दशहरा - बुराई पर अच्छाई का दिन है विजय दशमी

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दशहरा - बुराई पर अच्छाई का दिन है विजय दशमी

हिन्दू धर्म में दशहरा अथवा विजय दशमी का बहुत ही महत्व है| यह दिन बुराई पर अच्छाई, झूठ पर सच्चाई की विजय का प्रतीक है| प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की दशमी तिथि पर यह अत्यंत शुभ पर्व पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास से मनाया जाता है| इस वर्ष यह उत्साहपूर्ण पर्व 25 अक्तूबर 2020 को धूमधाम से मनाया जाएगा| दशहरा नाम संस्कृत भाषा से उत्पन्न हुआ है जिसे विच्छेद करने से बनता है ‘दशा’ यानि दस एवं ‘हारा’ यानी हार जिसका अर्थ है दस सर वाले रावण की हार| विजय दशमी का अर्थ है हिन्दू पंचांग की दशमी तिथि पर बुराई पर अच्छाई की विजय के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

 

दशहरा की पौराणिक कथा

पंडितजी का कहना है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार जब श्रीराम 14 वर्षों के वनवास में अपना जीवन यापन कर रहे थे तो लंकापति रावण ने उनकी पत्नी माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बना कर रख लिया था| श्रीराम ने अपने अनुज लक्ष्मण, भक्त हनुमान और सुग्रीव, जामवंत आदि से संपन्न वानर सेना के साथ रावण की सेना से लंका में ही पूरे नौ दिनों तक युद्ध लड़ा| मान्यता है कि उस समय प्रभु राम ने देवी माँ की उपासना की और उनके आशीर्वाद से आश्विन मास की दशमी तिथि पर अहंकारी रावण का वध किया|

 

एक और कथा के अनुसार असुरों के राजा महिषासुर ने देवों को पराजित कर इन्द्रलोक और समस्त पृथ्वी पर अपना वर्चस्व कायम कर दिया था| चूंकि ब्रह्मदेव के वरदान से महिषासुर को ना ही कोई पुरुष, ना कोई देव, यहाँ तक कि स्वयं त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी उसका वध नहीं कर सकते थे| ऐसे में त्रिदेवोंं के साथ मिलकर सभी देवों ने अपनी शक्तियों से देवी भगवती की उत्पत्ति की| तत्पश्चात देवी माँ ने महिषासुर के साथ उसकी सेना का वध कर देवों को पुनः स्वर्गलोक का अधिकार दिलवाया और समस्त विश्व को महिषासुर के आतंक से मुक्त करवाया| माँ की इस विजय को ही विजय दशमी के रुप में मनाया जाता है| 

 

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दशहरा शुभ मुहूर्त

दशहरा / विजय दशमी तिथि - 25 अक्तूबर 2020, रविवार

विजय मुहूर्त - 13:57 से 14:42 बजे तक

अपराह्न पूजा मुहूर्त - 13:12 से 15:27 बजे तक

दशमी तिथि प्रारंभ  - सुबह 7 बजकर 41 मिनट (25 अक्तूबर 2020) से

दशमी तिथि समाप्त - सुबह 09:00 बजे (26 अक्तूबर 2020) तक
 

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