साल 2021 के इन शुभ मुहूर्त में शिशु का कराएं अन्नप्राशन संस्कार

Tue, Jan 19, 2021
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साल 2021 के इन शुभ मुहूर्त में शिशु का कराएं अन्नप्राशन संस्कार

एक कहावत है जैसा खाए अन्न वैसा बन जाए मन। इस कहावत को हिंदू धर्म में काफी महत्व दिया जाता है इसलिए हिंदू परपंरा के 16 संस्कारों में से सातवां संस्कार है अन्नप्राशन , जिसका अर्थ है अन्न खिलाना। जब बच्चा  6 या 7 महीने का हो जाता है तो उसे एक शुभ मुहूर्त निकालकर और मंत्रोचारण के साथ चावल या कोई भी सात्विक अन्न खिलाया जाता है। इस संस्कार करने का उद्देश्य यह है कि बचपन से ही शिशु सात्विक और पौष्टिक भोजन का सेवन करें। 

 

अन्नप्राशन  शब्द से आप क्या समझते हैं?

अन्नप्राशन म शब्द संस्कृत के दो शब्दों - "अन्न" और "प्रसनम" का मेल है। दोनों को मिलाकर, हमें अंग्रेजी में अन्नप्राशन म शब्द का अर्थ मिलता है "चावल या अनाज खिलाने की प्रक्रिया"। इस लोकप्रिय त्योहार को भारत भर में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे:

मुखेभात - पश्चिम बंगाल में

कोरोनू - केरल में

भात की खुलाई - उत्तराखंड में

पसनी - नेपाल में
 

क्यों मनाते हैं अन्नप्राशन  संस्कार?

अन्नप्राशन म मनाने का हिंदू परंपरा में अन्य संस्कारों के समान ही महत्व है, जो धार्मिक, आध्यात्मिक और तार्किक दोनों हैं। इस त्योहार को मनाने के पीछे प्रमुख विचार अच्छे स्वास्थ्य और उचित पोषण को बढ़ावा देना है। शास्त्रों में कहा गया है कि जब शिशु मां के गर्भ में होता है तो वह मलिन तत्व भी ग्रहण कर लेता है। इसलिए इस संस्कार के जरिए मलिन भोजन के दोष के निवारण और शिशु को शुद्ध, सात्विक और पौष्टिक आहार देने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिससे बच्चा मज़बूत बन सके और उसकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो। ठोस भोजन का सेवन बच्चे के शरीर, हृदय और दिमाग को भी मजबूत बनाता है।

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अन्नप्राशन  संस्कार कैसे किया जाता है?

इस संस्कार को शिशु के मामा द्वारा संपन्न किया जाता है। सबसे पहले मामा शिशु को गोद में लेते है और उसे अपने हाथों से खीर या कोई ठोस आहार खिलाते हैं। इसके बाद परिवार के बाकी सदस्य भी बच्चे को अन्न खिलाते हैं और जीवनभर स्वस्थ रहने का आशीर्वाद देते हैं। इस संस्कार के वक्त एक मजेदार खेल भी खेला जाता है, जहां कई प्रतीकात्मक वस्तुओं को एक ट्रे में रखा जाता है जैसे मिट्टी, सोने के आभूषण, कलम, किताब और खाना आदि। इसमें से सबसे पहले शिशु जिस पर भी हाथ रखता है उसके भविष्य का ज्योतिषी द्वारा आकलन किया जाता है। कहा जाता है कि यदि बच्चा मिट्टी को हाथ लगाता है तो उसके पास संपत्ति होगी, यदि सोने के आभूषण को स्पर्श करता है तो धन होगा, कलम को हाथ लगाता है तो अत्यधिक ज्ञानी किस्म का होगा, किताब को हाथ लगाता है तो सीखने में रुचि रखेगा और खाने को स्पर्श करता है तो दयावान होगा।  

 

