Surya Shani Ki Yuti : वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों का राशि परिवर्तन हो या युति दोनों घटनाओं का ही लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलता है। इसमें शनि सूर्य की युति (surya shani ki yuti) भी शामिल है। इस साल 2025 की शुरुआत सूर्य और शनि की युति के साथ हो रही है। शनि एक से दूसरी राशि में जाने के लिए लगभग ढाई साल का समय लेते हैं। वर्तमान में कर्मफल दाता शानि कुंभ राशि में विराजमान हैं और सूर्य भी 12 फरवरी को कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस अवधि में सूर्य और शनि की युति हो रही है।
सूर्य शनि की युति (surya shani ki yuti) को बहुत विशेष माना जाता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इन दोनों ग्रहों के बीच पिता और पुत्र का संबंध होता है। हालांकि फिर भी इनके बीच का संबंध बहुत ही जटिल होता है। सूर्य शनि की युति का सभी लोगों पर अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलता है। इसके प्रभावों को समझने के लिए हम कुंडली के सभी 12 भावों पर सूर्य और शनि की युति के परिणामों के बारे में जानेंगे।
सूर्य और शनि (surya or shani) का रिश्ता बेहद रोचक और विरोधाभासी है। शनि को सूर्य का पुत्र माना जाता है, लेकिन विचारधाराओं के मतभेद के कारण इन दोनों के संबंधों में एक प्रकार की वैमनस्यता भी देखी जाती है। सूर्य जहां आत्मबल, ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक है, वहीं शनि कर्म, अनुशासन और अंधकार का ग्रह है। इनकी युति को प्रकाश और अंधकार के अद्भुत संयोग के रूप में देखा जा सकता है।
सूर्य-शनि की युति जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करती है। यह पिता-पुत्र के रिश्तों में मतभेद ला सकती है और पति-पत्नी के संबंधों में खटास उत्पन्न कर सकती है। इसके अलावा, स्वास्थ्य समस्याओं, विशेष रूप से मानसिक तनाव और नींद से जुड़ी परेशानियों को भी यह युति बढ़ावा दे सकती है।
सूर्य और शनि की युति कुंडली के प्रत्येक भाव पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। आइए अब जानते हैं कि कुंडली के अलग-अलग भावों में सूर्य और शनि की युति का क्या असर होता है।
कुंडली के पहले भाव में सूर्य-शनि की युति शुभ नहीं मानी जाती। सूर्य जहां आपको आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, वहीं शनि इस आत्मबल को प्रभावित करता है। हालांकि, यदि सूर्य मजबूत हो तो आप गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। अगर आप इस युति से प्रभावित हैं आप अक्सर आत्मकेंद्रित हो सकते हैं और आपको जीवन में सच्चे मित्र या शुभचिंतक मिलना मुश्किल हो सकता है।
ऐसा माना जाता है जब सूर्य-शनि की युति कुंडली के दूसरे भाव में होती है तो यह आपके संबंधों को प्रभावित कर सकती है। यह युति कुछ मायनों में फायदेमंद भी साबित होती है। उदाहरण के लिए आपको सुख-सुविधाएं और धन संपत्ति प्राप्त हो सकती है। वहीं दूसरी ओर यह स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं भी लेकर आ सकता है।
तीसरे भाव में यह युति शुभ परिणाम देती है। यह आपको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे आप जीवन में लगातार प्रगति करते हैं। इस दौरान आपको राजनीतिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावना रहती है। हालांकि, परिवार में भाई-बहनों के साथ मतभेद हो सकते हैं।
चौथे भाव में सूर्य और शनि की युति अशुभ मानी जाती है। इस स्थिति में आपको परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। माता-पिता के साथ बहस और मनमुटाव के कारण घर का वातावरण तनावपूर्ण हो सकता है। हालांकि, वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी का सहयोग बना रहेगा। स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक तनाव भी इस युति के सामान्य प्रभाव हैं।
पांचवा भाव ज्ञान और बच्चों का कारक है, इस भाव में यह युति विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान आप अपने लक्ष्य को लेकर बड़े फैसले ले सकते हैं। हालांकि, शिक्षा और वित्तीय मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह युति बच्चों और विवाह से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकती है।
छठवें भाव में सूर्य-शनि की युति शुभ मानी जाती है। यह आपको अच्छी नौकरी, जीवन में सफलता, और प्रेम संबंधों में स्थायित्व प्रदान करती है। हालांकि, इस युति के दौरान क्रोध और असंतोष की भावना भी बढ़ सकती है। स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे चिंता और अनिद्रा, का खतरा रहता है।
सातवें भाव में सूर्य और शनि की युति का प्रभाव वैवाहिक जीवन और व्यापार पर पड़ता है। यदि शनि शुभ नक्षत्र में हो, तो यह सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है। लेकिन वैवाहिक जीवन में समस्याएं और पारिवारिक कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
आठवें भाव में यह युति आपके जीवन में गहरे आध्यात्मिक और व्यक्तिगत बदलाव ला सकती है। हालांकि, करियर में समस्याएं, नौकरी पाने में देरी, और प्रमोशन में रुकावटें भी हो सकती हैं।
नौवें भाव में सूर्य और शनि की युति सफलता और विफलता, दोनों का कारक हो सकती है। इस दौरान आपको विदेश यात्रा के अवसर मिल सकते हैं और आपकी कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है। हालांकि, सामाजिक कार्यों में असफलता की संभावना रहती है।
दसवें भाव में यह युति आपको करियर में मिलेजुले परिणाम देती है। जहां एक ओर यह अच्छी नौकरी और उन्नति के अवसर प्रदान करती है, वहीं दूसरी ओर करियर से संबंधित उलझनें और अस्थिरता भी बढ़ सकती है।
ग्यारहवें भाव में सूर्य-शनि की युति वित्तीय लाभ दिलाती है, लेकिन आप सामाजिक कार्यों से दूर रह सकते हैं। इसके अलावा, इस युति के कारण मां के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रह सकती है।
बारहवें भाव में यह युति आपको मानसिक अशांति और जीवन से निराशा का अनुभव करा सकती है। इस दौरान आपको अपनी आध्यात्मिकता पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
अगर आपको सूर्य और शनि की युति के सकारात्मक फल पाने चाहते हैं या नकारात्मक प्रभाव को कम करना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल या चैट बिलकुल मुफ्त है।