
Brahm Muhurat: क्या आपने कभी सुबह उठते ही ऐसा अनुभव किया है जब न तो बाहर अंधेरा होता है और न ही पूरी तरह रोशनी? वो शांत, स्थिर और ऊर्जावान क्षण ही ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है। लेकिन क्या वाकई इस समय में कुछ ऐसा खास होता है जो इसे योग, ध्यान, पूजा और आत्मिक जागरण के लिए सर्वश्रेष्ठ बना देता है?
हिंदू धर्म, आयुर्वेद, योग और ज्योतिष—सभी शास्त्र इस समय को दिव्य और शुभ बताते हैं। पर सवाल ये है कि ब्रह्म मुहूर्त का इतना महत्व क्यों है? क्या इसे सिर्फ आध्यात्मिक जागरूकता के लिए माना गया है या इसका वैज्ञानिक पक्ष भी है?
इस लेख में हम जानेंगे कि ब्रह्म मुहूर्त आखिर है क्या, इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, स्वास्थ्य पर इसके फायदे, और क्यों इसे ‘देवताओं की घड़ी’ कहा गया है। साथ ही जानेंगे कि इस समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
‘ब्रह्म मुहूर्त’ दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है – ‘ब्रह्मा’ अर्थात सृजनकर्ता और ‘मुहूर्त’ अर्थात एक निश्चित कालखंड। इसका शाब्दिक अर्थ है – सृजन का समय। यह सूर्योदय से लगभग 1 घंटे 36 मिनट पहले आरंभ होता है और लगभग 48 मिनट तक चलता है। यह काल रात का अंतिम प्रहर होता है, जब वातावरण पूरी तरह शांत, शुद्ध और ऊर्जावान होता है।
इस समय की विशेषता यह है कि यह न तो दिन है और न रात – बल्कि दोनों के बीच का संतुलन है। यह संतुलन हमारे मस्तिष्क और आत्मा पर भी सीधा प्रभाव डालता है।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त के दौरान भगवान स्वयं जागते हैं और ब्रह्मांड में आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह सबसे अधिक होता है। यही कारण है कि ऋषि-मुनि, योगी और साधक इस समय को आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर-साधना के लिए सर्वोत्तम मानते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, यह समय चंद्रमा और बृहस्पति जैसे सौम्य ग्रहों के प्रभाव में होता है, जो ध्यान, साधना, ज्ञान और मानसिक शांति को बढ़ावा देते हैं। इस दौरान किया गया कोई भी कार्य विशेष फलदायी होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने और साधना करने से न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी व्यक्ति को लाभ होता है। आइए जानें कैसे:
इस समय मस्तिष्क पूरी तरह शांत होता है, विचारों का प्रवाह अवरोध रहित होता है। यदि आप ध्यान, मंत्र जाप या स्वाध्याय करते हैं तो आपकी स्मरण शक्ति, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और आत्मबल में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
ब्रह्म मुहूर्त में वायु शुद्ध होती है और ऑक्सीजन का स्तर अधिक होता है। ऐसे में योग, प्राणायाम और हल्का व्यायाम शरीर को ऊर्जावान और रोग-मुक्त बनाए रखता है। यह समय मेटाबॉलिज़्म को सक्रिय करने का भी सबसे उपयुक्त समय होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में की गई साधना आपके पूरे दिन को प्रभावित करती है। इससे आप अधिक जागरूक, शांत और सकारात्मक बने रहते हैं।
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हिन्दू धर्म में पूजा केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम है। और जब यह कार्य ब्रह्म मुहूर्त जैसे शुभ समय में किया जाए, तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में किए गए मंत्र जाप, जैसे – गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, या किसी भी देवी-देवता का बीज मंत्र – वातावरण में विशेष कंपन उत्पन्न करते हैं, जो न केवल आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं, बल्कि दिव्य ऊर्जा को भी आकर्षित करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस समय ईश्वर से सीधा संपर्क स्थापित करना सरल होता है। जब पूरी प्रकृति शांत होती है, तब आपकी प्रार्थना और भक्ति अधिक प्रभावी होती है। यह समय आत्म-संवाद और प्रभु-संवाद का सेतु बन जाता है।
दिन के अन्य समयों की तुलना में ब्रह्म मुहूर्त में वातावरण अधिक स्वच्छ और प्रदूषण रहित होता है। यह वातावरण पूजा की पवित्रता को बढ़ाता है और उसमें बाधा डालने वाले कारक न्यूनतम रहते हैं।
यदि आप ब्रह्म मुहूर्त का संपूर्ण लाभ लेना चाहते हैं, तो इस समय कुछ विशेष आध्यात्मिक गतिविधियां करें:
सूर्योदय से पूर्व उठना और स्नान करना शरीर और मन को जाग्रत करता है। यह पहली और सबसे आवश्यक क्रिया है।
कम से कम 15 से 30 मिनट का ध्यान और श्वास अभ्यास करें। यह मानसिक स्पष्टता लाता है और तनाव को दूर करता है।
गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र या किसी अपने आराध्य का नामजप करें। इससे वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है और आपके मन की शक्ति भी।
भगवद गीता, रामायण या अन्य किसी पवित्र शास्त्र का पाठ इस समय करने से जीवन की दिशा और उद्देश्य स्पष्ट होते हैं।
घर के मंदिर में या पूजा स्थान पर दीपक जलाकर देवी-देवताओं को प्रणाम करें, फूल अर्पित करें और भक्ति से प्रार्थना करें।
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जो लोग नियमित रूप से ब्रह्म मुहूर्त में जागकर पूजा, ध्यान या योग करते हैं, उनमें कई सकारात्मक परिवर्तन देखे गए हैं:
मानसिक स्थिरता और भावनात्मक संतुलन
जीवन में स्पष्टता और आत्म-विश्वास
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शांति
पारिवारिक जीवन में सामंजस्य और सौहार्द
ब्रह्म मुहूर्त केवल एक समय नहीं, बल्कि एक साधना है। यह वह क्षण है जब आप स्वयं से मिलते हैं, अपने मन और आत्मा को एक नई दिशा देते हैं। आज की व्यस्त जीवनशैली में जहां तनाव, चिंता और असंतुलन आम हो गए हैं, वहां ब्रह्म मुहूर्त एक समाधान बन सकता है – आत्मशांति का, स्वास्थ्य का और दिव्यता का।
यदि आप अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो यह संकल्प लें कि आप हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठेंगे और स्वयं से जुड़ने का यह अमूल्य समय व्यर्थ नहीं जाने देंगे।