Mahamrityunjaya Mantra: कलयुग में ब्रह्मास्‍त्र है, महामृत्युंजय मंत्र

Mon, May 09, 2022
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Mon, May 09, 2022
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
Mahamrityunjaya Mantra: कलयुग में ब्रह्मास्‍त्र है, महामृत्युंजय मंत्र

शिव सत्य है और शिव ही परम ब्रह्म है। शिव भगवान अजन्मी हैं, हिन्दू शास्त्रों में शिव को स्वंमभू बताया गया है। भगवान शिव के ना माता-पिता है और ना ही इनका बचपन है, भगवान शिव ने खुद को स्वयं से प्रकट किया है।

कलयुग में इंसान की सभी इच्छाओं की पूर्ति भगवान शिव की आराधना से हो सकती हैं। चाहे बात करें धन या व्यवसाय की, या सुख समृद्धि की, सभी प्रकार की पीड़ा से लाभ प्राप्त करने के लिए देवों के देव महादेव की पूजा उपयुक्त होती है। लेकिन अब बात आती है कि भगवान शिव की पूजा किस तरह से की जाए?

तो यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि सतयुग में तो मूर्ति पूजा से ही लाभ प्राप्त हो जाता था किन्तु कलयुग में मात्र मूर्ति पूजा से सुख नहीं पाया जा सकता है। भविष्य पुराण में भी इस बात का जिक्र आता है कि कलयुग में बिना मंत्र ध्यान और जप से इंसान सुख प्राप्त नहीं कर सकता है। तो यदि हम भगवान शिव की अपार कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो महामृत्युंजय मंत्र का नित्य रोज जप बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।

देश के जाने-माने विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें 

आइये जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र  के महत्व के बारे में  -

  1. यदि व्यक्ति की कुंडली में मास, गोचर और दशा, अंतर्दशा, स्थूलदशा आदि में किसी भी प्रकार की कोई पीड़ा है तो यह दोष महामृत्युंजय मंत्र  से दूर किये जा सकते हैं।
  2. यदि कोई मनुष्य किसी महारोग से कोई पीड़ित है तो भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ तक की यह मन्त्र म्रत्यु को भी टाल देता है।
  3. जमीन-जायदाद के बँटवारे की संभावना हो या किसी महामारी से लोग मर रहे हों। ऐसे समय में महामृत्युंजय मंत्र  का प्रयोग ब्रह्मास्त्र का कार्य करता है।
  4. घर में कलेश रहता हो, पारिवारिक दुःख चल रहा हो या घर में अकाल म्रत्यु हो रही हो तब ऐसे में नित्य रोज सुबह-शाम महामृत्युंजय मंत्र  का जाप किया जाये, तो पीड़ा जड़ से खत्म हो जाती है।
  5. यदि आपके जीवन में किसी भी कारण से धन की हानि हो रही है या आपका व्यवसाय नहीं चल पा रहा है तो महामृत्युंजय मंत्र से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
  6. बार-बार हमारी आत्मा जन्म लेकर, दुःख भोगती है। यदि हम महामृत्युंजय मंत्र का जाप निरंतर करते रहते हैं तो आत्मा इस आवागमन के दुःख से छूटते हुए, ब्रह्म शक्ति में लीन हो जाती है।

महामृत्युंजय मंत्र का शब्दशः अर्थ 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

  • त्रयंबकम = त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक)
  • यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्धेय
  • सुगंधिम= मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक)
  • पुष्टि = एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता
  • वर्धनम = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धि कारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है,
  • उर्वारुकम= ककड़ी (कर्मकारक)
  • इव= जैसे, इस तरह
  • बंधना= यह वरुणादित्या का बोधक है जो वाम गुल्फा में स्थित है।
  • मृत्युर = मृत्यु से
  • मुक्षिया = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
  • मा= न
  • अमृतात= अमरता, मोक्ष।

आज का पंचांग ➔  आज की तिथिआज का चौघड़िया  

महामृत्युंजय मंत्र  जप विधि

शास्त्रों में वैसे जप का सबसे उपयुक्त समय तो ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः 2 से 4) ही बताया गया है, किन्तु यदि इस समय जप नहीं हो पाता है तो प्रातःकाल और सायंकाल में स्नान और सभी जरूरी कार्यों से निवृत्त होकर, कम से कम 5 बार महामृत्युंजय मंत्र, माला का जाप करना चाहिए।

  1. जाप के समय रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करना, अच्छा माना जाता है।
  2. ध्यान दें कि पूर्व दिन में जपी गयी माला से कम जाप अगले दिन नहीं करना होता है। बेशक जप संख्या ज्यादा हो सकती है किन्तु यह कम न हों।
  3. ध्यान के समय, मन किसी भी अन्य कार्य में नहीं होना चाहिए।
  4. जप काल में शिवजी की प्रतिमा, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र का पास में रखना काफी अच्छा समझा जाता है। तथा मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए।
  5. इंसान यदि मासाहार छोड़कर महामृत्युंजय मंत्र का जप करता है तो इससे शीघ्र ही लाभ प्राप्त होता है।
  6. साथ ही साथ एकमुखी रुद्राक्ष महामृत्युंजय पेंडेंट की मदद से भी बहुत लाभ प्राप्त होता है। 

यह भी पढ़ें

सावन शिवरात्रि । सावन - शिव की पूजा का माह । अमरनाथ यात्रा - बाबा बर्फानी की कहानी । पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर

यहाँ भगवान शिव को झाड़ू भेंट करने से, खत्म होते हैं त्वचा रोग । विज्ञान भी है यहाँ फेल, दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है यह शिवलिंग । चमत्कारी शिवलिंग, हर साल 6 से 8 इंच बढ़ रही है इसकी लम्बाई  । भगवान शिव और नागों की पूजा का दिन है नाग पंचमी

article tag
Career
article tag
Career
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!