जानें घर में लक्ष्मी-गणेश का सही स्थान : बरसेगा ज्ञान और धन का भंडार

Fri, Oct 10, 2025
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जानें घर में लक्ष्मी-गणेश का सही स्थान : बरसेगा ज्ञान और धन का भंडार

Position Of Laxmi Ganesh: हिन्दू धर्म में लक्ष्मी गणेश की एक-साथ पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है, जो आस्था और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती है। वैसे तो गणेश और लक्ष्मी जी की अलग-अलग पूजा करना भी बहुत फलदायी माना जाता है। गणेश जी को नई शुरूआत, बुद्धि और विवेक के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। वहीं लक्ष्मी जी की सुख-समृद्धि और धन की देवी के रूप में उपासना की जाती है। 

परंतु जब इन दोनों की पूजा एक साथ की जाती है तो यह दोगुना लाभकारी साबित होता है। लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से आपको ज्ञान और धन का संतुलन प्राप्त होता है। आपके जीवन में सफलता तो आती ही है, साथ शांति और स्थिरता भी प्राप्त होती है।   

लेकिन इसके लिए लक्ष्मी-गणेश की मूर्ती को सही स्थान पर स्थापित करना सबसे जरूरी होता है। अगर आप यहां दिए गए जरूरी नियमों का पालन करते हैं तो आपका घर खुशियों और सौभाग्य से भर जाएगा। 

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लक्ष्मी-गणेश की मूर्ती रखने की सही दिशा और स्थान क्या होना चाहिए? (Position Of Laxmi Ganesh)

घर में लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियाँ कहाँ रखी जाएँ, यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में मूर्तियों की स्थापना करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

  • सबसे शुभ दिशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) मानी गई है। यह दिशा भगवान का स्थान कही जाती है और यहाँ पूजा घर या मूर्तियाँ स्थापित करना अत्यंत शुभ फल देता है।
  • अगर किसी कारणवश ईशान कोण में जगह न हो, तो पूर्व या उत्तर दिशा का चयन भी किया जा सकता है। ये दिशाएँ सूर्य की पहली किरणों का स्वागत करती हैं और जीवन में नई शुरुआत, सफलता और प्रगति का प्रतीक मानी जाती हैं।
  • मूर्तियाँ या तस्वीरें रखते समय यह भी ध्यान रखें कि देवी-देवताओं का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। यह दिशा उगते सूर्य और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती है, जिससे घर का वातावरण शांत, पवित्र और सौभाग्यशाली बनता है।
  • एक और जरूरी बात यह है कि मूर्तियों या तस्वीरों को कभी भी सीधे फर्श पर न रखें। उन्हें हमेशा एक ऊँचे चौकी, लकड़ी के आसन या मंदिर के मंच पर स्थापित करें। इससे न केवल श्रद्धा और सम्मान बना रहता है, बल्कि पूजा के समय मन में एकाग्रता और भक्ति की भावना भी गहरी होती है। 
  • मूर्तियाँ ऐसी ऊँचाई पर रखें जो आपकी आँखों के बराबर या उससे थोड़ी ऊपर हो, यह देवताओं के प्रति आदर का प्रतीक माना जाता है।

लक्ष्मी-गणेश की मूर्ती किस स्थिति में रखना शुभ होता है? (Laxmi Ganesh Ji Ki Murti Kaise Rakhe)

घर में लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को सही तरीके से स्थापित करना भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वास्तु और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाईं ओर रखना शुभ माना जाता है। यह स्थिति प्रतीक है कि ज्ञान और बुद्धि हमेशा समृद्धि और धन के मार्गदर्शक हों। इस क्रम का पालन पूरे साल किया जाता है और इसे सबसे सुरक्षित और लोकप्रिय व्यवस्था माना जाता है।

कुछ परंपराओं में विशेष रूप से दीपावली के समय यह कहा जाता है कि लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाईं ओर रखा जाए। 

मूर्तियों का चयन करते समय बैठी हुई आकृति को प्राथमिकता दें। बैठी हुई मूर्तियाँ स्थिरता और लंबे समय तक आने वाले आशीर्वाद का प्रतीक होती हैं। विशेष रूप से लक्ष्मी जी को अक्सर कमल पर बैठी मुद्रा में दर्शाया जाता है, जो प्रगति और स्थायित्व का प्रतीक है। इसी तरह, बैठी हुई गणेश जी की मूर्तियाँ भी घर में स्थायी सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती हैं।

घर में लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियाँ साथ क्यों रखी जाती हैं?

