अक्सर लोग दान-पुण्य को बहुत ही पुण्य का कार्य मानते हैं और यह होता भी है लेकिन दान करना भी कभी-कभी नुक्सानदायक हो सकता है। इसी प्रकार शादी नहीं हो रही या धन में वृद्धि नहीं हो रही या फिर गृह-क्लेश ने ही आपका जीना दुभर कर रखा है। ऐसे में आप चढ़ गये किसी नौसिखिए के हत्थे और उसने बता दिये आपको कुछ रामबाण इलाज जिनसे आपकी हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ती और बिगड़ने के बाद तिगड़ती चली जाती है। तो आज हम आपको कुछ ऐसी ही बातें बताने वाले हैं जिन्हें आप करते तो फायदे के लिये हैं लेकिन उनके प्रभाव नकारात्मक ही सामने आते हैं। तो आइये जानते हैं कौनसी हैं वह नादानी जो फेर देती हैं आपके किये पर पानी।
उच्च सितारों का न करें दान होंगें परेशान
कभी-कभी जो सितारे हमारे शिखर में होते हैं तो जाने अंजाने और लाभ पाने की मंशा में हम उनका दान कर देते हैं और जो ग्रह नीच के होते हैं उन्हें उच्च करने के चक्कर में उनकी पूजा करवा देते हैं। तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिये। इसके हमेशा नकारात्मक प्रभाव ही सामने आते हैं। ऐसा क्यों होता है इसकी विस्तृत जानकारी आप एस्ट्रोयोगी पर रजिस्टर कर विद्वान ज्योतिषाचार्यों से ले सकते हैं।
आपकी धार्मिक कार्यों में बहुत रुचि है और मंदिर धर्मशालाओं, गौशालाओं में आप बढ़-चढ़ कर दान देकर पुण्य कमाते हैं तो यह बहुत ही अच्छा होता है। लेकिन यदि आप देवगुरु ग्रह बृहस्पति के दशम या चौथे भाव में होने पर ऐसा करते हैं यानी किसी मंदिर के निर्माण के लिये दान राशि देते हैं तो यह बहुत ही अशुभ होता है। कभी-कभी तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी जातक को काटने पड़ते हैं यहां तक जातक की जान पर बन आती है तो आगे सावधान रहें और कुछ भी करने से पहले विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करें।
कई बार आप साधु संतों की पूरी सेवा टहल में रहते हैं, सत्संग करते हैं अब साधु की संगत को शुभ ही होती है लेकिन बावजूद इसके आपके परिवार में कुछ ठीक नहीं होता हर लिहाज से परिवार की उन्नति रुक जाती है। तो इसका एक कारण साधुओं के संग के समय आपके चंद्रमा का बारहवें भाव में होना हो सकता है। इसकी पुष्टि आप विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करके कर सकते हैं।
इन पर भी फरमायें गौर
इसी तरह की कुछ और बातें हैं जैसे कि सूर्य के सप्तम या अष्टम होने पर तांबे का दान नहीं करना चाहिये, इससे धन की हानि होने की संभावनाएं बनती हैं। मंत्रोच्चारण करने के लिये पहले मंत्रों का उच्चारण करना सीखना चाहिये। गलत उच्चारण यानी अशुद्ध उच्चारण से सकारात्मक की बजाय नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। साथ ही मान लो आपको मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करना आता है लेकिन कितना मंत्र का जाप कितना कर रहे हैं इसका भी ध्यान रखना पड़ता है मंत्रों का जाप पूर्ण संख्या में करना जरुरी होता है। और इसे एक ही आसन पर एक ही समय में सम संख्या में किया जाता है। जाप के पूर्ण होने पर उसका दशांश हवन करना भी जरुरी होता है।
इस तरह वस्त्र धारण करना भी हो सकता है हानिकारक
आजकल वार के अनुसार वस्त्र धारण करने का चलन बढ़ चला है। हालांकि ऐसा करना गलत बात नहीं है बल्कि बहुत शुभ होता है लेकिन यह हर किसी को नहीं करना चाहिये। जो ग्रह अच्छे चल रहे हैं उनके वस्त्र धारण करने से शुभ फल मिलते हैं लेकिन जो ग्रह शुभ नहीं हैं उनके रंग के वस्त्र भी आप पहनते हैं तो यह आपके लिये मुश्किलें पैदा करने वाला हो सकता है। इसी प्रकार सिर्फ वस्त्र ही नहीं मोती पहनने को लेकर भी यही धारणा होती है कुछ जातक बिना किसी सलाह के मोती पहन लेते हैं ऐसे में अगर उक्त जातक की कुंडली में चंद्रमा नीच का हुआ तो उक्त जातक के अवसादग्रस्त यानि डिप्रेशन में आने की संभावनाएं प्रबल होती हैं। इसी प्रकार कुछ ज्योतिषी अपना मुनाफा कमाने के चक्कर में बिना कुंडली देखे ही जातक को शादी के लिये पुखराज पहनने की सलाह दे देते हैं इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और जातक की शादी नहीं हो पाती। यदि जातक की कुंडली में गुरु नीच का हो, अशुभ प्रभाव, अशुभ भाव में हो तो भी पुखराज को अपने से दूर ही रखना बेहतर होता है।
बुध खराब हो तो न लगायें मनी प्लांट
यह तो अक्सर आपने सुना ही होगा यहां तक की कहा भी होगा कि पैसे पेड़ पर थोड़े लगते हैं लेकिन पैसों का पेड़ बहुत ही मशहूर है जिसे मनी प्लांट कहते हैं। लोग इसे अपने घर में रखते तो इसी लिये हैं कि किसी तरह देवी लक्ष्मी यही अपना निवास कर लें और कुबेर देवता का खज़ाना घर में खुल जाये। लेकिन यदि आपकी कुंडली में बुध यदि खराब हैं तो मनी प्लांट क्या कुछ भी आपको राहत नहीं देगा उल्टा घर की बहन-बेटी के लिये यह दुखदायी रहता है। इसी तरह कैक्टस या अन्य कांटे वाले पौधे घर में लगायेंगें तो शनि देव प्रबल हो जायेंगें इसलिये जिनका शनि खराब चल रहा हो उन्हें इस तरह के पेड़ पौधे नहीं लगाने चाहियें।
यदि किसी काम को करने या न करने को लेकर किसी प्रकार की शंका आपके दिमाग में घर कर गई है तो हमारे ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लेकर उनका उपाय जानें।