वट पूर्णिमा या वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद ख़ास होता है जो पत्नी का अपने पति के प्रति प्रेम दर्शाता है और लंबी आयु प्रदान करता है। साल 2022 में कब है वट पूर्णिमा व्रत? कैसे और कब करें व्रत की पूजा? जानने के लिए पढ़ें।
सनातन धर्म में सभी पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है लेकिन समस्त पूर्णिमाओं से वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) को अत्यंत शुभ माना गया हैं। वट पूर्णिमा व्रत को वट सावित्री व्रत (vat savitri vrat) के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती है। इस व्रत को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
हमारे देश में दो प्रकार के कैलेंडर अमांता एवं पूर्णिमानता के अनुसार सभी तीज-त्योहारों को मनाया जाता है। इन्हीं दो मुख्य कैलेंडर का अनुसरण सभी देशवासियों द्वारा किया जाता है। इन दो कैलेंडर के हिसाब से ही कई बार त्यौहारों की तिथियों में फर्क आ जाता है। ऐसा ही वट सावित्री और वट पूर्णिमा के व्रत की तिथियों में भी होता है। इस पर्व को दोनों कैलेंडर के हिसाब से अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। वट पूर्णिमा व्रत को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन किया जाता है।
वट पूर्णिमा व्रत की तिथि: 14 जून, मंगलवार
पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ: 13 जून को रात्रि 09:02 बजे
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 14 जून को शाम 05:21 बजे
वट पूर्णिमा व्रत को वट सावित्री व्रत के समान ही माना जाता है। अमांता कैलेंडर के अनुसार, वट पूर्णिमा व्रत को प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं। इस कैलेंडर का अनुसरण सामान्यतः महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण के क्षेत्रों में किया जाता है, इसलिए यह पर्व इन स्थानों पर ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर मनाया जाता है।
पूर्णिमानता कैलेंडर के अनुसार, वट सावित्री व्रत को हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर किया जाता है। इस कैलेंडर का मुख्य रूप से उत्तरी भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब एवं हरियाणा आदि में अनुसरण किया जाता है। यही वजह है कि इस पर्व को प्रमुखतः इन स्थानों पर ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस व्रत को विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं।
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हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा के दिन दान-धर्म और स्नान करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नानादि करने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वट पूर्णिमा व्रत को ज्येष्ठ पूर्णिमा और वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत हिंदू महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यों में से एक है, विशेष रूप से जो विवाहित हैं।
वट पूर्णिमा व्रत के दिन कुछ रीति-रिवाज़ो को मुख्य रूप से किया जाता है जो नीचे दिए गए हैं:
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✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी