हिंदू धर्म में नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा का बेहद महत्व है। नाग पंचमी का त्यौहार सावन मास में ही मनाया जाता है। जानिए इस बार कब है नागपंचमी?
Nag Panchami 2022: सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नागों की पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। उत्तर भारत में कई जगहों पर इस दिन गुड़िया का पर्व भी मनाया जाता है और पतंगबाजी भी की जाती है। नाग पंचमी के अवसर पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि महादेव ने नागों को आभूषण के रूप में अपने कंठ में धारण किया हुआ है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी (Nag Panchami) पर नाग देवता की पूजा से शक्ति, अपार धन व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पौराणिक काल से ही सांपों को देवता की तरह पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि नाग पूजन से सांपों के डसने का भय समाप्त होता है और इस दिन विधि-विधान से नाग देवता की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए नाग पंचमी के दिन पूजा करने से जातक को विशेष लाभ होता है।
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साल 2022 में सावन माह 14 जुलाई से प्रारंभ होकर 12 अगस्त तक चलेगा। इस बीच शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जायेगा। इस बार सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी 02 अगस्त 2022 को पड़ रही है।
नाग पंचमी पर भगवान शिव-पार्वती के अलावा नाग देवता की पूजा की जाती है, लेकिन कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। पूजन के लिए आवश्यक सामग्रियों में नाग देवता की प्रतिमा या फोटो, फूल, दूध, पांच फल व पांच तरह की मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध, रोली, मौली, जनेऊ, पांच मिठाई, बेलपत्र, धतूरा, भांग, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार का सामान आदि की आवश्यकता होती है।
अधिकतर लोगों का मानना है कि सांप दूध पीते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि सांप दूध को पचा नहीं पाते हैं। इससे सांप की मृत्यु भी हो सकती है। हर पौराणिक कथाओं की मानें तो इसमें भी सांप को दूध से स्नान कराने की बात कही गयी है न कि दूध पिलाने की। जानकारों की मानें तो सपेरे सांप को कई दिन तक प्यासा रखते हैं, जिससे सांप दूध को पानी समझ कर पी लेते हैं और बीमार हो जाते हैँ। मान्यता है कि इस दिन अष्टनाग की पूजा होती है।
हिंदू धर्म में नाग को देवता माना गया है इसलिए उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। इससे नाग के डसने का भय कम हो जाता है। नाग को दूध से स्नान कराने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के मेन गेट पर नाग की तस्वीर लगायी जाती है। कहा जाता है कि मेन गेट पर नाग देवता का चित्र लगाने से उनकी कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही नाग देवता के पूजन से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि व वैभव की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं इनमें से एक यह भी कथा है
