सावन अमावस्या 2024: भगवान शंकर के सबसे प्रिय माह सावन में आने वाली अमावस्या को सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस दिन व्रत, पूजा एवं दान आदि का विशेष महत्व है, साल 2024 में कब है सावन अमावस्या, कैसे और कब करें व्रत एवं पूजन? जानने के लिए पढ़ें सावन अमावस्या 2024
हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह में आने वाली अमावस्या का अपना एक विशेष महत्व होता है। ऐसे ही सावन के महीने में आने वाली अमावस्या को अत्यधिक विशिष्ट माना गया है। हमारे देश के कई हिस्सों में इस अमावस्या को सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हिन्दुओं के लिए श्रावण अमावस्या या चंद्रमा का दिन महत्वपूर्ण होता है। इस दिन को विभिन्न संस्कृतियों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या सामान्यरूप से जुलाई-अगस्त के महीने में आती है। सावन का माह हिन्दुओं के लिए अनेक पर्वों एवं त्योहारों को लेकर आता है।
श्रावण अमावस्या की तिथि: 04 अगस्त 2024, रविवार
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन हरियाली अमावस्या के अवसर पर किसी पवित्र नदी में स्नानादि करने के बाद दान करना बेहद शुभ माना जाता है। श्रावण अमावस्या के दिन पितरों एवं पूर्वजों के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए तर्पण और पूजन आदि अनुष्ठान कार्य किये जाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि हरियाली अमावस्या पर तर्पण एवं पूजा से पितृ प्रसन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त, हरियाली अमावस्या की तिथि पर पेड़-पौधे को लगाना भी बेहद शुभ होता है।
हरियाली अमावस्या के दिन मुख्यतः पीपल और तुलसी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में त्रिदेव अर्थात भगवान ब्रह्मा, विष्णु जी और शिव जी का वास माना गया हैं। इस पूजा को करने के बाद पेड़ लगाने की भी परंपरा है। हरियाली अमावस्या पर प्रति वर्ष एक पेड़ लगाना चाहिए।
अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि की वजह से बहुत महत्व दिया जाता है। श्रावण भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है इस वजह से भी श्रावण अमावस्या को बेहद भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही पर्यावरण संरक्षण पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। यही कारण है कि पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पेड़-पौधों में ईश्वर का वास की धारणा को महत्व देकर उनकी पूजा का विधान है। इस पर्व का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है क्योंकि हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के महत्व और धरती को हरा-भरा बनाए रखने का मानव को संदेश देती है।
हरियाली अमावस्या पर कैसे करें पितरों को प्रसन्न? जानने के लिए अभी बात करें एस्ट्रोयोगी पर वैदिक ज्योतिषाचार्यों से।