गुजरात एक ऐसा राज्य है जहां पर दिवाली का पर्व 5 दिनों का नहीं बल्कि कार्तिक शुक्ल पंचमी तक चलता है। यहां पर धनतेरस से दिवाली की शुरूआत होता है और लाभ पंचमी के दिन दिवाली का पर्व समाप्त होता है। गुजरात में लाभ पंचमी का अपना ही एक अलग महत्व है। इस पंचमी को गुजराती लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस बार 14 नवंबर 2020 को पूरे भारतवर्ष में दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। वहीं गुजरात राज्य ऐसा है जहां पर कार्तिक शुक्ल पंचमी यानि लाभ पंचमी का पर्व इस बार 19 नवंबर 2020 को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। यह त्योहार पूरे गुजरात में बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह दिन व्यापारियों और व्यवसायियों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस पचंमी को लाभ पंचमी, सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी और लाखेनी पंचमी के तौर पर मनाया जाता है। ज्योतिषी के अनुसार इस पर्व पर भगवान गणेश के पूजन से विघ्नों का नाश होता है और शिव-पार्वती के पूजन से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
लाभ पंचमी के दिन किसी भी नए व्यापार या नए उद्यम की शुरूआत की जा सकती है। गुजरात में इस पंचमी को बहुत ही खास तरह से मनाए जाने का प्रचलन है। इस दिन व्यापारी वर्ग के लोग नए बहीखाता की शुरूआत करते हैं, जिसे खातु कहते हैं। इस दिन बहीखाते का पूजन किया जाता है इसके लिए सबसे पहले कुमकुम से बायीं तरफ शुभ और दाहिनी ओर लाभ लिखते हैं और बीच में स्वास्तिक बनाते हैं। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का प्रावधान है। वहीं जैन धर्म के लोग इस दिन ज्ञानवर्धक पुस्तक की पूजा करते हैं और इसे ज्ञान पंचमी कहते हैं। सुख-समृद्धि औऱ मंगलकामना के लिए सौभाग्य पंचमी का व्रत रखा जाता है। लाभ पंचमी के दिन भगवान गणपति की मनमोहक झांकी मंदिरों में सजाई जाती है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। रात को भजन संध्या का आयोजन किया जाता है।
सौभाग्य पंचमी के दिन प्रातकाल स्नानादि और दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। तत्पश्चात् शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश और शिव की प्रतिमाओं को स्थापित करना चाहिए। यदि संभव हो सके तो गणपति को सुपारी पर मौली लेपटकर चावल के अष्टदल पर विराजित करना चाहिए। भगवान गणेश का पूजन चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल और दुर्वा से करना चाहिए और भगवान शिव का पूजन भस्म, बिल्वपत्र, धतूरा और सफेद वस्त्र अर्पित कर करना चाहिए। इसके बाद गणेश जी को मोदक और भगवान भोलेनाथ को सफेद दूध की मिठाई से भोग लगाना चाहिए। इसके पश्चात् निम्न मंत्रों से श्री गणेश व शिव का स्मरण व जाप करना चाहिए।
गणेश मंत्र – लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्। आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।
शिव मंत्र – त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे। त्रिशूलधारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।।
तत्पश्चात् मंत्रोच्चार करने के बाद घर के दरवाजे के दोनों ओर स्वास्तिक का निर्माण करना चाहिए।
जो लोग दिवाली के दिन शारदा पूजन नहीं करते हैं वह लाभ पंचमी के दिन दुकानों और संस्थानों में सरस्वती पूजन कर सकते हैं।
इस दिन भगवान गणेश और शिव के अलावा धन की देवी लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है क्योंकि इनकी पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
लाभ पंचमी के दिन गुजरात में लोग अपने परिजनों और रिश्तेदारों के घर मिठाई लेकर जाते हैं ताकि उनके रिश्तों में मिठास बनी रहे।
गुजरात में दिवाली पर्व पर लोग लंबी छुट्टियों पर निकल जाते हैं क्योंकि उत्तर भारत में दिवाली का पर्व 5 दिनों का होता है लेकिन गुजरात में ये त्योहार धनतेरस से शुरू होकर लाभ पंचमी के दिन खत्म होता है।
लाभ पंचमी को गुजरात नववर्ष के हिसाब से पहला कामकाजी दिन माना जाता है।
लाभ पचंमी शुभ मुहूर्त - 19 नवंबर 2020, गुरुवार
पूजा मुहूर्त - प्रातकाल 06:47 से 10:20 बजे तक
पंचमी तिथि प्रारंभ रात्रि 11:16 बजे से (18 नवंबर 2020)
पंचमी तिथि समाप्त रात्रि 09:59 बजे तक (19 नवंबर 2020)
यह भी पढ़ें:
छठ पूजा व्रत विधि और शुभ मुहूर्त | भारत के धार्मिक स्थल | वैदिक परम्परा | आज का शुभ मुहूर्त । छठ पर्व पर बन रहे हैं शुभ योग, बस भूलकर भी ना करें ये गलतियां