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अपनी मन की मुराद पूरी करने के लिए लोग अलग-अलग मान्यताओं के साथ रत्न धारण करते हैं, लेकिन इसमें सबसे प्रचलित है जन्म के आधार पर पहना जानेवाले रत्न। वैदिक ज्योतिष में भी यही जन्म कुंडली के आधार पर ही जातक को राशि रत्न पहनने का सुझाव दिया जाता है। यही नहीं, पश्चिमी देशों में तो जन्म की तारीख या जन्म के महीने के आधार पर भविष्य की अनुमान लगाया जाता है। उसी आधार पर जातकों को रत्न भी पहनाया जाता है। भारत में भी धीरे-धीरे इसी तरह जन्म महीने के आधार पर रत्न पहनने का प्रचलन बढ़ गया है। इस लेख में हम साल के पहले महीने यानी की जनवरी में पैदा होनेवाले लोगों के लिए शुभ रत्न के बारे में जानेंगे।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, जिन जातकों का जन्म जनवरी माह में हुआ है उनका प्रतिनिधि रत्न होता है गारनेट। इस रत्न के पहनने से इन्हें कई तरह के लाभ और शुभ फल की प्राप्ति होती है। अब तक आप ये तो जान ही गए होंगे कि इस महीने में पैदा हुए लोग किस्मत के धनी होते हैं। अपनी मेहनत और चमकदार की किस्मत के कारण उनका जीवन हमेशा चमकदार रहता है। लेकिन, किस्मत को और बेहतरीन बनाने के लिए इस महीने में जन्में लोग गारनेट रत्न को विधिवत धारण करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि कई वर्षों पहले बड़ी-बड़ी रियासतों के राजा-महाराजा हीरे, मोती, पन्ना जैसी अन्य कीमती रत्नों के साथ गारनेट को भी अपने साज-सिंगार और अन्य आभूषणों में शामिल करते हैं। दरअसल, इस शुभ रत्न का संबंध सूर्य से होता है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि यह सभी ग्रहों के प्रभाव को अनुकूल करता है। यहां तक की राहु पर इसका खास सकारात्मक प्रभाव होता है। गारनेट को रक्तमणि और तामडा़ नाम से भी जाना जाता है.
'गारनेट' 14वीं शताब्दी में मध्य अंग्रेजी शब्द गरनेट से आया है, जिसका अर्थ होता है 'गहरा लाल'। वहीं, लैटिन 'ग्रैनेटम' का अर्थ होता है 'बीज'। यह रत्न भी अपने नाम की तरह अनार के सुंदर लाल बीज के समान होते हैं। गारनेट खनिजों के एक समूह का होता है, जो इंद्रधनुष के सभी रंगों में पाए जाते हैं। गहरे लाल रंग के पीरोप गारनेट से लेकर भड़कीले हरे tsavorites इसी समूह के खनिज हैं। यही नहीं, कुछ दुर्लभ गारनेट नीले, रंगहीन भी होते हैं। इसके अलावा अलग-अलग रोशनी में रंग बदलने वाले सबसे दुर्लभ गारनेट भी पाया जाता है।लेकिन, सबसे आम गारनेट लाल रंग की सुंदर रेंज में पाए जाते हैं। इनमें जंग के रंग से लेकर गहरे बैंगनी-लाल तक के शेड होते हैं।
गारनेट बेहद टिकाऊ रत्न माना जाता है। मोहास पैमाने पर इसे 6.5-7.5 की रैंकिंग प्राप्त है। वैसे तो यह रत्न दुनिया भर में पाया जाता है। हालांकि, इसमें व्योमिंग, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, रूस, तंजानिया, मेडागास्कर, श्रीलंका और भारत जैसे देश अहम हैं। मंदारिन स्पैसर्टाइट गार्नेट्स, जिसे मंदारिन गारनेट के रूप में भी जाना जाता है, ये सभी गारनेट में सबसे दुर्लभ और महंगे माने जाते हैं।
जनवरी में किसी भी दिन जन्मे लोगों के लिए गारनेट रत्न बहुत लाभकारी होता है। इस महीने में पैदा होनेवाले लोगों को गारनेट जरूर धारण करना चाहिए। इस पहनने के अलग-अलग तरीकें हैं, जो लोग अपनी इच्छा अनुसार चुनते हैंं। कुछ लोग इसे चांदी की अंगूठी में बनवाकर अनामिका अंगुली में धारण करते हैं। तो वहीं, कुछ पेंडेंट बनवाकर चाँदी की चेन में गले में पहनते हैं। इसके अलावा सोने या तांबे जैसे धातु का उपयोग भी किया जा सकता है। इस रत्न को शुक्ल पक्ष के रविवार को सुबह कच्चे दूध और गंगा जल में रख कर पूजा पाठ करने के बाद धारण करना चाहिए। गारनेट के कई रंगों में प्रमुख रंग अनार के दाने जैसा लाल होता है, जिसे ज्यादातर लोग पसंद करते हैं। हालांकि, जातक अपने पसंद के मुताबिक, कोई भी रंग का गारनेट पहना सकता है।
गारनेट पहनने से जनवरी में जन्में लोगों को काफी फायदा होता है। आइए, जानते हैं गारनेट के कुछ विशेष लाभ-
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