Bhaum pradosh vrat: भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) हिन्दू धर्म के अनुसार यह मान्यता है कि प्रदोष व्रत से भगवान शंकर (Lord Shiva) प्रसन्न होते हैं। हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। कहा जाता है कि भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष का अर्थ है त्रयोदशी तिथि है। मंगलवार को त्रयोदशी तिथि होने से इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। इस बार यह व्रत 15 मार्च को रखा जाएगा। भौम प्रदोष व्रत करने वाले लोगों पर भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी (Hanuman) की भी कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को मंगल ग्रह के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और इस दिन व्रत करने से गोदान का फल भी प्राप्त होता है। तो चालिए जानते हैं प्रदोष व्रत तिथि, भौम प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त एवं महत्व (Importance) के बारे में।
दिन का प्रदोष समय | 06:29 शाम से 08:53 रात तक |
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ | 15 मार्च, 2022 को 01:12 बजे से |
त्रयोदशी तिथि समाप्त | 16 मार्च, 2022 को 01:39 बजे तक |
भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Shiva) की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन यथानुसार भांग, बेलपत्र, धतूरा, मदार पुष्प, गंगाजल, दूध आदि से विधिपूर्वक पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद कुश के आसन पर बैठकर शिवजी के मंत्रों का जाप करें। इसी के साथ हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक जलाकर सुंदरकांड का पाठ करें। हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, हर माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं।
इस प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा अर्जन करने से रोग और दोष दूर होते हैं। असाध्य रोगों से छुटकारा पाने के लिए आप यह प्रदोष व्रत कर सकते हैं। आपको इस व्रत से लाभ की प्राप्ति हो सकती है।
✍️By - टीम एस्ट्रोयोगी
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