काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) को काल सर्प योग के रूप में भी जाना जाता है। यह ज्योतिषीय (Astrology) दृष्टि से सबसे बड़े संयोजनों में से एक है। जो किसी के जीवन में कष्ट और बेचैनी ला सकता है। जब शनि, बृहस्पति, सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध और शुक्र सहित सभी सात प्रमुख ग्रह दो शैडो ग्रहों, राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं तब काल सर्प दोष बनता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु सर्प (Snake) के सिर (Head) का प्रतिनिधित्व करता है और केतु सर्प की पूंछ (Tail) को दर्शाता है। किसी की कुंडली में इस योग की उपस्थिति से जातक (Native) पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही धन की हानि देखने को मिल सकती है।
ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के ऊपर कालसर्प दोष है तो उसे लगभग 42 वर्ष के बाद ही सफलता प्राप्ति होती है। कालसर्प दोष होने से शत्रुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है। सेहत में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है। कालसर्प दोष होने से व्यक्ति को रात्रि को सोते समय बुरे सपने आने लगते हैं। जिसमें ज्यादातर मृत्यु के सपने या फिर सपने में सांपों का दिखाई देना शुरू हो सकता है। इसके अलावा व्यापार में भी लगातार धन की हानि होने लगती है। विवाह में देरी होने की आशंका रहती है। मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार से दुःखों का सामना करना पड़ सकता है। पैतृक संपत्तियां भी धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। किसी अपने सगे सम्बंधी से धोखा मिलने की आशंका बढ़ जाती है। रात भर गलत स्वप्न एवं नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है और कोर्ट कचहरी के चक्कर तक लगाने पड़ सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी की जन्म कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के आधार पर 12 प्रकार के काल सर्प दोष होते हैं।
किसी भी व्यक्ति के लिए काल सर्प दोष का प्रभाव अत्यंत दुःख दाई हो सकता है। यह दोष जातक को आर्थिक (economic), मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे भी बड़ी बात यह है कि दोष उन ग्रहों के सकारात्मक (Positive) प्रभाव को कम कर सकता है जो जन्म कुंडली में अभी तक सहायता कर रहें हैं लेकिन इसके कुछ ऐसे प्रभावी उपाय हैं, जिन्हें अगर मेहनत के साथ किया जाए तो काल सर्प दोष के नेगेटिव प्रभाव को कम किया जा सकता है।
जातक को हर रविवार के दिन, विशेष रूप से पंचमी तिथि को नागराज और अन्य नाग देवताओं की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
काल सर्प दोष के लिए सबसे सहज और सबसे सरल उपायों में से एक है, दिन में कम से कम 108 बार पंचाक्षर मंत्र या "ओम नमः शिवाय" का जाप करना चाहिए। भगवान शिव के आशीर्वाद और दयादृष्टि से आप काल सर्प योग के दोष से निजात पा सकते हैं और उसके कारण जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम हो सकते है।
जातक को किसी तीर्थ स्थान की यात्रा करनी चाहिए। तीर्थ स्थान की यात्रा काल सर्प दोष से पीड़ित लोगों के लिए अच्छी मानी जाती है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में रामेश्वरम मंदिर में पवित्र डुबकी लगाने और पूर्वजों की पूजा अर्चना करने से पितृ श्राप की समाप्ती हो सकती है। यदि यह किसी की कुंडली में काल सर्प दोष का योग है तो उसे उज्जैन में महाकालेश्वर, आंध्र प्रदेश में कालाहस्ती, नासिक (महाराष्ट्र) में त्र्यंबकेश्वर के दर्शन करने और भगवान शिव की पूजा करने से इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।
दिन में कम से कम 108 बार महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से इस काल सर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूध और जल से भगवान शिव को अभिषेक कर पूजा करने से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। हर सोमवार को मंदिर में दूध, फूल, बेल पत्र, फल और बेर चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद गरीब व्यक्तियों को भोजन और वस्त्र आदि दान करने चाहिए। महा शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से इस दोष से पीड़ित जातक को सबसे ज्यादा परिणाम मिल सकते हैं।
गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें
जातक को एक दिन में 21 बार या 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे उसे कालसर्प दोष से निजात मिल सकती है। हर सुबह आपको जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और फिर सूर्य की ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो लोग धार्मिक रूप से गायत्री मंत्र का जप करते हैं, वे जीवन में सभी कष्टों से सुरक्षित रहते हैं।
भगवान शिव के नृत्य अवतार भगवान नटराज की पूजा करें और षष्ठम तिथि को शांति पूजा भी करें।
नाग पंचमी के दिन निर्जला उपवास रखें।
हाथ में सुलेमानी रत्न लेकर राहु के बीज मंत्र का दिन में 108 बार जाप करें। यह राहु के नकारात्मक प्रभाव को भी कम करेगा। इसके काल सर्प दोष योग में लाभ होगा।
सुनिश्चित रहें कि आप सांप या किसी अन्य सरीसृप को चोट न पहुंचाएं। प्रत्येक षष्ठी तिथि पर नौ नाग वंश प्रमुखों के नाम का कम से कम 21 बार जप करें। इससे साँप से सम्बंधित सपने नहीं आएंगे।
काल सर्प दोष के निवारण के लिए पूजा करने से इस दोष के प्रभाव को कम करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिरों, विशेष रूप से कालाहस्ती और त्र्यंबकेश्वर मंदिरों में पुजारियों द्वारा की जाती है। इस पूजा के संपन्न होने के बाद आपको काल सिर्फ दोष से काफी राहत मिलेगी। इस प्रकार आपका जीवन भी सुखी और सम्पन्न तरीके से आगे बढ़ेगा।
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✍️ By: टीम एस्ट्रोयोगी