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साल 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू ने जीत दर्ज की है। वे भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी। आइए जानते हैं कि उनकी कुंडली के विश्लेषण से कि क्या कहते हैं उनके सितारे?
Presidential Election 2022: बीती 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुआ था। इस चुनाव में सरकार की ओर से द्रौपदी मुर्मू व विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया था। इसका परिणाम 21 जुलाई को घोषित हुआ। जिसमें सरकार (एनडीए) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने जीत हासिल की है। आगामी 24 जुलाई को वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। वहीं, 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी।
एस्ट्रोयोगी के ज्योतिषिय़ों ने राष्ट्रपति चुनाव के दोनों उम्मीदवारों की कुंडली विश्लेषण किय़ा था। जिसमें द्रौपदी मुर्मू की जीत की संभावना बतायी गयी थी। चुनाव के परिणाम में भी द्रौपदी मुर्मू की जीत हुई और अब वे 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी।
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के जिला मयूरभंज में 20 जून 1958 को हुआ था। वे एक पिछड़े क्षेत्र व आदिवासी परिवार में पैदा हुई थी। इसके बावजूद इनके परिवार के सदस्य शिक्षित थे और क्षेत्र में एक अच्छा स्थान और सम्मान रखते थे। इनके पिता और दादा ग्राम प्रधान थे। इनका विवाह श्यामाचरण मुर्मू के साथ हुआ था। इसके पश्चात उनके दो बेटे व एक बेटी हुई। दोनों बेटों व पति की अलग-अलग समय पर मृत्यु हो गयी। वहीं, उनकी पुत्री की शादी हो चुकी है और वे भुवनेश्वर में रहती हैं।
द्रौपदी मुर्मू की कुंडली के अनुसार लग्न में मंगल पर गुरु की दृष्टि समझदारी और उच्च पद प्रदान करती है, ऐसा व्यक्ति सेना पुलिस में कार्य करता है या इनके द्वारा रक्षित होता है।
कुंडली में गुरु और मंगल समसप्तक योग का निर्माण करते हैं, पद प्रतिष्ठा मान सम्मान भी 7th भाव से ही प्राप्त होता है। समसप्तक का अर्थ होता है, ऐसा व्यक्ति जो किसी भी कार्य को बिना सफल हुए नहीं छोड़ता, भाग्य और परिस्थिति भी उसके साथ और उसका सहयोग करते हैं।
वहीं, बुध चतुर्थ भाव में स्थित है और भद्र नामक राज योग स्थापित करता है, जो पांच महापुरुषों की श्रेणी में आता है और उनके व्यक्तित्व को मजबूत करता है। इसी योग के कारण जनता से संबंध बनता है और जातक भलाई के कार्य करता है। इसके साथ ही सूर्य का 10वां भाव पर दृष्टि डालना भी सरकार और सत्ता में हिस्सेदारी कराता है। सप्तम भाव में राहु अचानक से लाभ और शुक्र की राहु से युति चमक-दमक देती है । केतु और शुक्र की युति आध्यात्मिक लाभ और परिवार को सम्मान देती है ।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की यही एक खूबसूरती है कि यहां कोई भी काबिल इंसान बड़े से बड़े पद पर आसीन हो सकता है। भले वह गरीब या पिछड़े समाज से क्यों न आया हो। आगामी 25 जुलाई को एक आदिवासी और अत्यंत मेहनतकश समाज से आयी महिला देश के प्रथम नागरिक (राष्ट्रपति) के रूप में शपथ लेंगी।
सबसे कम विकसित क्षेत्रों में रहने वाली द्रौपदी मुर्मू ने कॉलेज से स्नातक किया और उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के रूप में चुनकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। इसके बाद उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके बाद वे भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रहीं।
वे ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से वर्ष 2000 व 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीतीं और विधायक बनीं।ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में वर्ष 2000 से 2004 के बीच उन्हें वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था। इसके बाद साल 2015 में वे झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। वे झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं।
द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने से भारत की कुंडली में कुछ चीजों में बड़ा लाभ प्राप्त होगा। जैसे धार्मिक कार्यों में बढ़ोतरी होगी और गंगा जैसी पवित्र नदियां साफ होंगी। भारत की प्रतिष्ठा स्थापित होगी और भारत का मान सम्मान और रुपया मजबूत होगा। इसके साथ ही भारत अधिक आत्मनिर्भर होगा।
✍️ By- राजदीप पंडित