Maa Kali Ke 5 Mandir: जानें माँ काली के 5 मंदिरों के बारें में

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Maa Kali Ke 5 Mandir: जानें माँ काली के 5 मंदिरों के बारें में

Maa Kali Mandir: क्या आपने कभी सोचा है कि माँ काली की आराधना इतनी प्राचीन क्यों मानी जाती है? भारत की इस पवित्र भूमि पर माँ काली की उपासना उतनी ही पुरानी है, जितनी इस सभ्यता की जड़ें। वे सिर्फ एक देवी नहीं, बल्कि ‘संहार और सृजन’ दोनों की प्रतीक मानी जाती हैं।

कहा जाता है कि माँ काली का प्रत्येक रूप शक्ति, साहस और संरक्षण का प्रतीक है। देवी दुर्गा के उग्र स्वरूप के रूप में पूजी जाने वाली माँ काली, अपने भक्तों के भय, संकट और नकारात्मकता का अंत करती हैं। वे अंधकार में प्रकाश और निराशा में आशा जगाने वाली शक्ति हैं।

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माँ काली के 5 मंदिर (Maa Kali Ke 5 Mandir)

देश के हर कोने में माँ काली के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन कुछ ऐसे मंदिर हैं जहाँ उनकी ऊर्जा आज भी साक्षात महसूस की जा सकती है। इस लेख में हम आपको बताएँगे भारत के 5 सबसे खास माँ काली मंदिरों के बारे में, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु श्रद्धा अर्पित करने पहुँचते हैं।

1. कालिका मंदिर, कालकाजी – दिल्ली (Kalkaji Temple, Delhi)

दिल की राजधानी दिल्ली में स्थित कालकाजी मंदिर को उत्तर भारत का सबसे प्राचीन और शक्तिशाली काली मंदिर माना जाता है। यह मंदिर न सिर्फ दिल्लीवालों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि पूरे भारत से भक्त यहाँ माँ के दर्शन करने आते हैं।

माना जाता है कि यह मंदिर सतयुग के समय से विद्यमान है और यहाँ की देवी को ‘माँ कालिका देवी’ के नाम से पूजा जाता है। मंदिर में हर दिन आरती और भजन के समय जो माहौल बनता है, वह भक्तों को अद्भुत ऊर्जा से भर देता है। नवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, और मंदिर परिसर में लगे मेले में भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

क्यों खास है यह माँ काली का ये मंदिर (Why Maa Kali Temple Is So Special):

  • यहाँ की मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है।

  • नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

  • माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से शत्रु बाधा और भय दूर होता है।

2. दक्षिणेश्वर काली मंदिर – कोलकाता (Dakshineswar Kali Temple, Kolkata)

भारत के सबसे प्रसिद्ध माँ काली मंदिरों में से एक है दक्षिणेश्वर काली मंदिर, जो पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक इतिहास के कारण भी बेहद महत्वपूर्ण है।

इस मंदिर का निर्माण रानी रासमणि ने वर्ष 1855 में कराया था। यहाँ की मुख्य देवी को भवतरिणी काली कहा जाता है, जिसका अर्थ है – "जो अपने भक्तों को संसार के दुखों से पार कराती हैं।" इस मंदिर में श्री रामकृष्ण परमहंस ने वर्षों तक साधना की थी, और यहीं उन्होंने माँ काली के वास्तविक दर्शन किए थे।

क्यों खास है यह माँ काली का ये मंदिर (Why Maa Kali Mandir Is So Special):

  • रानी रासमणि ने अपनी स्वप्न-दृष्टि के बाद मंदिर का निर्माण करवाया था।

  • यह मंदिर हुगली नदी के किनारे स्थित है, जो इसके सौंदर्य को और भी बढ़ाता है।

  • माँ भवतरिणी की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा विश्वास है।

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3. कालीघाट मंदिर – कोलकाता (Kalighat Kali Temple, Kolkata)

पश्चिम बंगाल का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और माँ सती के दाहिने पैर की उँगलियाँ यहाँ गिरी थीं, ऐसा कहा जाता है। इसलिए इसे कालीघाट शक्तिपीठ कहा जाता है।

यहाँ विराजमान देवी का रूप अत्यंत रहस्यमय और शक्तिशाली माना जाता है। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है, जो इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने बुराई के अंत के बाद आत्म-संयम का मार्ग चुना। यह मंदिर माँ काली की प्राचीनतम उपासना स्थली के रूप में प्रसिद्ध है।

क्यों खास है यह माँ काली का ये मंदिर (Why Maa Kali Temple Is So Special):

  • 51 शक्तिपीठों में से एक होने के कारण इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है।

  • यहाँ पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।

  • काली पूजा और अमावस्या के दिन यहाँ भक्तों की भीड़ असाधारण होती है।

4. कामाख्या मंदिर – असम (Kamakhya Temple, Assam)