अन्नप्राशन  संस्कार में सावधानियां

  • सबसे पहले किसी ज्योतिषी की मदद से आप एक शुभ मुहूर्त निकलवाए और पंडित जी को घर पर बुलाकर इस संस्कार को विधिपूर्वक संपन्न करवाएं। क्योंकि आपकी एक लापरवाही आपके बच्चे के भविष्य के लिए परेशानी पैदा कर सकती है। 

  • सुनिश्चित करें कि आपका शिशु अच्छे से आराम कर चुका हो। बच्चे को स्नानादि के बाद साफ-सुथरे आरामदायक कपड़े पहनाएं। 

  • शिशु को अन्न खिलाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।

  • सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे का भोजन ताजा और स्वच्छ तरीके से तैयार किया गया है।

  • अपने बच्चे के मुंह के आसपास किसी भी अतिरिक्त भोजन को पोंछने के लिए एक छोटा तौलिया रखें।

  • सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा ज्यादा ठोस अहार का सेवन ना करें क्योंकि उसे अपच या पेट की समस्या हो सकती है।

  • हवन के दौरान, सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा आग के बहुत करीब नहीं है।

  • अपने बच्चे के चेहरे को धुएं से दूर रखें। उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करने के लिए दरवाजे और खिड़कियां खोलें।

 

अन्नप्राशन  मुहूर्त की गणना और समय

जन्म के बाद से 6 वें, 8 वें, 10 वें या 12 वें महीने में पहली बार एक लड़के के लिए अन्नप्राशन  संस्कार करना सबसे अच्छा है और एक लड़की के जन्म के बाद से 5 वें, 7 वें या 9 वें महीने में अन्नप्राशन  संस्कार करना शुभ है। अन्नप्राशन  के लिए शुक्ल पक्ष सर्वश्रेष्ठ है। 

तिथि 

आप कृष्ण पक्ष से प्रथमा, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी जैसी तिथियों पर भी विचार कर सकते हैं।

वार

सोमवार (सोमवार), बुधवार (बुधवार), बृहस्पतिवार (गुरुवार) और  शुक्रवार शुभ दिन हैं। रविवार, मंगलवार और शनिवार को टाला जाता है।

नक्षत्र

सप्तशालक चक्र के अनुसार, अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पूर्णवसु, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, अभिजीत, श्रवण, धन्वन्तर, रेवती आदि नक्षत्रों में यह संस्कार संपन्न करवाना चाहिए। यदि उपर्युक्त नक्षत्रों पर कोई पापी ग्रह अपना प्रभाव ना डाल रहा हो। 

 

वहीं आज हम 2021 में पड़ने वाले अन्नप्राशन  शुभ मुहूर्त को लेकर प्रस्तुत हुए हैं। तो चलिए जानते हैं 12 महीनों में कब-कब हैं शुभ मुहूर्त

 

जनवरी 2021

  • 14 जनवरी 2021, गुरुवार, सुबह 09: 02 बजे से लेकर दोपहर 01:29 बजे तक 

  • 15 जनवरी 2021, शुक्रवार, सुबह 07:15 बजे से लेकर दोपहर 01:25 बजे तक

  • 18 जनवरी 2021, सोमवार, सुबह 07:43 बजे से लेकर सुबह 09:14 बजे तक

  • 20 जनवरी 2021, बुधवार, सुबह 07:14 बजे से लेकर दोपहर 01:06 बजे तक 

 

फरवरी 2021

  • 22 फरवरी 2021, सोमवार, सुबह 06:53 से लेकर सुबह 10:58 बजे तक 

  • 25 फरवरी 2021, गुरुवार, सुबह 06:51 से लेकर दोपहर 01:17 बजे तक 

 

मार्च 2021

  • 15 मार्च 2021, सोमवार, सुबह 06:31 से लेकर दोपहर 01:44 बजे तक

  • 24 मार्च 2021, बुधवार, सुबह 06:21 से लेकर सुबह 10:24 बजे तक 

 

