नरसिंह जयंती हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। साल 2022 में कब है नरसिंह जयंती? कैसे करें श्री हरि को प्रसन्न? जानने के लिए पढ़ें।
वैशाख का महीना बहुत ही पावन माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से इस माह का बहुत ही खास महत्व है। भगवान विष्णु के चौथे अवतार जो नरसिंह रूप में प्रकट हुए थे मान्यता है कि इसी माह में वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को अवतरित हुए थे। इसी कारण वैशाख मास की शुक्ल चतुर्दशी नरसिंह जयंती के रूप में मनाई जाती है। हिंदू धर्म के अनुयायी विशेषकर भगवान विष्णु के उपासक इस दिन उपवास भी रखते हैं। वर्ष 2022 में नरसिंह जयंती (Narsingh Jayanti 2022) 14 मई, दिन शनिवार को है। आइये जानते हैं नरसिंह जयंती पर व्रत कथा व पूजा विधि के बारे में।
बात बहुत समय पहले की है। महर्षि कश्यप और अदिति के दो पुत्र हुए हरिण्यक्ष और हरिण्यकश्यप (हरिण्यकशिपु)। दोनों बहुत ही शक्तिशाली से और असुरों के राजा थे। हरिण्यक्ष का बहुत आतंक बढ़ा तो भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर उसका वध कर दिया। अपने भाई के वध से क्रोधित हरिण्यकशिपु ने भगवान विष्णु से प्रतिशोध लेने की ठानी। हजारों साल तक कड़ा तप कर ब्रह्मा को प्रसन्न किया और उनसे अजेय होने का वरदान पाया। उसने वरदान भी मांगा कि कोई नर या पशु उसका वध न कर सके। ब्रह्मा से वरदान पाकर हरिण्यकशिपु निर्भय हो गया। अब उसने समस्त लोकों पर आक्रमण कर दिया। स्वर्गलोक से देवताओं को निर्वासित कर दिया और अपना आधिपत्य जमा लिया। कोई उसे पराजित नहीं कर सकता था। हरिण्यकशिपु भगवान विष्णु से प्रतिशोध तो लेना ही चाहते थे इसलिए उसने प्रजा को उनकी पूजा न करने का फरमान सुनाया और कहा कि वह स्वयं भगवान है उसके अलावा कोई किसी को नहीं पूजेगा। एक बार हरिण्यकशिपु एक वट वृक्ष के नीचे तपस्या कर रहे थे तो देवगुरु बृहस्पति तोते का रूप धारण कर उस वृक्ष पर नारायण नारायण की रट लगाने लगे। इस ध्वनि से खिन्न होकर हरिण्यकशिपु अपनी तपस्या बीच में छोड़कर चले आये। जब पत्नी ने तप छोड़कर आने का कारण पूछा तो पूरा वृतांत कह सुनाया।
हरिण्यकशिपु की पत्नी ने भी नारायण का जाप किया जिससे उसे गर्भ ठहर गया। अब जिस बालक ने जन्म लिया वह थे भक्त प्रह्लाद। अपने ही घर में विष्णु भक्त पैदा होने पर हरिण्यकशिपु बहुत दुखी थे। छल से, बल से हर प्रपंच रचकर प्रह्लाद को भगवत् भक्ति से विमुख करने के प्रयास किये, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। उसे अपनी बहन होलिका के जरिये जीवित जलाना चाहा लेकिन प्रभु की कृपा से प्रह्लाद सकुशल थे और होलिका जल चुकी थी। इससे हिरण्यकशिपु के क्रोध का ठिकाना नहीं था। वैशाख शुक्ल चतुर्दशी का ही दिन था जब पिता पुत्र में पुन: भगवान विष्णु को लेकर बहस हुई। हरिण्यकशिपु ने कहा कहां है तुम्हारा भगवान विष्णु बुलाओ उसे। तो प्रह्लाद शांत होकर बोले, प्रभु तो सर्वत्र विद्यमान हैं, कण-कण में समाये हैं। इस पर प्रह्लाद का उपहास उड़ाते हुए कहा तो क्या इस स्तंभ में भी तुम्हारे भगवान मौजूद हैं। प्रह्लाद ने कहा हां कण-कण में मौजूद हैं तो इसमें भी निश्चित रूप से वे समाये हैं। हरिण्यकशिपु को क्रोध आ गया और उसने उस स्तंभ पर अपनी तलवार से वार किया। वार करते ही स्तंभ को चीरकर उसमें से नर एवं सिंह के संयुक्त रूप का एक प्राणी निकला जिसने अपने नख से हरिण्यकशिपु को चीर डाला। कहते हैं इसके पश्चात जब विष्णु के नरसिंह अवतार का क्रोध कम नहीं हुआ तो उन्हें शांत करने के लिये भगवान शिव को भी शरभावतार धारण करना पड़ा था।
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नरसिंह जयंती: 14 मई 2022, शनिवार
नरसिंह जयंती सायंकाल पूजा का समय: 4 बजकर 22 मिनट से शाम 7 बजकर 04 मिनट तक
पारण समय: प्रातः 12:45 बजे (15 मई 2022) को
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 14 मई, 2022 को 03 बजकर 22 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 15 मई, 2022 को 12 बजकर 45 मिनट तक
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ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे॥ ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकट भय हारी॥ ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
सबके ह्रदय विदारण, दस्यु जियो मारी, प्रभु दस्यु जियो मारी।
दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी॥ ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥ ॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी