हिंदू रीति-रिवाज़ों के अनुसार करवा चौथ का त्यौहार एक बहुत ही खूबसूरत त्यौहार है जो कि दशहरे और दिवाली के लगभग बीच में पड़ता है। इस साल यह त्यौहार 4 नवंबर को देश भर में मनाया जा रहा है। करवा चौथ का व्रत अक्सर विवाहित महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और जन्मजन्मांतर तक अपने जीवनसाथी का साथ मिलने की कामना के लिये रखती हैं। लेकिन आजकल अविवाहित युवतियां भी यह व्रत रखती हैं ताकि उन्हें खूब चाहने वाला पति मिले।
इस दिन उपवास करने वाली महिलाएं प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने बाल धोती हैं और स्नानादि करके स्वच्छ हो जाती हैं। करवाचौथ का दिन महिलाओं के लिये सजने-संवरने का भी दिन होता है। इसलिये इस दिन उन्हें जो परिधान सबसे पसंद होता है उसे पहनती हैं। भरतीय परंपरा के अनुसार महिलाएं इस त्यौहार पर साड़ी पहनना पसंद करती हैं। लेकिन मंगलसूत्र, बिंदी, सिंदूर, चूड़ियों व आभूषणों के बिना सजावट सूनी होती है, इसलिये इस त्यौहार पर विशेष रूप से अपनी पसंद की साड़ी, उसके साथ मेल खाती चूड़ियां, और अपनी पसंद के जेवर पहन कर तैयार होती हैं।
पंडितजी के अनुसार इस दिन प्रार्थना, पूजा और व्रत का संकल्प लेने से पहले विवाहित महिलाएं सरगी का सेवन करती हैं। सरगी के व्यंजन विवाहिताओं की सास द्वारा विशेष रूप से तैयार किये जाते हैं। वहीं नवविहाहिताओं के लिये सरगी का सामान मायके से आता है जिसे बायना भी कहा जाता है। साधारण शब्दों में सरगी एक प्रकार से उपवास के संकल्प से पहले किया जाने वाला नाश्ता होता है। सरगी खाने के बाद व्रत रखने वाली महिलाओं को पूरा दिन कुछ खाना दूर पानी की एक बूंद तक पीने की मनाही होती है। रात्रि में चंद्रमा के दिखाई देने पर विधिवत उसे अर्ध्य देने के पश्चात अपने पति के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेती हैं तब उन्हें खिलाकर स्वयं अपना उपवास खोलती हैं।
उपवास रखने की यह प्रक्रिया उन महिलाओं के लिये तो सही है जो कि घर पर रहती हैं। जिनका दिन परिजनों के लाड़-प्यार के साथ खुशी-खुशी बीत जाता है, जो हाथ-पैरों में मेंहदी लगवाकर घर के कार्यों से छुट्टी करके आराम फरमा सकती हैं। लेकिन जो महिलाएं कामकाजी हैं और जिन्हें अपने दफ्तर जाकर ढ़ेर सारा कार्य करना होता है उनके लिये करवा चौथ का व्रत रखना बहुत मुश्किल हो सकता है।
ऐसे में यहां हम कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनका ध्यान रखने से कामकाजी महिलाओं के लिये भी यह उपवास आसान और आनंदित हो सकता है।
सबसे पहली और जरुरी बात त्यौहार को लेकर आपको जो भी खरीददारी करनी है उसे त्यौहार के कम से कम 2 दिन पहले निपटा लें और अंतिम दिन के लिये कुछ भी बचाकर न रखें। जो भी आपको अपनी सास को देना है या पूजा की सामग्री आदि सब कुछ पहले से जुटा कर रखें। अगर यह काम सप्ताहांत पर करें तो और भी बेहतर रहेगा। मेंहदी भी लगभग दो दिन पहले ही लगवा लें। 2 दिन बाद मेंहदी का रंग और भी गहरा हो जायेगा जो कि उपवास वाले दिन सुंदर लगेगा।
अपनी सरगी को रात्रि भोजन के साथ ही बना कर रख दें ताकि प्रात:काल उसे सिर्फ गर्म करके उसका सेवन किया जा सके। इससे आपका समय तो बचेगा ही साथ आपकी ऊर्जा भी बचेगी जो कि पूरे दिन आपके काम आयेगी। अपने पति को भी प्रात:काल उठाकर उनसे नारियल तुड़वाकर उसका पानी पी लें। सरगी खाने के बाद एक पेन किलर भी ले लें तो दिन में भूख के मारे होने वाले सिरदर्द से राहत मिल सकती है।
सरगी के भोजन में अत्यधिक मिठाई व तला हुआ भोजन जैसे कि मट्ठी आदि न खायें। इससे बहुत जल्दी प्यास लगती है और पानी आप दिनभर पी नहीं सकती इसलिये इन्हें खाने से बचें। जितना हो सके फलों का सेवन करें जो कि आपको हाईड्रेटेड रखने में मददगार होंगें।
और अंत में यदि आपने काम से छुट्टी ली है तो अपने दोस्तों के साथ, जीवनसाथी के साथ फिल्मादि देखने का कार्यक्रम बनायें जिससे आप एक आनंदपूर्वक अपने समय को व्यतीत कर सकें। आप सबको एस्ट्रोयोगी की ओर से करवा चौथ के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएं।
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