Hanuman Jayanti: 2022 में कब है हनुमान जयंती एवं किस समय करें पूजा? जानें

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Hanuman Jayanti: 2022 में कब है हनुमान जयंती एवं किस समय करें पूजा? जानें

हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं। वर्ष 2023 में कब है हनुमान जयंती? कब और किस मुहूर्त में करें हनुमान पूजा? जानने के लिए पढ़ें।

Hanuman Jayanti 2022: राम भक्त हनुमान को समर्पित एक अत्यंत पावन एवं पवित्र पर्व हैं हनुमान जयंती जो भक्ति, निष्ठा व सेवा भाव का परम उदाहरण है। संकटमोचन हनुमान को शक्ति एवं ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। हनुमान जयंती हिन्दू धर्म का प्रमुख त्यौहार है और यह भगवान हनुमान के जन्म का स्मरण करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान हनुमान को तीनों लोकों में सबसे शक्तिशाली माना गया हैं और उन्हें शक्ति एवं ऊर्जा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। 

हनुमान जयंती 2023 तिथि एवं मुहूर्त

हनुमान जयंती को महाबली हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इन्हें संकटमोचन, महावीर, मारुति, अंजनी सूत, पवन पुत्र आदि नामों से जाना जाता है। सभी हिन्दू देवी-देवताओं में से सबसे शीघ्रता से प्रसन्न होने वाले चिरंजीव हनुमान की जयंती देशभर में अत्यंत श्रद्धाभाव एवं धूमधाम से मनाई जाती है। 

पंचांग के अनुसार, हनुमान जयंती को प्रतिवर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, सामान्य रूप से मार्च या अप्रैल में आती है। धार्मिक पंचांगों के अनुसार, हनुमान का जन्मदिन अश्विन माह के अंधेरे पखवाड़े में चौदहवें दिन अर्थात चतुर्दशी तिथि को आता है।

  • हनुमान जयंती तिथि: 06 अप्रैल 2022, शनिवार
  • हनुमान जयंती मुहूर्त:
  • पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ: 05 अप्रैल को प्रातः काल 02:25 बजे से
  • पूर्णिमा तिथि की समाप्ति:06 अप्रैल को प्रातः काल 12:24 बजे तक

हनुमान जयंती का महत्व:

सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति चाहता है कि उसे भगवान राम की कृपा प्राप्त हो, राम जी उसके समस्त दुखों का निवारण करें, तो वह हनुमान जी के द्वारा ही प्रभु श्रीराम तक पहुंच सकता है। इस परिस्थिति में हनुमान जयंती का पर्व भगवान राम और हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक श्रेष्ठ दिन है। 

हनुमान जी श्रीराम के अनन्य भक्त हैं और असीम शक्ति के स्वामी हैं। बजरंगबली की भक्ति व्यक्ति को आनंद से भर देने वाला अनुभव होता है जो आपकी समस्त समस्याओं का निवारण करते है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन ‘हनुमान चालीसा’ का निरंतर पाठ करने से दुखों को दूर करने की शक्ति प्राप्त होती है।

ज्योतिषीय दृष्टि से हनुमान जयंती:

हनुमान जयंती को ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की उपासना से न केवल समस्याओं का निवारण होता है,साथ ही ग्रह व दोष भी शांत होते है। हनुमान जयंती का दिन शनि सम्बंधित समस्याओं का अंत करने के लिए भी विशेष माना गया है। 

हनुमान जी का चरित्र:

हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना गया है जिनकी वीरता, बुद्धिमत्ता, शक्ति, निस्वार्थ सेवा और ज्ञान के प्रतीक के रूप में पूजा जाती है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त हैं और ये मात्र ऐसे देवता हैं जो कलयुग में भी जागृत हैं। इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान राम और सीता की निस्वार्थ भक्ति के लिए समर्पित कर दिया।

महाबली हनुमान धार्मिक ग्रंथ रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। इस ग्रंथ में हनुमान जी की शक्ति और वीरता के विषय में अनेक घटनाएं वर्णित हैं। भगवान हनुमान की शक्ति एवं भक्ति के बिना श्री राम के लिए रावण पर विजय प्राप्त करना कठिन हो जाता है, यही वजह हैं कि भक्त हनुमान जी की पूजा संकटमोचन के रूप में करते हैं। 

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कैसे मनाया जाता हैं हनुमान जयंती का पर्व?

