विषयोग के बारे में लगभग सभी जानते हैं। मुख्य तौर पर यह चंद्रमा व शनि के साथ-साथ गोचर करने पर बनता है। चंद्रमा चूंकि लगभग 27 दिन में सभी 12 राशियों का एक बार चक्कर लगा लेते हैं इसलिये माह में एक बार वह अवश्य से शनि के पास से गुजरता है। इसलिये प्रत्येक मास में एक बार विष योग लगभग बनता ही है। लेकिन कभी-कभी एक माह में यह दो बार भी बन जाता है। अगस्त का माह कुछ ऐसा ही है इसकी शुरुआत भी विष योग से हो रही है और अंत भी विषयोग से ही होगा। क्योंकि 1 से 3 अगस्त और 28 से 31 अगस्त की तिथियों में चंद्रमा और शनि का साथ रहेगा। ऐसे में सभी 12 राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा आइये जानते हैं।
मेष – आपकी राशि से अष्टम भाव में विषयोग बन रहा है। यह समय सेहत के लिये विशेष रूप से चिंताजनक रह सकता है। साथ ही इसके कारण आपका मन अनावश्यक ही भय से आशंकित रह सकता है।
वृषभ – वृषभ राशि से शनि और चंद्रमा की युति सप्तम भाव में हो रही है। सातवें स्थान में विषयोग से दांपत्य, घरेलू जीवन में अशांति का माहौल बनने लगता है। इसलिये आपके लिये सलाह है कि माह की शुरुआत और अंत में स्यवं पर नियंत्रण रखें व कोई ऐसी बात अपने मुख से न निकालें जिससे आपके साथी की भावनाएं आहत हों। कभी-कभी विषयोग के कारण जीवनसाथी के स्वास्थ्य में परेशानी होती है। इसलिये अपने साथी की सेहत का भी ध्यान रखें।
मिथुन – आपके लिये छठे घर में शनि और चंद्रमा विषयोग बना रहे हैं। इस समय आपको अपने शत्रुओं, प्रतिस्पर्धियों, विपक्षियों से थोड़ा संभल कर रहने की आवश्यकता है। किसी पुराने रोग के लक्षण नज़र आने से भी आपको परेशानी हो सकती है इसलिये सेहत को लेकर भी माह की शुरुआत और अंत में लापरवाही न बरतें।
कर्क – आपकी राशि से पंचम स्थान में शनि और चंद्रमा विषयोग बना रहे हैं। संभव है आप माह के आरंभिक और माह के अंतिम दिनों में संतान को लेकर चिंतित रहें। यह चिंता उनकी शिक्षा के प्रति भी हो सकती है क्योंकि विद्यार्थी जातकों के लिये भी समय उतार-चढ़ाव लाने वाला रहने के आसार हैं। रोमांटिक जीवन में भी साथी के साथ आपकी खटपट हो सकती है।
सिंह – आपके लिये चतुर्थ घर में शनि व चंद्रमा विषयोग बना रहे हैं। यह समय आपके सुख-सुविधाओं से संपन्न जीवन में किसी चीज़ की कमी खलने की ओर संकेत कर रहा है। साथ ही किसी नजदीकी प्रिय परिजन की सेहत को लेकर भी चिंतित होना पड़ सकता है।
कन्या – कन्या जातकों के लिये विषयोग पराक्रम भाव में बन रहा है। तीसरे स्थान में विषयोग भाई-बहनों के प्रति चिंता व्यक्त करता है। इस समय आपको अपने भाई-बहनों से, परिजनों से व्यवहार करते समय ध्यान रखना चाहिये कि आपके व्यवहार से उनके सम्मान को कोई ठेस न पंहुचे। अन्यथा विषयोग के प्रभाव से आपके आपसी रिश्ते बिगड़ने की नौबत भी आ सकती है।
तुला - द्वितीय या दूसरा भाव धन का स्थान माना जाता है। धनभाव में चंद्रमा और शनि की युति से यह समय मानसिक चिंताए लाने वाला रह सकता है। पैतृक संपति से जुड़े मामलों में विशेष रूप से सावधानी बरतें। माह के आरंभ और अंतिम दिनों में यात्रा स्थगित ही रखें तो बेहतर है। यदि आवश्यक हो ते किसी सार्वजनिक वाहन से करें, निजी वाहन से सफ़र करना भी पड़े तो सावधानी अवश्य रखें। विष योग के प्रभाव से दुर्घटना के आसार बन सकते हैं।
वृश्चिक – विषयोग आपकी ही राशि में बन रहा है। लग्न में चंद्रमा व शनि की युति मानसिक व शारीरिक कष्ट मिलने की ओर ईशारा कर रही है। हो सकता है कि किसी बड़ी बिमारी का भय भी आपको इस समय सताने लगे।
धनु – आपकी राशि के लिये व्यय घर में शनि व चंद्रमा की युति हो रही है अर्थात 12वें घर में विषयोग के कारण माह के शुरुआती और अंतिम दिन मानसिक रूप से तनाव देने वाले हो सकते हैं। निवेश करने में अच्छे से सलाह मशविरा करने के बाद ही निर्णय लें। यदि विषयोग वाली तिथियों में निवेश न ही करें तो बेहतर है।
मकर – मकर जातकों के लिये लाभ स्थान में शनि और चंद्रमा की युति से विष योग निर्मित हो रहा है। इसके कारण आपको लाभ प्राप्ति के लिये क्षमता से भी अधिक प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी। यानि अतिरिक्त प्रयासों के पश्चात ही आप लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।
कुंभ – कुंभ राशि वालों के लिये दसवें स्थान में विषयोग बन रहा है। दसवां स्थान कर्म का क्षेत्र माना जाता है। इसलिये विषयोग के कारण आपको कार्यक्षेत्र में अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।
मीन – आपकी राशि से शनि और चंद्रमा की युति नवम यानि भाग्य स्थान में हो रही है। यह विषयोग संभवत भाग्य का साथ कम रहने की ओर ईशारा करता है। इस समय आप निराशावादी विचारों से ग्रस्त भी हो सकते हैं। आपके लिये सलाह है कि भाग्य के भरोसे न बैठकर कर्म करने में विश्वास रखें।
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