शिवरात्रि शिव और शक्ति के आराधना का महान पर्व है। इस पर्व का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। माना जाता है कि शिवरात्रि के मध्य रात्रि में भगवान शिव एक लिंग के रुप में प्रकट हुए थे। यह रात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की मध्य रात्रि थी। तब से इस पर्व को हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महा शिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है। परंतु इसके अलावा हर माह में एक शिवरात्रि की तिथि पड़ती है। जिसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार साल में कुल बारह मासिक शिवरात्रि पड़ती है। आगे लेख में मासिक शिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है, इसका क्या महत्व है, इसकी पूजा विधि क्या है और इस वर्ष यह पर्व बारहों माह में किन तिथियों पर पड़ने वाला है इसकी जानकारी दी जा रही है।
मासिक शिवरात्रि जुलाई शुभ मुहूर्त
08 जुलाई 2021 गुरुवार
चतुर्दशी प्रारम्भ - 08 जुलाई सुबह 03 बजकर 20 मिनट से
चतुर्दशी समाप्त - 09 जुलाई सुबह 05 बजकर 16 मिनट तक
मासिक शिवरात्रि पर्व
वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है। इस तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। माना जाता है कि एक बार देवों के देव महादेव बहुत क्रोधित हो गए। जिसकी तपिस से देवता भयभीत हो उठें। देवों ने माता पार्वती से भगवान शिव को मनाने के लिए आग्रह किया। माता ने देवों के आग्रह को स्वीकार्य कर भगवान शिव को शांत करने के लिए आराधना शुरू की। जिससे प्रसन्न होकर शिव ने माता पार्वती से वर मांगने के लिए कहा माता ने शिव से शांत होने के लिए कहा। भगवान शिव माता के निःस्वार्थ भाव को देख बोले, देवी आज आपने मानव कल्याण के लिए मेरी उपासना की है जिसके फलस्वरूप में वरदान देता हूं कि जो भक्त इस दिन मेरी आराधना करेगा मैं उसकी सारी मनोकामना पूर्ण करूंगा। तब से इस तिथि को हर माह मासिक शिवरात्रि मनाया जाने लगा।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि हिंदू धर्म में शिव की महिमा का बड़ा महत्व है। शिव जी के असंख्य भक्त इस दिन उनकी महिमा गुणगान करते हैं। शिव पुराण में शिवरात्रि का विस्तार से वर्णन है। माना जाता है कि इस दिन जो भक्त पूरी श्रद्धा से भोले की आराधना करते हैं उनकी सारी इच्छा महादेव पूरा करते हैं। मासिक शिवरात्रि के अवसर पर युवक व युवतियां भगवान शिव की विधिवत व्रत व पूजा करते हैं और अपने लिए योग्य जीवनसाथी का वर मांगते हैं। मान्यता है कि इस व्रत का पालन इंद्राणी, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, मां सीता, माता पार्वती ने किया है। जिसके फलस्वरूप उनकी मनोकामना पूर्ण हुई।
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार इस व्रत व तप की शुरुआत करने का सबसे उतिच समय मध्यरात्रि है। परंतु यह सबकी बस की बात नहीं है। इसलिए इस दिन शिव की भक्ति करने का एक और विधि ऋषियों ने बतलाया है।
साधक सर्वप्रथम सूर्योदय से पूर्व शुद्ध हो लें। शुद्ध होने के बाद शिव मंदिर जाएं।
यदि मंदिर जाना संभव नहीं है तो साधक घर में ही इस पूजा को विधि विधान के साथ कर सकते हैं। सबसे पहले साधक शिव जी का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए गंगा जल हो तो अति उत्तम होगा।
गंगा जल नहीं है तो भक्तगण दूध से शिव जी का अभिषेक कर सकते हैं। इसके बाद बेल पत्र अर्पित कर शिव की पूजा धूप-दीप से करें। यह करने के बाद साधक शिव चालिसा, शिव अष्टक तथा शिव स्तुति पाठ करें।
पाठ के पूर्ण होने के बाद शिव की आरती उतारें। इसके बाद यदि आप ने व्रत रखा है तो फलाहार करें। शाम को फिर स्नान कर विधिवत शिव की पूजा करें। रात में फलाहार कर अगले दिन व्रत को खोलें।