योग वर्तमान की मांग है वैसे योग (Yoga) का अभ्यास बरसों से भारत में किया जा रहा है। जिस प्रकार जीवन हम इस समय जी रह हैं उसमें तो योग का महत्व और भी बढ़ गया है। आज ऐसा कौन से माता-पिता है जो अपने बच्चे का समग्र विकास नहीं चाहते हैं ऐसे में योग बाल विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। योग में ऐसे कई आसन हैं जिनका अभ्यास करने से बच्चे की मानसिक व शारीरिक विकास अच्छे से हो सकती है। इस लेख में हम आपको इनमें से कुछ के बारे में बताने जा रहे हैं।
जैसा कि हमने पहले ही बता दिया कि योग मानव जीवन के हर पहलु को प्रभावित करता है। योग का अभ्यास करने से हम अपने मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक आयोमों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। योग की सहायता से आप अपने शरीर के अंगों को नियंत्रित करने में भी सफल होते हैं। बच्चों के लिए भी योग काफी लाभप्रद होगा, इससे वे संतुलन व ध्यान को केंद्रित कर सकेंगे। उनका मन नहीं भटकेगा। जिससे वे अपने शिक्षा व खेल पर अच्छे से ध्यान दे पाएंगे इससे उनका प्रदर्शन भी बेहतरीन होगा। अगर आप अपने बच्चे को हर चीज में आगे देखना चाहते हैं तो आपको अपने बच्चे की दिनचर्या में योग को शामिल करना चाहिए।
यहां हम बच्चों के लिए कुछ आसन दे रहे हैं जिनका अभ्यास करने वे ऊर्जावान, तेज व बुद्धिमान बनेंगे। जिसके चलते वे अपना समग्र विकास करने में सफल हो सकते हैं। तो आइये इन योगासन के बारे में जानें –
प्राणायाम (Pranayam)
प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएं। अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें। इसके अलावा आप दोनों हथेलियों को प्रार्थना की मुद्रा में ला सकते हैं। अब आप लंबी सांस लेकर ओम का उच्चारण करते हुए सांस बाहर की ओर छोड़ें। इसे आप 3-5 बार दोहराएं। यही आसन आप अपने बच्चे से इसी प्रकार करवाएं।
आसन से लाभ- प्राणायाम करने से बच्चे को प्राणवायु का अधिक संचार होता है। जिससे ध्यान केंद्रीत करने में सफलता मिलती है। इसके साथ ही तनाव मुक्त भी होते हो।
पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)
इस आसन को करने के लिए सुखासन में बैठना है। इसके बाद पैरों को आगे की ओर फैलाएं। फिर आगे की ओर लेटते हुए हाथ से पैर के पंजों को छूना है। इस बीच आसनकर्ता को सांस लेना और छोड़ना भी है। इसे 10 बार दोहराएँ।
आसन से लाभ - पश्चिमोत्तानासन बच्चों के लिए काफी फ़ायदेमंद माना जाता है। इसे करने से बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है और इनके अंदर की चंचलता स्थिर होती है। मन पर नियंत्रण मिलता है। जिन बच्चों के कुल्हें भारी होते है उनके लिए यह आसन काफी लाभप्रद है। पीठ व गर्दन में इस आसन को नहीं करना चाहिए।
पादहस्तासन (Uttanasana)
इस आसन को करने के लिए आसनकर्ता को सीधे खड़ें होना है। फिर सांस लेते हुए हाथों को ऊपर ले जाएं। इसके बाद आगे की ओर झुकते हुए पैर के पंजों को छुएँ। ध्यान रहे पैर सीधे हो। इसे 10 बार किया जा सकता है।
आसन से लाभ - इस आसन का अभ्यास करने से नसों और नाडियों की एक तरह से मसाज हो जाती है। इसके साथ ही यह पाचन तंत्र में सुधार लाता है और जांघों को मजबूती देता है। जिन बच्चों में ओबेसिटी की समस्या होती है उनके लिए यह आसन बेहद लाभदायक है।
उत्थित ताड़ासन (Utthita Tadasana)
स्टार पोज के नाम से भी इस आसन को जाना जाता है। इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों और पैरों को दायीं या बायीं ओर झुकते हुए इस तरह फैलाएं कि चित्रानुसार स्टार शेप बन जाए। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस आसन को 2-4 बार दोहराएं।
आसन से लाभ - इससे चलने के तरीके साथ शारीरिक संतुलन और रोलिंग जैसी शारीरिक गतिविधि और भी बेहतर होती है। शारीरिक बनावट में सकारात्मक बदलाव आता है।
भुजंगासन (Bhujangasana)
इस आसन को स्नेक या कोबरा पोज भी कहा जाता है। इस आसन को करने के लिए पेट के बल सीधे लेट जाएं। इसके बाद दोनों हथेलियों को सीने के पास रखें। सांस लेते हुए सिर, कंधे और सीने को ऊपर की ओर उठाएं। लगभग 20 सेकेंड के लिए इस स्थिति में बने रहें। अब सांस छोड़ते हुए सिर को नीचे लाएं और थोड़ी देर के लिए आराम करें। इसे पांच से छः बार दोहराएं।
आसन से लाभ - इस आसन को करने से हाथ की मांसपेशियाँ मज़बूत होती हैं। बच्चों के लिए यह काफी मददगार होता है। इससे बच्चे के लेखन में काफ़ी मदद मिलती है। आसन से बच्चों की रीढ़ की हड्डी और पीठ मज़बूत बनती है।
त्रिकोणासन (Trikonasana)
त्रिकोणासन को फॉलिंग स्टार पोज भी कहा जाता है। आसन को करने के लिए सीधे खड़े होकर सांस अंदर लें। अब दोनों पैरों के बीच कुछ दूरी बनाते हुए सांस छोड़ें। फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाकर बायीं ओर झुकना है। दायें हाथ से बायें पैर को छुयें और बायीं हथेली की ओर देखें। थोड़ी देर इसी स्थिति में बने रहें, फिर शुरूआती अवस्था में आ जाएं। यही क्रिया दायीं ओर के लिए भी दोहराएं।
आसन से लाभ – इस आसन को करने से बच्चों के शरीर को सही शारीरिक खींचाव मिलता है। इसके अभ्यास से हाथ, पैर, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी और सीने को मज़बूती प्रदान करती है। यह नर्वस सिस्टम को बेहतर बनाता है।