प्राचीन काल में एक राज्य में सेठ रहता था, उसके सात पुत्र थे। सेठ के सातों बेटों का विवाह हो चुका था। सेठ की सबसे छोटी बहू बुद्धिमान और चरित्रवान थी। एक दिन बड़ी बहू समेत घर की सभी बहुओं को मिट्टी लाने के लिए अपने साथ ले गई। मिट्टी खोदते समय बड़ी बहू को एक सांप दिखा जिसको वो खुरपी से मारने लगी। तभी छोटी बहू ने उसे रोक दिया और कहा कि इस सांप का कोई पाप नहीं है। सांप के पास जा कर छोटी बहू बोली कि 'तुम यहीं रुको हम थोड़ी देर में वापस आते हैं।' ऐसा बोलने के बाद सभी बहुएं घर वापस आ गईं। काम में व्यस्त हो कर छोटी बहू सांप को किया वादा भूल गई, इसी बीच सांप उसका इंतजार करता रहा।
दूसरे दिन जब छोटी बहू को सांप से किया वादा याद आया तब वो भागी-भागी सांप के पास गई। सांप के पास जाकर उसने उसे क्षमा मांगी और कहा की 'भैया मैं काम में व्यस्त हो कर अपना वादा भूल गई थी। सांप ने कहा कि 'तुमने मुझे अपना भाई माना है इसलिए मैं तुम्हें जाने दे रहा हूं वरना कोई और होता तो मैं उसे डस लेता।' इसके साथ, सांप ने कहा कि 'तुमने मुझे भाई बोला है तो, आज से, मैं तुम्हारा भाई हूं, तुम्हें जो मांगना है वो मांग लो।' तभी छोटी बहू ने कहा कि 'मेरा कोई भाई नहीं है, आज से आप मेरे भाई हैं।'
कुछ दिन बाद, मनुष्य का रूप धारण करके सांप अपनी बहन को लेने आया। उस पर विश्वास करके घर वालों ने छोटी बहू को जाने दिया। सांप छोटी बहू को अपने घर ले गया जहां सांप का परिवार रहता था। सांप के घर में इतना सारा धन देखकर बहू हैरान हो गई। एक दिन सांप की मां ने छोटी बहू को कहा कि 'अपने भाई को ठंडा दूध पिला देना।' मगर छोटी बहू यह बात भूल गई और उसने सांप को गर्म को दूध पिला दिया जिसके वजह से सांप का मुंह जल गया। सांप की मां बहुत गुस्से में थी मगर सांप ने उसे समझाया। थोड़ी देर बाद सांप ने कहा कि अब बहन का घर जाने का समय आ गया है। घर से विदा करते समय सांप के परिवार ने छोटी बहू को सोना, चांदी, हीरे, मोती, कपड़े और गहनों से भर दिया।
जब छोटी बहू घर लौटी तब उसके धन को देखकर बड़ी बहु को जलन होने लगी। गहनों के साथ सांप ने छोटी बहू को एक हीरे और मणि से बना हार दिया था। पूरे राज्य में इस हार की चर्चा होने लगी थी। जब रानी को पता चला तब उसने ये हार मंगवाया। छोटी बहू को ये पसंद नहीं आया और उसने सांप को बुला कर सारी बात बता दी। छोटी बहू ने भाई से आग्रह किया कि वो कुछ ऐसा करे जिससे ये हार छोटी बहू के गले में हार बन जाए और दूसरों के गले में सांप। बहन की बात मानकर भाई ने भी ऐसा ही किया।
जब रानी ने ये हार पहना तब उसके गले में हार सांप में बदल गया। रानी चीखने लगी। रानी की चीख सुनकर राजा ने छोटी बहू को लाने का आदेश दिया। जब छोटी बहू राजा और रानी के पास आई तब उसने बताया कि यह हार उसके गले में हार और दूसरे के गले में सांप बन जाता है। तब राजा ने छोटी बहू को हार पहनने के लिए कहा। छोटी बहू के गले में जाते ही सांप हार बन गया। यह चमत्कार देखकर राजा बहुत खुश हुआ और उसे धन-दौलत देकर भेज दिया।
छोटी बहू धन-दौलत लेकर घर पहुंची तब बड़ी बहू ये सब देख कर जलने लगी। वो छोटी बहू के पति के कान भरने लगी। सबसे छोटे बेटे ने अपनी पत्नी से धन, गहने और कपड़ों के बारे में पूछा। तब छोटी बहू सांप को याद करने लगी और उसके सामने सांप प्रकट हो गया। सांप ने अपनी बहन के पति से कहा कि अगर कोई भी उसकी बहन पर शक करेगा वह उसे डस लेगा। सांप को देखकर उसका पति बहुत खुश हुआ और सर्प देवता की सेवा करने लगा। इस दिन से महिलाएं सांप को अपना भाई मानकर विधि अनुसार पूजा करती हैं।
भगवान शिव और नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए नाग पंचमी पर करें कौन से उपाय? जानने के लिए अभी बात करें एस्ट्रोयोगी पर वैदिक ज्योतिषियों से।
By- टीम एस्ट्रोयोगी