हिंदू पंचांग के अनुसार साल के सातवें महीने को आश्विन महीना कहा जाता है। ये भाद्रपद के बाद और कार्तिक माह से पहले आता है। हिंदू कैलेंडर में हर महीना किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। जैसे- सावन शंकर का महीना होता है, भादो को श्रीकृष्ण का माह माना जाता है उसी प्रकार अश्विनी माह को देवी दुर्गा का माह माना जाता है। इस माह में ही पितरों के श्राद्ध् का विधान है और शारदीय नवरात्रि भी इस माह में ही संपन्न होती हैं। ज्योतिषाचार्य की माने तो अश्विनी मास 2021 में 21 सितंबर से शुरु हो रहा है और 20 अक्टूबर तक रहेगा।
आश्विन माह में कुंडली और ग्रहों की चाल के अनुसार किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसकी विस्तृत जानकारी के लिए आप भारत के जाने-माने ज्योतिषाचार्यों से परामर्श कर सकते हैं। परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।
पितृपक्ष
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाले पितृपक्ष का समापन आश्विन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को होता है। इन श्राद्ध के 16 दिनों में पितरों को शांत करने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए उनका तर्पण और पिंडदान किया जाता है। हिंदू धर्म में आश्विन कृष्ण अमावस्या को पितरों की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
विघ्नराज संकष्टी
विघ्नराज संकष्टी इस वर्ष 24 सितंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा व आराधना की जाती है।
सर्वपितृ आमवस्या
इस बार सर्वपितृ आमवस्या 06 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन को पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है। इस एक दिन श्राद्ध विधि करने से पितृ को संतुष्टि मिल जाती है।
नवरात्र
शक्ति पूजा का यह पर्व इस बार 07 अक्टूबर को शुरू हो रहा है।
अधिक विनायक चतुर्थी
इस बार अधिक मास पड़ने से विनायक चतुर्थी भी अधिक मास में पड़ रहा है। अधिक विनायक चतुर्थी 09 अक्टूबर दिन शनिवार को है।
विजयदशमी
यह पर्व बुराई व अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जो पूरा भारत में बड़े धूम- धाम से मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 15 अक्टूबर को है।
पापांकुशा एकादशी व्रत
इस बार पापांकुशा एकादशी व्रत 16 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना कर उन से आशीर्वाद लिया जाता है।
अश्वीन पूर्णिमा
इस बार यह 20 अक्टूबर को पड़ रहा है।
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