गीता जयंती तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि, जानें

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गीता जयंती तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि, जानें

हर त्यौहार एवं व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इसी प्रकार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर गीता जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 2021 में कब है गीता जयंती? पूजा विधि एवं महत्व जानने के लिए पढ़ें।

गीता जयंती हिन्दू धर्म के सर्वाधिक पवित्र एवं धार्मिक ग्रंथ गीता को समर्पित होती है। पंचांग के अनुसार, गीता जयंती प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्‍लपक्ष की एकादशी को श्रद्धाभाव से मनाई जाती है। यह एकादशी मोक्षदा एकादशी के नाम से भी प्रसिद्द है जो उत्पन्ना एकादशी के बाद आती है। संसार मे गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। मान्यतानुसार, धार्मिक ग्रंथ गीता का प्रार्दुभाव मार्गशीर्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र में हुआ था। भारत के शीर्ष ज्योतिषियों से ऑनलाइन परामर्श करने के लिए यहां क्लिक करें!  

 

क्यों विशेष है गीता जयंती?

ब्रह्मपुराण के अनुसार, गीता जयंती के दिन ही द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में खड़े होकर कुंती पुत्र अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता का ज्ञान सभी प्रकार के मोह का क्षय करने वाला है, यही कारण है कि इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते है। 

महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन के मन में उत्पन्न दुविधा को दूर करते हुए मानव जीवन को सफल और सुखी बनाने हेतु गीता का ज्ञान दिया था। श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए धर्म एवं कर्म के महत्व को गीता में संग्रहित किया गया है। कुरुक्षेत्र की भूमि पर वासुदेव कृष्ण ने जो उपदेश अर्जुन के संशय व भ्रम को दूर करने के लिए दिया था, आज वही ज्ञान मनुष्य की समस्याओं के समाधान और सुखी जीवन जीने की कला के रूप में गीता में संचित है।    

 

गीता जयंती 2021 तिथि व पूजा मुहूर्त

इस वर्ष गीता जयंती 14 दिसंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी जो गीता की 5158वीं वर्षगांठ होगी। 

 

एकादशी तिथि आरंभ: रात 09 बजकर 30 मिनट से (13 दिसम्बर)

एकादशी तिथि समाप्त: रात 11 बजकर 35 मिनट पर (14 दिसम्बर)।

 

श्रीमद्भागवत गीता के कुल अध्याय एवं श्लोक:  

हिंदूओं के सर्वोपरि ग्रन्थ गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है।     

 

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गीता जयंती पूजा विधि

  • गीता जयंती पर जातक ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें।   
  • अब एक चौकी पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।   
  • भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करने के बाद उनके सामने भगवद गीता रखें।   
  • इसके बाद श्रीमदभगवत गीता पर गंगा जल का छिड़काव करें। 
  • श्रीकृष्ण और भगवद गीता को रोली से तिलक करें।   
  • इसके पश्चात भगवान श्रीकृष्ण और श्रीमदभगवत गीता पर फूल अर्पित करने चाहिए।   
  • अब भगवान श्रीकृष्ण को धूप दिखाएं एवं दीपक से आरती करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
  • श्रीकृष्ण की पूजा के उपरांत श्रीमदभगवत गीता को उठाकर अपने माथे पर लगाएं और उसका पाठ करें या सुनें।
  • गीता जयंती के अवसर पर मंदिरों में गीता का पाठ कराया जाता है, वहां जाकर भी गीता सुनी जा सकती है।

 

गीता जयंती पर पूजा का महत्व:

गीता जयंती पर विधिपूर्वक गीता और श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। प्रत्येक कार्य में व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। गीता जयंती के दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से मनुष्य को आत्मिक शांति और ज्ञान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन विष्णु जी की पूजा से जातक को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

       

गीता जयंती पर अवश्य करे ये कार्य

  • गीता जयंती के दिन गीता का पाठ करना या सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है। 
  • इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। 
  • इस दिन मोक्षदा एकादशी होती है अतः व्रत करना फलदायी सिद्ध होता है।
  • इस दिन गीता का पाठ एवं मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 
  • गीता का पाठ करने के बाद उसे वापस आदरपूर्वक अपने स्थान पर रख दें। 
  • गीता जयंती पर यदि संभव हो, तो किसी ब्राह्मण को गीता का दान अवश्य करें। 

 

✍️ By- Team Astroyogi

 

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