में पंडित जी बालक या बालिका को अक्षर ज्ञान, विषयों का ज्ञान और जीवन के सूत्रों के बारे में बताते हैं और आत्मनिर्भर बनने के लिए विद्या के महत्व को भी बताते हैं।
ज्योतिष के अनुसार विद्यारंभ संस्कार के लिए हिंदू पंचांग में कुछ शुभ मुहूर्त को नक्षत्र, वार, राशि, तिथि आदि पहलुओं के आधार पर बताया गया है। वहीं कई अभिभावक अपने शिशु के जन्मचार्ट को दिखाकर शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं। तो चलिए आज हम इस लेख में आपको वार, तिथि, नक्षत्र, राशि और 2021 में पड़ने वाले शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हैं।
शुभ वार - सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार, रविवार
शुभ नक्षत्र - रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, अश्विनी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति, अभिजीत, धनिष्ठा, श्रवण, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा, हस्त, मूल, रेवती और पूर्वाषाढ़ा
शुभ राशि - वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, और धनु लग्न
शुभ तिथि - माघ शुक्ल की सप्तमी, फाल्गुन शुक्ल की तृतीया और चैत्र-वैशाख की शुक्ल तृतीया
वर्जित तिथि - अमावस्या, चतुर्दशी, प्रतिपदा, सूर्य संक्रांति और अष्टमी
जनवरी 2021
14 जनवरी 2021, गुरुवार, सुबह 09:02 से लेकर रात्रि 08:00 बजे तक
15 जनवरी 2021, शुक्रवार, सुबह 07:15 से लेकर शाम 07:50 बजे तक
17 जनवरी 2021, रविवार, सुबह 08:09 से लेकर शाम 06:33 बजे तक
18 जनवरी 2021, सोमवार, सुबह 07:15 से लेकर शाम 06:26 बजे तक
24 जनवरी 2021, रविवार, सुबह 07:13 से लेकर सुबह 10:01 बजे तक
25 जनवरी 2021, सोमवार, सुबह 07:13 से लेकर शाम 07:16 बजे तक
31 जनवरी 2021, रविवार, सुबह 07:10 से लेकर सुबह 09:21 बजे तक
फरवरी 2021
03 फरवरी 2021, बुधवार सुबह 07:08 से लेकर दोपहर 02:12 बजे तक
07 फरवरी 2021, रविवार, शाम 04:14 से लेकर शाम 06:25 बजे तक
08 फरवरी 2021, सोमवार, सुबह 07:05 से लेकर शाम 06:21 बजे तक
14 फरवरी 2021, रविवार, सुबह 07:01 से लेकर शाम 08:15 बजे तक
17 फरवरी 2021, बुधवार, सुबह 06:58 से लेकर शाम 07:00 बजे तक
21 फरवरी 2021, रविवार, दोपहर 02:43 से लेकर शाम 07:48 बजे तक
22 फरवरी 2021, सोमवार, सुबह 06:53 से लेकर शाम 07:44 बजे तक
24 फरवरी 2021, बुधवार, सुबह 06:51 से लेकर शाम 06:06 बजे तक
28 फरवरी 2021, रविवार, अपराह्न 11:19 से लेकर शाम 04:21 बजे तक
मार्च 2021
01 मार्च 2021, सोमवार, सुबह 06:46 से लेकर शाम 07:11 बजे तक
03 मार्च 2021, बुधवार, सुबह 06:44 से लेकर शाम 07:08 बजे तक
08 मार्च 2021, सोमवार, दोपहर 02:45 से लेकर शाम 06:49 बजे तक
10 मार्च 2021, बुधवार, सुबह 06:37 से लेकर दोपहर 02:41 बजे तक
14 मार्च 2021, रविवार, शाम 05:06 से लेकर शाम 06:03 बजे तक