असम की राजधानी गुवाहाटी के नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर को भी माँ काली के प्रमुख रूपों में से एक का निवास स्थान माना जाता है। यहाँ देवी को माँ कामाख्या देवी कहा जाता है, जो स्त्री शक्ति और सृजन की प्रतीक हैं।

यह मंदिर भी शक्तिपीठों में से एक है और यहाँ माँ सती का गर्भ भाग गिरा था। इसलिए यह मंदिर विशेष रूप से स्त्रीत्व, उर्वरता और शक्ति की उपासना का केंद्र है। हर साल यहाँ अंबुवासी मेला का आयोजन होता है, जब कहा जाता है कि माँ धरती की तरह अपने मासिक धर्म के चरण में होती हैं।

क्यों खास है यह माँ काली का ये मंदिर (Why Maa Kali Mandir Is So Special):

  • यह माँ सती के अत्यंत पवित्र शक्तिपीठों में से एक है।

  • यहाँ किसी मूर्ति की नहीं, बल्कि योनि के प्रतीक की पूजा होती है।

  • माँ कामाख्या की पूजा से संतान प्राप्ति और मानसिक शक्ति का आशीर्वाद मिलता है।

5. तारापीठ मंदिर – बीरभूम, पश्चिम बंगाल (Tarapith Temple, Birbhum, West Bengal)

पश्चिम बंगाल का तारापीठ मंदिर अपनी तांत्रिक साधनाओं और रहस्यमय वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की देवी को माँ तारा कहा जाता है, जो माँ काली का ही एक भयानक और दयामयी रूप हैं।

कहा जाता है कि महर्षि वशिष्ठ ने इसी स्थान पर माँ तारा की साधना की थी और दर्शन प्राप्त किए थे। मंदिर में माँ की मूर्ति काले रंग की है, उनकी जीभ बाहर निकली हुई है और वे अपने गोद में बालक शिव को लिए हुए हैं — जो दया और करुणा का प्रतीक है।

क्यों खास है यह माँ काली का ये मंदिर (Why Maa Kali Temple Is So Special):

  • यह मंदिर तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र है।

  • यहाँ माँ तारा की पूजा से आत्मबल और मानसिक शांति मिलती है।

  • रात में होने वाली आरती और साधनाएँ अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती हैं।

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माँ काली के इन मंदिरों की एक समानता

इन सभी मंदिरों में एक बात समान है — माँ काली की शक्ति का अनुभव हर भक्त स्वयं करता है। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति किसी न किसी संकट या इच्छा के साथ आता है, और माँ की कृपा से उसका मार्ग प्रकाशित होता है। माँ काली के मंदिरों में वातावरण में एक अजीब सी ऊर्जा होती है — डर और भक्ति का मिश्रण, जो इंसान को भीतर तक झकझोर देता है।

काली पूजा, अमावस्या या नवरात्रि के समय इन मंदिरों का दृश्य अद्भुत होता है। हजारों दीपों की रौशनी, मंत्रों की ध्वनि और भक्तों की आस्था — ये सब मिलकर ऐसा माहौल बनाते हैं, जहाँ लगता है मानो माँ स्वयं अपने भक्तों के बीच उपस्थित हैं।

माँ काली की उपासना का महत्व

माँ काली को ‘समय की देवी’ कहा गया है — क्योंकि वे जन्म और मृत्यु दोनों पर समान नियंत्रण रखती हैं। उनकी पूजा से भय, अज्ञान और नकारात्मकता का नाश होता है। माँ काली के भक्तों का विश्वास है कि अगर कोई सच्चे मन से उन्हें पुकारे, तो वे हर विपत्ति से उसकी रक्षा करती हैं।

काली साधना केवल शक्ति की नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण की साधना भी है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में हर अंधकार के बाद एक नई सुबह आती है।

यात्रा से पहले ध्यान देने योग्य बातें

  1. मंदिरों में जाने से पहले सफाई और श्रद्धा का पालन करें।

  2. नवरात्रि या अमावस्या के समय भीड़ अत्यधिक होती है, इसलिए समय से पहले पहुँचना बेहतर है।

  3. इन मंदिरों में फोटोग्राफी कई जगह निषिद्ध है — स्थानीय नियमों का सम्मान करें।

  4. श्रद्धा के साथ-साथ स्थानीय परंपराओं का पालन करना भी आवश्यक है।

भारत के ये पाँच माँ काली मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि शक्ति, भक्ति और आत्म-विश्वास के प्रतीक हैं। यहाँ पहुँचकर हर भक्त महसूस करता है कि भले ही जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ हों, माँ काली की कृपा से सब कुछ संभव है।

माँ काली के ये मंदिर यह याद दिलाते हैं कि सच्ची शक्ति भय में नहीं, बल्कि समर्पण में छिपी है। जब इंसान खुद को माँ के चरणों में समर्पित करता है, तभी उसे अपनी असली ताकत का एहसास होता है।

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