भारतीय त्योहारों की खास बात यह है कि उनमें से ज्यादातर पर्व एक नैतिक सबक के साथ आते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है विजयादशमी, जिसे बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दशहरे का त्योहार दशमी तिथि या आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक सितंबर या अक्टूबर को महीने में यह पर्व आता है। दीवाली के ठीक 20 दिन पहले और शारदीय नवरात्रि की दशमी को विजयादशमी कहते हैं। इसके अतिरिक्त, यह भी माना जाता है कि इस शुभ दिन पर किसी ज्योतिषी से रामायण, श्री राम रक्षा स्तोत्रम, सुंदरकांड आदि का पाठ करना आपकी सभी इच्छाओं और प्रार्थनाओं को पूरा करने में मदद कर सकता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दशहरा के दिन भगवान राम ने लंकापति रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी। 9 दिनों तक भयंकर युद्ध के बाद, भगवान राम ने 10 वें दिन रावण को हराया और अपनी पत्नी, देवी सीता को रावण की कैद से मुक्त कराया।
दशहरा भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में, इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। 'विजया' का मतलब जीत है, और दशमी का मतलब दसवां है। विजयादशमी दुर्गा पूजा के अंत का प्रतीक है। भक्तों और धर्म की रक्षा के लिए राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत को याद दिलाने का पर्व है। यह भी माना जाता है कि भगवान राम ने देवी दुर्गा से शक्ति के लिए प्रार्थना की थी ताकि वे रावण को हरा सकें। उन्होंने 108 नीले कमल अर्पित कर देवी दुर्गा की पूजा की थी। देवी दुर्गा ने उन्हें अपना दिव्य आशीर्वाद दिया, जिससे उन्हें रावण को हराने और विजयी प्राप्ति की ताकत मिली। जैसा कि दोनों पौराणिक कथाएं बताती हैं कि कैसे देवी दुर्गा और भगवान राम ने अन्याय और बुराई को हराया, यह हमें यह सबक देता है कि बुराई पर अच्छाई और सच्चाई हमेशा विजयी होती है।
हालांकि साल 2020 में कब है दशहरा यानि विजयदशमी को लेकर काफी भ्रम की स्थिति पैदा है। दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार तिथियां 24 घंटे की तरह नहीं होती है जैसे अंग्रेजी कैलेंडर में होता है। कई बार तिथियां 24 घंटे से कम और ज्यादा की भी होती है। इसलिए इस बार
अष्टमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से हो रही है और 24 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 58 मिनट पर यह खत्म होगी यानि दुर्गाष्टमी का पर्व 23 अक्टूबर 2020 को मनाया जाएगा।
दुर्गानवमी की शुरुआत 24 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 58 मिनट से होगी और 25 अक्टूबर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी यानि नवमी तिथि 24 अक्टूबर 2020 को मनाई जाएगी।
दशमी तिथि की शुरुआत 25 अक्टूबर सुबह 7 बजकर 41 मिनट से होगी और 26 अक्टूबर सुबह 9 बजे तक रहेगी यानि रावण दहन का पर्व 25 अक्टूबर 2020, रविवार को मनाया जाएगा।
दुर्गा विसर्जन का पर्व 26 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
1. पूजा करने की सही दिशा
देवी दुर्गा की पूजा करने की दिशा उत्तर-पूर्व या घर की पूर्व दिशा है। इस दिशा को अनिवार्य माना जाता है क्योंकि वह कुंडली में नव-ग्रह या नौ ग्रहों का प्रतिनिधित्व करती है।
2. दुर्गा सूक्तम का जाप करें
दिशा तय करने के बाद, दुर्गा सूक्तम का जप शुरू करें यह घर में सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने का बीज मंत्र है।
4. वास्तु अनुकूल रंगोली
वास्तु के अनुसार, घर की दहलीज पर रंगोली बनाने से पांच तत्वों की सकारात्मक ऊर्जा नियंत्रण में आ जाती है। इस उत्सव के दौरान रंगोली बनाते वक्त विशेष रूप से काले और किसी भी अन्य प्रकार के गहरे रंगों से बचें।
5. मुख्य द्वार के लिए तोरण
अपने घर में सौभाग्य, खुशी और सफलता लाने के लिए आम के पत्तों और गेंदे के फूलों से बने बंदनवारों या तोरणों से मुख्य द्वार को सुशोभित करें।
6. शमी वृक्ष की पूजा करें
ऐसी मान्यता है कि इस दिन शमी वृक्ष की पूजा करने से भक्त भगवान शनि को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इससे भक्तों को भी खुशी मिलेगी और उनकी समस्याओं का समाधान होगा।
7. कठमूली या झिंझोरी की पत्तियां
यह एक देशी भारतीय पेड़ है, जो अपनी विशिष्ट खुरदुरी बनावट वाली पत्तियों के कारण आसानी से पहचाना जाता है। दशहरा पूजा में, कठमूली या झिंझोरी के पत्तों को सोने के रूप में माना जाता है। वहीं महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में अनुष्ठान के अनुसार एक दूसरे से लूटा जाता है। यह कहा जाता है कि धन के देवता कुबेर ने दशहरे के दिन लाखों कठमूली या झिंझोरी की पत्तियों को सोने में परिवर्तित कर दिया और एक सम्मानित विद्वान कौत्स्या को गुरु दक्षिणा के रूप में दिया था।
8. दशहरे के दिन अन्य अनुष्ठान
विजयदशमी के दिन अस्त्रों की पूजा करने का भी विधान है। साथ ही आप भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की पूजा कर सकते हैं। इस दिन पूजन के लिए फूल, सूखे मेवे, ताजे फल, गुड़, मूली, चावल, अगरबत्ती, चूना पत्थर, गोबर, आदि महत्वपूर्ण तत्व हैं। वहीं दशहरे की पूजा समाप्त करने के बाद गरीबों को दान-दक्षिणा देने का प्रावधान है। कहा जाता है कि दशहरा पूजा अनुष्ठान करने से परिवार में सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही नकारात्मक शक्तियों का नाश भी हो जाता है।
घर में नई चीजें लाने या नया उद्यम शुरू करने या अपने जीवन में कुछ नया आरंभ करने के लिए दशहरा एक शुभ अवसर माना जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन या सोने के आभूषण खरीदने के लिए भी यह शुभ दिन है।
कुछ लोग रावण के जले हुए पुतले की राख को रखना भी शुभ मानते हैं।
तो इस दशहरे पर खुद को इन लोकप्रिय रिवाजों से परिचित कराएं और दशहरा को और खास बनाने के लिए ज्योतिषीय उपाय अपनाएं।
ध्यान दें : इस बार जानलेवा महामारी की वजह से सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए दशहरा सावधानीपूर्वक मनाएं। सामाजिक दूरियों के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए और मास्क पहनना ना भूलें। रावण दहन को देखने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखें। यदि हो सके तो सोशल मीडिया के माध्यम से डिजिटल दर्शन का विकल्प चुनें। एस्ट्रोयोगी की तरफ से सभी पाठकों को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं और हम आशा करते है कि आप के बीच यूँ ही प्रेम, स्नेह बना रहें।
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