कर्णछेदन संस्कार मुहूर्त 2021। अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त 2021। विवाह मुहूर्त 2021। मुंडन मुहूर्त 2021 । गृहप्रवेश मुहूर्त 2021 । जनेऊ मुहूर्त 2021
अप्रैल 2021
16 अप्रैल 2021, शुक्रवार, शाम 06:06 से लेकर शाम 08:51 बजे तक
18 अप्रैल 2021, रविवार, सुबह 05:53 से लेकर शाम 07:54 बजे तक
22 अप्रैल 2021, गुरुवार, सुबह 05:49 से लेकर सुबह 08:15 बजे तक
23 अप्रैल 2021, शुक्रवार, सुबह 07:41 से लेकर सुबह10:48 बजे तक
28 अप्रैल 2021, बुधवार, शाम 05:12 से लेकर शाम 08:04 बजे तक
29 अप्रैल 2021, गुरुवार, सुबह 05:42 से लेकर अपराह्न 11:48 बजे तक
मई 2021
02 मई 2021, रविवार, सुबह 05:40 से लेकर दोपहर 02:50 बजे तक
05 मई 2021, बुधवार, दोपहर 01:22 से लेकर शाम 07:36 बजे तक
06 मई 2021, गुरुवार, दोपहर 02:11 से लेकर शाम 07:20 बजे तक
13 मई 2021, गुरुवार, सुबह 05:32 से लेकर शाम 07:05 बजे तक
14 मई 2021, शुक्रवार, सुबह 05:31 से लेकर शाम 07:14 बजे तक
16 मई 2021, रविवार, सुबह 10:01 से लेकर रात्रि 09:12 बजे तक
17 मई 2021, सोमवार, सुबह 05:29 से लेकर रात्रि 09:08 बजे तक
21 मई 2021, शुक्रवार, अपराह्न 11:11 से लेकर रात्रि 08:52 बजे तक
23 मई 2021, रविवार, सुबह 06:43 से लेकर दोपहर 02:56 बजे तक
28 मई 2021, शुक्रवार, सुबह 05:25 से लेकर रात्रि 08:02 बजे तक
30 मई 2021, रविवार, सुबह 05:24 से लेकर रात्रि 08:17 बजे तक
31 मई 2021, सोमवार, सुबह 05:24 से लेकर रात्रि 08:13 बजे तक
जून 2021
04 जून 2021, शुक्रवार, सुबह 05:23 से लेकर दोपहर 03:11 बजे तक
06 जून 2021, रविवार, सुबह 05:23 से लेकर शाम 07:33 बजे तक
11 जून 2021, शुक्रवार, शाम 06:31 से लेकर शाम 07:30 बजे तक
13 जून 2021, रविवार, सुबह 05:23 से लेकर शाम 07:22 बजे तक
20 जून 2021, रविवार, सुबह 10:31 से लेकर शाम 08:35 बजे तक
सबसे पहले माता-पिता और शिशु को स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए।
पूजन के लिए भगवान गणपति और मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।
सबसे पहले बालक के हाथ से गणेश जी को अक्षत, रोली, धूप, नैवेद्य, फूल अर्पित कराते हुए। गणपति जी के इस मंत्र का जाप करें।
ॐ गणानां त्वा गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति हवामहे, वसोमम।
आहमजानि गभर्धमात्वमजासि गभर्धम्। ॐ गणपतये नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥
तत्पश्चात मां सरस्वती का पूजन करते हुए ॐ पावका नः सरस्वती, वाजेभिवार्जिनीवती। यज्ञं वष्टुधियावसुः। ॐ सरस्वत्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि। मंत्र का जाप करना चाहिए।
इसके बाद पूजा स्थल पर पेंसिल, रबड़, स्लेट, पट्टी यानि कॉपी आदि की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए।
यदि पूजन के वक्त गुरु उपस्थित ना हो तो नारियल को प्रतीक बना सकते हैं और उसका पूजन कर सकते हैं।
गुड़गांव में ज्योतिषी। मुंबई में ज्योतिषी। पुणे में ज्योतिषी। लखनऊ में ज्योतिषी। आगरा में ज्योतिषी