धार्मिक दृष्टि से हिन्दू धर्म में हनुमान जयंती का विशेष महत्व हैं जो पूरे देश में बेहद श्रद्धाभाव एवं आस्था से मनाया जाता है। हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिरों में सुबह से लेकर रात तक भक्तों की भीड़ देखने को मिलती हैं। इस दिन भक्तजन महाबली को सिन्दूर तथा चमेली का तेल आदि अर्पित करते हैं। 

हनुमान जयंती पर हनुमान मंदिरों में सुबह से ही प्रसाद वितरण के कार्यक्रमों का आयोजन शुरु हो जाता है। कई मंदिरों में हनुमान जयंती के अवसर पर भंडारे भी किये जाते है। 

हनुमान जी से संबंधित तथ्य:

पुराण, महाभारत और जैन ग्रंथों में भी हनुमान जी के बारे में वर्णन मिलता है।

  • हनुमान जी को वानरों के देवता एवं भगवान शिव का अवतार माना जाता है।
  • संकटमोचन हनुमान अपनी इच्छानुसार अपने शरीर के आकार को छोटा-बड़ा कर सकते हैं, साथ ही ये मन की गति से कही भी जा सकते हैं।
  • पवन पुत्र हनुमान की असीम शक्ति की वजह से कोई भी दानव उन पर विजय प्राप्त करने में सफल नहीं रहा। यह शक्ति उन्हें समस्त देवताओं द्वारा दी गई एक अमूल्य उपहार हैं।

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हनुमान जयंती से जुड़ीं पौराणिक कथा:

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, वर्णित कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में स्वर्गलोक में सभी देवों तथा ऋषि दुर्वासा के बीच अत्यंत महत्वपूर्ण चर्चा चल रही थी। इसी मंत्रणा के दौरान इंद्रलोक की एक पुंजिकास्थली नमक अप्सरा ने अनजाने में कुछ विघ्न उत्पन्न कर रहा था। ऋषि दुर्वासा अत्यंत गुस्सैल स्वभाव के थे, उन्होंने क्रोधित होकर पुंजिकास्थली को श्राप दे दिया कि वह वानर बन जाएगी। ऋषि दुर्वासा का श्राप सुनकर पुंजिकास्थली अत्यंत दुखी हो गई और उसने ऋषि से क्षमायाचना करते हुए कहा कि उसका इरादा किसी तरह का विघ्न उत्पन्न करने का नहीं था, उस स्कामय ऋषि दुर्वासा ने कहा कि निराशा मत हो, विधि के विधान के अनुसार तुम अगले जन्म में वानरराज की पत्नी बनोगी। भविष्य में एक अत्यंत दिव्य और महान पुत्र तुम्हारे गर्भ से जन्म लेगा। कथाओं के अनुसार, इस अप्सरा पुंजिलास्थली का जन्म धरती पर अंजनी के रूप में हुआ था और इन्हीं के गर्भ से ही हनुमान जी को जन्म दिया। 

लेखक दृष्टि से:

हनुमान जयंती का पर्व अत्यंत शुभ माना जाता है जो परेशानियों और कष्टों का अंत करने में सहायक होता है। इस दिन संकटमोचन हनुमान अपने भक्तों के समस्त संकटों का निवारण करते है। आप हनुमान जयंती की पूजा, मुहूर्त एवं कोई अन्य जानकारी के लिए एस्ट्रोयोगी पर प्रसिद्ध वैदिक ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं

✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी

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