2018 भारत के लिये मिला जुला साल कहा जा सकता है। इस साल में देश के आतंरिक हालातों की बात करें तो अफवाहों के सहारे भीड़ द्वारा हत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई है जिससे कहीं न कहीं देश में सामाजिक सद्भाव में कमी दिखाई देती है। साथ ही महाराष्ट्र और राजस्थान में किसान आंदोलन भी काफी असरकारक रहें हैं। कुछ राज्यों में सांप्रदायिक घटनाओं को भी हवा मिली। कुल मिलाकर एक असंतोष, एक आक्रोश लोगों में दिखाई दिया जिससे कहीं न कहीं देश के आतंरिक हालात पूरे साल प्रभावित होते रहे। ऐसे में 2019 इस मामले में कुछ बेहतरी लेकर आयेगा या नहीं? जिस समय राम मंदिर के मुद्दे पर एक सांप्रदायिक माहौल बनाने के प्रयास हो रहे हैं। धर्म के सहारे राजनीतिक स्वार्थों की सिद्धि के प्रयास हो रहे हैं और देश में चुनाव भी होने वाले हैं ऐसे में 2019 में ग्रहों की दशा व दिशा देश के भीतरी हालातों को कैसे प्रभावित कर रही है। 2019 के आगमन समयानुसार ग्रहों की दशाओं का आकलन कर एस्ट्रोयोगी क्या अनुमान लगा रहे हैं आइये जानते हैं।
एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्य के अनुसार 2019 की कुंडली, कन्या लग्न की है जो कि भारत की राशि से तीसरा स्थान है। वर्ष लग्न स्वामी बुध हैं जो भारत की कुंडली के अनुसार पांचवे स्थान के कारक हैं। कुल मिलाकर साल 2019 भारत के लिये अपनी अलग पहचान बनाने का वर्ष है। राहू साल की शुरुआती तिमाही में ही राशि बदल रहे हैं। दूसरी तिमाही के आरंभ में गुरु व शनि भी उलटी चाल चलने लगेंगें। कुल मिलाकर 2019 के लगभग मध्य का समय उठापटक वाला रह सकता है। कुछ आंदोलन हिंसात्मक रूप ले सकते हैं। भारत की कुंडली के नज़रिये से देखा जाये तो इस समय भारत पर राशि स्वामी चंद्रमा की महादशा चल रही है जोकि 2025 तक रहेगी। साल 2018 की शुरुआत के समय भारत की कुंडली के अनुसार भारत पर बुध की अतंर्दशा तो सूर्य प्रत्यतंर दशा में गोचर करेंगें।
चंद्रमा को विशेष रूप से शांति का प्रतीक माना जाता है और भारत की राशि का स्वामी चंद्रमा ही है। इसलिये वैसे तो शांतिप्रद होना भारत के स्वभाव में निहित है। लेकिन चंद्रमा के साथ दुष्ट ग्रह जब-जब आयेंगें तब-तब कुछ अप्रिय घटनाएं भी देखने को मिल सकती हैं।
लेकिन वर्ष 2019 की कुंडली के आकलनानुसार देखा जाये तो पूरे वर्ष अधिकतर ग्रह शांति की ओर संकेत करते हैं। कुछ स्थितियां ऐसी बन सकती हैं जिनमें कुछ राज्यों में अशांति का वातावरण रह सकता है। हालांकि इन राज्यों में भी अशांति का यह वातावरण लंबे समय तक नहीं रहेगा। विशेषकर पहली तिमाही के लगभग अंत से दूसरी तिमाही के लगभग अंत तक भारत को अपने भीतरी हालातों पर नज़र बनाए रखने की आवश्यकता रहेगी। इस समय राहू अपनी राशि बदलेंगें तो वहीं गुरु व शनि की चाल वक्र यानि उलटी हो जायेगी। साथ ही बाह्य शत्रुओं से भी इस समय भारत को सचेत रहने की आवश्यकता पड़ेगी।
अप्रैल में भारत की राशि से छठे स्थान पर शनि वक्री हो रहे हैं। इस समय गड़े मूर्दे उखड़ सकते हैं यानि कुछ पुराने मसलों पर पुन: विवाद बढ़ सकते हैं। सरकार द्वारा पास किये गये किसी कानून से भी कुछ हिस्सों में तनाव बढ़ सकता है। कुल मिलाकर वर्ष 2019 में भारत के आंतरिक हालात चुनौतिपूर्ण रहने वाले हैं। शासकों, प्रशासकों व देश के सतर्कता विभाग की सजगता, अच्छी नीति व नियत से इन हालातों को नियंत्रित रखा जा सकता है।
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