हिन्दू शास्त्रों में लक्ष्मी और गणेश जी की एक साथ पूजा को बहुत शुभ माना गया है। इसका कारण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक भी है। माँ लक्ष्मी धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी हैं, जबकि गणेश जी बुद्धि, विवेक और विघ्नों को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। 

जब दोनों की उपासना साथ में की जाती है, तो यह जीवन में भौतिक सुखों के साथ-साथ मानसिक शांति और संतुलन का प्रतीक बन जाती है। लक्ष्मी जी जहाँ समृद्धि और धन का आशीर्वाद देती हैं, वहीं गणेश जी उस धन का सही और धर्मपूर्ण उपयोग करने की बुद्धि प्रदान करते हैं। 

ऐसा कहा जाता है कि केवल धन प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है, उसे संभालने और सही दिशा में उपयोग करने के लिए विवेक भी उतना ही आवश्यक है। इसी कारण हर शुभ कार्य और पूजा में सबसे पहले गणेश जी की आराधना की जाती है, ताकि किसी भी प्रकार की बाधा न आए, और फिर लक्ष्मी जी से सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

विशेष रूप से दीपावली जैसे पावन पर्व पर लक्ष्मी-गणेश की एकसाथ पूजा का अत्यंत महत्व है। इस दिन भक्त पहले गणेश जी का आवाहन करते हैं ताकि सभी रुकावटें दूर हों, और फिर माँ लक्ष्मी से धन, सौभाग्य और खुशियों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सही विधि से की गई लक्ष्मी-गणेश पूजा घर में स्थायी समृद्धि और सकारात्मकता लाती है।

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लक्ष्मी-गणेश की मूर्ती स्थापित करने से पहले जानें जरूरी नियम 

  • सफाई का ध्यान रखें: मूर्तियों या तस्वीरों के आसपास का स्थान हमेशा साफ-सुथरा, व्यवस्थित और प्रकाशमय होना चाहिए। शोर, अव्यवस्था या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के पास इन्हें न रखें।
     
  • किसी पवित्र स्थान को चुनें: मूर्तियाँ कभी भी बेडरूम या बाथरूम में न रखें। हमेशा किसी विशेष पूजा स्थल, अलमारी या शेल्फ पर स्थापित करें।
     
  • रौशनी का महत्व: पूजा के समय स्थान को दीपक, दीया या अगरबत्ती से प्रकाशित करें। यह न केवल सकारात्मक ऊर्जा लाता है, बल्कि पूजा का माहौल भी पवित्र बनाता है।
     
  • ऊंचाई पर रखें: मूर्तियों को सीधे फर्श पर न रखें। हमेशा किसी प्लेटफॉर्म या चौकी पर स्थापित करें।
     
  • ज्यादा मूर्तियां न रखें: एक ही जगह पर बहुत सारी मूर्तियाँ या तस्वीरें न रखें। यह ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डाल सकती हैं।
     
  • खंडित मूर्ती न रखें: कभी भी फटी या टूटी हुई मूर्तियाँ या तस्वीरें न रखें। हमेशा पूरी, साफ और सही स्थिति में मूर्तियों का उपयोग करें।
     
  • नकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान न चुनें: रसोई, स्टोरेज रूम, बाथरूम, सीढ़ियों के पास या किसी ऊँचे शोर वाले क्षेत्र में मूर्तियाँ न रखें। ये स्थान नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं।

घर में लक्ष्मी और गणेश जी की सही स्थापना से न केवल धन और समृद्धि आती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है। सही दिशा, स्थान और नियमित पूजा से इनके आशीर्वाद स्थायी रूप से मिलते हैं। इसलिए हमेशा ध्यानपूर्वक और श्रद्धा भाव से इनकी पूजा करें।

अगर आप लक्ष्मी-गणेश की पूजा से जुड़ी कोई जानकारी लेना चाहते हैं या किसी अन्य समस्या का समाधान चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। 



 

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