कर्णछेदन संस्कार मुहूर्त 2021 मुंडन मुहूर्त 2021।  विवाह मुहूर्त 2021 विद्यारंभ मुहूर्त 2021 गृहप्रवेश मुहूर्त 2021 जनेऊ मुहूर्त 2021 

 

अप्रैल 2021

  • 19 अप्रैल 2021, सोमवार,  सुबह 05:52 बजे से लेकर शाम 04:04 बजे तक 

 

मई 2021

  • 13 मई 2021, गुरुवार, सुबह 05:32 बजे से लेकर दोपहर 02:29 बजे तक 

  • 14 मई 2021, शुक्रवार, सुबह 05:31 बजे से लेकर दोपहर 02:25 बजे तक 

  • 17 मई 2021, सोमवार, सुबह 05:29 बजे से लेकर अपराह्न 11:35 बजे तक 

  • 24 मई 2021, सोमवार, अपराह्न 11:12 बजे से लेकर शाम 04:02 बजे तक 

 

जून 2021

 

  • 23 जून 2021, बुधवार, सुबह 05:24 बजे से लेकर सुबह 07:00 बजे तक

  • 24 जून 2021, गुरुवार, दोपहर 01:50 बजे से लेकर शाम 04:20 बजे तक 

 

जुलाई 2021

  • 15 जुलाई 2021, गुरुवार, सुबह 05:33 से लेकर सुबह 07:16 बजे तक 

  • 16 जुलाई 2021, शुक्रवार, सुबह 06:06 से लेकर दोपहर 02:53 बजे तक

  • 22 जुलाई 2021, गुरुवार, सुबह 05:37 से लेकर अपराह्न 12:45 बजे तक 

 

अगस्त 2021

  • 11 अगस्त 2021, बुधवार, सुबह 09:32 से लेकर दोपहर 02:23 बजे तक 

  • 13 अगस्त 2021, शुक्रवार, सुबह 05:49 से लेकर दोपहर 02:43 बजे तक 

  • 20 अगस्त 2021, शुक्रवार, सुबह 05:53 से लेकर दोपहर 02:54 बजे तक 

 

सितंबर 2021

  • 08 सितंबर 2021, बुधवार, सुबह 06:03 से लेकर दोपहर 01:40 बजे तक 

  • 09 सितंबर 2021, गुरुवार, सुबह 06:03 से लेकर दोपहर 01:36 बजे तक 

  • 13 सितंबर 2021, सोमवार, सुबह 06:05 से लेकर सुबह 08:23 बजे तक 

  • 16 सितंबर 2021, गुरुवार, सुबह 06:07 से लेकर सुबह 09:37 बजे तक 

 

अक्टूबर 2021

  • 08 अक्टूबर 2021, शुक्रवार, सुबह 06:18 बजे से लेकर दोपहर 01:46 बजे तक 

  • 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार, सुबह 06:22 बजे से लेकर दोपहर 01:18 बजे तक 

  • 18 अक्टूबर 2021, सोमवार, सुबह 10:49 बजे से लेकर दोपहर 01:06 बजे तक 

  • 20 अक्टूबर 2021, बुधवार, सुबह 07:41 बजे से लेकर अपराह्न 12:59 बजे तक 

 

नवंबर 2021

  • 10 नवंबर 2021, बुधवार, सुबह 08:25 बजे से लेकर दोपहर 01:18 बजे तक 

  • 11 नवंबर 2021, गुरुवार, सुबह 06:41 बजे से लेकर सुबह 06:50 बजे तक 

 

दिसंबर 2021

  • 08 दिसंबर 2021, बुधवार, सुबह 07:02 बजे से लेकर अपराह्न 12:56 बजे तक 

  • 10 दिसंबर 2021, शुक्रवार, सुबह 07:03 बजे से लेकर अपराह्न 12:48 बजे तक 

  • 13 दिसंबर 2021, सोमवार, सुबह 07:05 बजे से लेकर अपराह्न 12:36 बजे तक 

 

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